रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | मध्य प्रदेश में हर साल दोहराई जाने वाली खाद किल्लत पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री और पिछोर के पूर्व विधायक के.पी. सिंह कक्काजू ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा — “खाद की समस्या कोई प्राकृतिक या आकस्मिक नहीं, बल्कि सरकार की अपनी बनाई हुई समस्या है।”
“आज वही मशीनरी है, वही सिस्टम है — फर्क सिर्फ नीयत का है। सरकार अग्रिम योजना नहीं बनाती, इसलिए हर साल यही संकट पैदा होता है,” उन्होंने कहा।
“खुद की लापरवाही से किसानों को हो रहा नुकसान”
कक्काजू ने बताया कि खाद फैक्ट्रियां एडवांस बुकिंग और एडवांस भुगतान पर काम करती हैं। सर
कार यदि समय रहते बुकिंग नहीं करती तो उत्पादन इकाइयाँ सप्लाई रोक देती हैं — नतीजा यह होता है कि सहकारी समितियों पर खाद का अभाव और बाजार में कालाबाज़ारी बढ़ जाती है।
“व्यापारी 200 की खाद 500 में बेचते हैं और किसान मजबूरी में खरीदता है। सरकार किसान की नहीं, व्यापारियों की चिंता कर रही है,” उन्होंने कहा।
“किसान पिस रहा है, जवाबदेही कौन लेगा?”
कक्काजू ने सवाल उठाया कि जब प्रदेश में इतने सहकारी केंद्र हैं तो किसानों को खुले बाजार में जाने की मजबूरी क्यों? उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक और राजनीतिक असफलता का परिणाम है।
“किसान अपनी मेहनत की कमाई से जब महंगा खा
द खरीदने को मजबूर होता है, तब सरकार की जवाबदेही बनती है,” वे बोले।
“सिंधिया और शिवराज को लेना चाहिए संज्ञान”
पूर्व मंत्री ने स्पष्ट कहा कि सिंधिया का क्षेत्र होने के नाते केंद्र में रहते हुए उन्हें भी इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए।
“मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि मंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर एडवांस व्यवस्था क्यों नहीं होती?” कक्काजू ने कहा।
“सड़कें भी बन रहीं हादसे का कारण”
खाद संकट के साथ-साथ कक्काजू ने प्रदेश की सड़कों की दुर्दशा पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा — “चंदेरी जैसी पर्यटन नगरी से लेकर ग्वालियर तक सड़कें गड्ढों में तब्दील हैं। यह सब एडवांस प्लानिंग के अभाव का नतीजा है।”
“सरकार आंखें मूंदे बैठी है”
कक्काजू ने कहा कि प्रशासनिक तंत्र सुस्त है, अधिकारी दबे-सहमे हैं, और मुख्यमंत्री विपक्ष से संवाद नहीं करते।
“ऐसी स्थिति में सरकार को ज़मीनी सच्चाई की जानकारी नहीं मिलती। मेरा आग्रह है कि इस खबर के माध्यम से मुख्यमंत्री तक किसानों की आवाज पहुंचे,” उन्होंने कहा।
व्यक्तिगत झगड़ों को जातीय संघर्ष का रूप दे रहा कमजोर प्रशासन
कक्काजू ने समाज में बढ़ते तनावों पर भी गंभीर चिंता जताई।
उन्होंने कहा — “लड़ाई-झगड़ा इंसान का स्वभाव है, लेकिन जब शासन और प्रशासन निष्क्रिय हो जाए, तो व्यक्तिगत विवाद जातीय संघर्ष का रूप ले लेते हैं। आज यही स्थिति बन रही है।”
उन्होंने कहा कि अगर शासन में बैठे लोग, अधिकारी और प्रशासनिक अमला समय पर नियंत्रण न करे, कार्रवाई न करे, तो नतीजे खतरनाक हो सकते हैं।
“एसपी, कलेक्टर, आईजी, डीआईजी, डीजी — सबके पास अधिकार हैं, लेकिन कार्रवाई का अभाव है। मुख्यमंत्री को छोड़कर कोई स्तर ऐसा नहीं बचा जहां जवाबदेही दिखे,”
“लोगों की चैन और सम्मान की रक्षा ही असली जिम्मेदारी”
कक्काजू ने कहा — “सरकार का असली काम है कि जनता चैन की नींद सो सके, रोज़ी-रोटी सुरक्षित रहे और मेहनत की कमाई पर कोई डाका न डाले। यही हमारी जिम्मेदारी है, यही चौकीदारी है।”
पूर्व मंत्री के.पी. सिंह कक्काजू का यह बयान प्रदेश की मौजूदा नीतियों पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। उन्होंने साफ कहा —
“जब सरकारें एडवांस प्लानिंग छोड़ देती हैं, तब संकट खुद पैदा होता है — और उसकी कीमत हमेशा किसान ही चुकाता है।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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