शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में पहली बार 500 ग्राम की थायराइड गांठ का सफल ऑपरेशन

SHARE:

रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
शिवपुरी के चिकित्सा इतिहास में मील का पत्थर श्रीमंत राजमाता विजयाराजे सिंधिया चिकित्सा महाविद्यालय, शिवपुरी में चिकित्सा क्षेत्र का एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित हुआ। पहली बार यहां के अधिष्ठाता डॉ. डी. परमहंस ने एक महिला के गले से थायराइड ग्रंथि की 500 ग्राम वजन की गांठ को सफलतापूर्वक निकालकर नया इतिहास रच दिया। इस जटिल ऑपरेशन में आवाज और श्वास नली को सुरक्षित रखते हुए थायराइड ग्रंथि को पूरी तरह से हटाया गया।
                              विशेषज्ञों की टीम ऑपरेशन करती हुई
  • थायराइड ग्रंथि का जटिल ऑपरेशन, महिला को नई जिंदगी मिली
  • 500 ग्राम की थायराइड गांठ निकाली, मरीज पूरी तरह स्वस्थ
  • शिवपुरी मेडिकल कॉलेज का पहला मेजर थायराइड ऑपरेशन
  • डॉक्टरों की विशेषज्ञता और मरीज की सहमति से असंभव संभव हुआ
  • थायराइड ग्रंथि से जुड़ा जटिल ऑपरेशन, मरीज की आवाज और श्वास सुरक्षित

पांच सालों से पीड़ित थी महिला

ग्राम नाहरई, करैरा निवासी महिला पिछले पांच से छह साल से गले में बढ़ती थायराइड ग्रंथि की समस्या से परेशान थी। उन्होंने विभिन्न शहरों में इलाज कराया, लेकिन संतोषजनक समाधान नहीं मिला। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. मेघा प्रभाकर के अनुसार, महिला की जांचों के बाद ऑपरेशन की सलाह दी गई। गांठ का आकार 10x6x3 सेंटीमीटर था, जो उसके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता था।

विशेषज्ञों की टीम ने मिलकर किया ऑपरेशन

इस मेजर सर्जरी में अधिष्ठाता डॉ. डी. परमहंस के नेतृत्व में डॉक्टरों की एक अनुभवी टीम ने काम किया। एनेस्थीसिया विभाग की प्रमुख डॉ. शिल्पा अग्रवाल, ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. धीरेन्द्र त्रिपाठी, डॉ. मेघा प्रभाकर, डॉ. मीनाक्षी गर्ग और ओटी इंचार्ज प्रियंका शुक्ला के सहयोग से यह ऑपरेशन संभव हुआ। सर्जरी के बाद गांठ को बायोप्सी जांच के लिए पैथोलॉजी विभाग भेजा गया।

मरीज की हालत स्थिर, ऑपरेशन पूरी तरह सफल

ऑपरेशन के बाद मरीज को विशेष निगरानी में रखा गया है। अधिष्ठाता डॉ. डी. परमहंस ने बताया कि थायराइड ग्रंथि का यह ऑपरेशन अत्यंत चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यह गले की नसों, श्वास और आवाज की नली के आसपास स्थित होती है। उन्होंने बताया कि समय रहते ऑपरेशन न किया जाता, तो गांठ कैंसर जैसी घातक बीमारी का कारण बन सकती थी।
आवाज और श्वास नली का बचाना चुनौती
“थाइराेडेक्टाॅमी यानि थायराइड ग्रंथि काे पूरा निकालना। यह मेजर ऑपरेशन था। गले से मस्तिष्क में जाने वाली सभी धमनियां, शिराएं और तंत्रिकाएं गुजरती है। गले मेंं थायराइड के ठीक नीचे आवाज तथा श्वास की नली होती है, उन्हें पूरी तरह से बचाकर ऑपरेशन करना होता है। थायराइड ग्रंथि को अधिष्ठाता डॉक्टर डी परमहंस द्वारा ऑपरेशन कर निकाला गया। मरीज को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है।”
डॉ. धीरेन्द्र त्रिपाठी, नाक कान एवं गला रोग विशेषज्ञ
ऐसा मेजर ऑपरेशन पहली बार
“मेडिकल कॉलेज में ऐसा मेजर ऑपरेशन पहली बार किया गया है। थायराइड ग्रंथि बहुत ही वैस्कुलर होती है, गले में आवाज व श्वांस तथा मस्तिष्क की धमनियों और शिराओं का जाल में होती है। इन सभी को बचाते हुए ग्रंथि को निकलनी पड़ती है, मरीज के परिजनों की सहमति तथा डॉक्टराें की पहल के कारण ऑपरेशन किया गया है। इसमें एनेस्थीसिया तथा ओटी स्टाफ का सहयोग रहा।”
डॉक्टर डी परमहंस,(सर्जन) अधिष्ठाता

मरीज ने जताया आभार

सफल ऑपरेशन के बाद मरीज और उसके परिजनों ने मेडिकल कॉलेज की टीम का आभार व्यक्त किया। यह ऑपरेशन न केवल मरीज के लिए राहतकारी सिद्ध हुआ, बल्कि चिकित्सा महाविद्यालय की दक्षता को भी साबित करता है।
शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में हुआ यह सफल ऑपरेशन न केवल स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि भविष्य में गंभीर चिकित्सा चुनौतियों से निपटने का आत्मविश्वास भी प्रदान करता है।

ये ख़बर आपने पढ़ी देश के तेजी से बढ़ते सबसे लोकप्रिय हिंदी न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म 🖱️www.tejasreporter.com पर📱आज तेजी से बदलते परिवेश में जहां हर क्षेत्र का डिजिटलीकरण हो रहा है, ऐसे में
📰 “दैनिक तेजस रिपोर्टर” www.tejasreporter.com सटीक समाचार और तथ्यात्मक रिपोर्ट्स लेकर आधुनिक तकनीक से लैस अपने डिजिटल प्लेटफार्म पर प्रस्तुत है। अपने निडर, निष्पक्ष, सत्य और सटीक लेखनी के साथ मैं पंकज जैन ✍🏻 और मेरे सहयोगी अब ⏱️24X7 आप तक देश विदेश की महत्वपूर्ण खबरों को पहुंचाने के लिए कटिबद्ध हैं। सभी अपडेट्स व नोटिफिकेशन प्राप्ति के लिए नीचे दिए गए बेल आइकन पर क्लिक कर अभी सब्सक्राइब करें।
Tejas Reporter
Author: Tejas Reporter

Join us on:

सबसे ज्यादा पड़ गई
Marketing Hack4u
error: Content is protected !!