रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | पिछोर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक प्रीतम लोधी एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार कारण बना है उनका एक विधायक निधि से सीसी सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत किया गया पांच लाख रुपए का लेटर, जो उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र या जिले की किसी ग्राम पंचायत के लिए नहीं, बल्कि भिंड जिले की एक ग्राम पंचायत के लिए जारी कर दिया है। जैसे ही यह पत्र सामने आया, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई—कहीं सवाल उठाए गए, तो कहीं मज़ाक में उड़ाया गया।
भिंड जिले के मृगपुरा गांव को मिली स्वीकृति
मंगलवार को विधायक प्रीतम लोधी की ओर से 5 लाख रुपए की सीसी सड़क निर्माण हेतु स्वीकृति का एक पत्र जारी किया गया। पत्र में उल्लेख किया गया कि यह राशि भिंड जिले की अटेर जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम मृगपुरा के रजपुरा गांव में स्थित मंदिर से सामुदायिक भवन तक सीसी सड़क निर्माण के लिए स्वीकृत की जा रही है।
यह पत्र शिवपुरी कलेक्टर को संबोधित किया गया है, लेकिन स्थान भिंड जिले का दर्शाया गया है। यह स्वीकृति “विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास योजना” (MLA-LAD) के तहत दी गई है, जो स्वाभाविक रूप से संबंधित विधायक के विधानसभा क्षेत्र के लिए ही होती है।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल
पत्र सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने विधायक लोधी को घेरना शुरू कर दिया। कुछ लोगों ने पूछा कि क्या अब विधायक निधि का उपयोग दूसरे जिलों के लिए भी किया जा सकता है? वहीं कई यूजर्स ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए लिखा—“अब तो विधायक जी पूरे प्रदेश के विकास के लिए तत्पर हैं।”
कुछ यूजर्स ने इसे “विधायक निधि का दुरुपयोग” बताते हुए जांच की मांग की है। कई राजनीतिक विरोधियों ने भी इसे मुद्दा बनाकर लोधी पर निशाना साधा है।
संपर्क करने पर नहीं मिला जवाब
जब मीडिया ने इस विषय पर विधायक प्रीतम लोधी से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका मोबाइल नंबर स्विच ऑफ मिला। पहले भी विधायक लोधी अपने बयानों और फैसलों को लेकर कई बार विवादों में रह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने कुछ पुलिस थानों और विभागीय कार्यालयों में अपना विधायक प्रतिनिधि नियुक्त कर चर्चा बटोरी थी।
क्या कहता है नियम?
विधायक स्थानीय क्षेत्र विकास निधि योजना के तहत हर विधायक को प्रति वर्ष एक तय राशि (वर्तमान में लगभग 2 करोड़ रुपए) मिलती है, जिससे वे अपने क्षेत्र के विकास कार्य करवा सकते हैं। इस निधि का उपयोग किसी अन्य जिले या विधानसभा क्षेत्र में करना नियम विरुद्ध माना जाता है।
यदि विधायक लोधी ने भिंड जिले के लिए यह निधि स्वीकृत की है, तो यह सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन हो सकता है, जिसकी जांच कर कलेक्टर स्तर से कार्रवाई की संभावना बनती है।
अब सवाल यह उठता है कि:
क्या यह सिर्फ एक ‘टाइपिंग मिस्टेक’ है या जानबूझकर किया गया स्वीकृति-पत्र?
क्या भिंड के किसी गांव से विधायक प्रीतम लोधी का व्यक्तिगत या राजनीतिक संबंध है?
क्या प्रशासन इस पर संज्ञान लेगा?
फिलहाल जनता और राजनीतिक गलियारों में यह मुद्दा गंभीर चर्चा का विषय बना हुआ है। आने वाले समय में इस पर शासन या पार्टी स्तर से क्या रुख अपनाया जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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