मडखेड़ा में त्राहि-त्राहि : पानी की तलाश में खतरे का सफर, खाई में उतरकर पानी भरने को मजबूर रहवासी। सहरिया क्रांति ने दी आंदोलन की चेतावनी

SHARE:

रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले की पोहरी तहसील के मडखेड़ा गांव में पानी का संकट विकराल रूप ले चुका है। यहां की आदिवासी महिलाएं और बच्चे गहरी खाई में उतरकर पानी भरने को मजबूर हैं। खाई न केवल खतरनाक है बल्कि इसमें उतरते समय जान का जोखिम भी है। इस संघर्ष में उनका पूरा दिन निकल जाता है, लेकिन प्रशासन की उदासीनता ने उनकी पीड़ा को और बढ़ा दिया है।
                                    जल संकट से जूझते लोग
  • खाई में पानी, जिंदगी दांव पर : मडखेड़ा के आदिवासियों की कहानी
  • पानी के लिए संघर्ष: मडखेड़ा में महिलाओं और बच्चों का पूरा दिन पानी ढोने में बर्बाद
  • सहरिया क्रांति का ऐलान: पानी नहीं तो सड़कों पर उतरेगा आदिवासी समाज
  • मूलभूत सुविधाओं से वंचित मडखेड़ा : प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
  • जल संकट और प्रशासनिक लापरवाही: मडखेड़ा में त्राहि-त्राहि

सहरिया क्रांति ने दी आंदोलन की चेतावनी

सहरिया क्रांति आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने इस गंभीर स्थिति को लेकर प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। प्रमुख कार्यकर्ता मोहर सिंह, शिशुपाल, और राजेश सोनीपुरा ने साफ शब्दों में कहा, “यह आखिरी चेतावनी है। अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो सत्याग्रह का रास्ता अपनाया जाएगा।”

बच्चों और महिलाओं पर असर

गांव के बच्चे, जिनकी उम्र पढ़ाई-लिखाई में लगने की होनी चाहिए, पानी के घड़े ढोने में व्यस्त हैं। महिलाएं सुबह से शाम तक पानी के इंतजाम में ही लगी रहती हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार यहां हाशिए पर पहुंच गए हैं।

प्रशासन की खामोशी पर बड़ा सवाल

यह समस्या कोई नई नहीं है। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को अपनी तकलीफें बताईं, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। जलस्रोतों की मरम्मत और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया लगातार नजरअंदाज की जा रही है।

स्थायी समाधान की मांग

मडखेड़ा का यह जल संकट केवल पानी की समस्या नहीं है। यह प्रशासनिक उदासीनता और आदिवासी समुदाय के प्रति भेदभाव की गहरी समस्या को उजागर करता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह अन्याय सहने का सिलसिला अब और नहीं चलेगा। अगर प्रशासन ने तुरंत कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो यह संकट बड़े आंदोलन का रूप ले सकता है।

बड़े सवाल…

  • जलस्रोतों की मरम्मत और पुनर्निर्माण क्यों नहीं हो रहा?
  • आदिवासी समुदाय की समस्याओं को अनदेखा क्यों किया जा रहा है?
  • क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधि केवल चुनाव के समय ही सक्रिय होते हैं?
मडखेड़ा में पानी के लिए जूझ रहे आदिवासी समाज का धैर्य अब टूट रहा है। यह समय है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान निकाले। अन्यथा, सहरिया क्रांति जैसे आंदोलन पूरे क्षेत्र में प्रशासन के खिलाफ जनाक्रोश का स्वर बन सकते हैं।

ये ख़बर आपने पढ़ी देश के तेजी से बढ़ते सबसे लोकप्रिय हिंदी न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म 🖱️www.tejasreporter.com पर
📱आज तेजी से बदलते परिवेश में जहां हर क्षेत्र का डिजिटलीकरण हो रहा है, ऐसे में 📰 “दैनिक तेजस रिपोर्टर” www.tejasreporter.com सटीक समाचार और तथ्यात्मक रिपोर्ट्स लेकर आधुनिक तकनीक से लैस अपने डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रस्तुत है। अपने निडर, निष्पक्ष, सत्य और सटीक लेखनी के साथ मैं पंकज जैन ✍🏻 और मेरे सहयोगी अब ⏱️24X7 आप तक देश विदेश की महत्वपूर्ण खबरों को पहुंचाने के लिए कटिबद्ध हैं।
सभी अपडेट्स व नोटिफिकेशन प्राप्ति के लिए नीचे दिए गए बेल आइकन पर क्लिक कर अभी सब्सक्राइब करें
Tejas Reporter
Author: Tejas Reporter

Join us on:

सबसे ज्यादा पड़ गई
Marketing Hack4u
error: Content is protected !!