रिपोर्ट-अंशुल जैन
भोपाल के टीटी नगर जैन मंदिर में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव का समापन अद्भुत भक्ति, अनुष्ठानिक विधियों और आध्यात्मिक उल्लास के साथ संपन्न हुआ। मोक्ष कल्याणक की दिव्य आराधना के बीच प्रभु को मोक्ष प्राप्ति की अनूठी भावना में पूरा माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। इस पावन अवसर पर भोपाल के 84 जिनालयों की प्रतिमाएं पाषाण से भगवान के रूप में प्रतिष्ठित हुईं, जिनकी भव्य पूजा-अर्चना के साथ विश्वशांति और मानव कल्याण के लिए हवन कुंड में मंत्रोच्चार सहित आहुतियां अर्पित की गईं।

आयोजन स्थल अयोध्या नगरी से भव्य गजरथ शोभायात्रा निकाली गई, जिसने पूरे शहर को धर्ममय बना दिया। केसरिया ध्वजाएं लहराती हुई विश्वशांति और भाईचारे का संदेश दे रही थीं। विभिन्न जैन मंदिरों के युवा मंडलों और श्रद्धालुजनों ने “जय अरिहंत, जय जिनेंद्र” के दिव्य घोष के साथ वातावरण को भक्तिमय बना दिया। शोभायात्रा में पांच भव्य रथों की झलक पाने और उन्हें स्पर्श करने के लिए श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा गया। पूरे मार्ग पर भक्तगण श्रद्धा और आनंद से भक्ति नृत्य करते हुए प्रभु की वंदना और आराधना में लीन थे।
पंचकल्याणक महोत्सव की भव्यता और श्रद्धालुओं की आस्था

शोभायात्रा में प्रतीकात्मक हाथी, रथ और सुसज्जित बग्गिया विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं, जिनमें अनुष्ठान के प्रमुख पात्र ऋषभ-राजेश्वरी (माता-पिता), राजेश- सारिका (इंद्र-इंद्राणी), अमर-माया, (कुबेर), सुनील-रंजना (महायज्ञ नायक) विराजमान थे। समर्पित भाव से इन्होंने प्रभु की भक्ति और श्रद्धा को प्रदर्शित किया। विभिन्न मार्गों से होती हुई यह शोभायात्रा आयोजन स्थल तक पहुंची, जहां प्रतिष्ठित जिनेंद्र प्रतिमाओं का भव्य अभिषेक हुआ।
मोक्ष कल्याणक – आत्मा से परमात्मा बनने का अनुष्ठान

मुनि प्रमाण सागर महाराज ने अपने उपदेश में कहा,
“मोक्ष की बेला केवल इस संसार में ही नहीं, अपितु तीनों लोकों में शांति और सद्भाव की स्थापना करती है। पाषाण से भगवान बनने की यह यात्रा आत्मा के परमात्मा बनने का महान अनुष्ठान है, जो समस्त जीवों के कल्याण और विश्वशांति का संदेश देता है।”

धार्मिक अनुष्ठानों का उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक जागरूकता लाना, नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करना और वैश्विक शांति का संदेश फैलाना रहा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मुनि संघ को श्रीफल अर्पित कर देश और प्रदेश की उन्नति व विकास के लिए आशीर्वाद लिया।
समाज की एकता और उत्साह
शोभायात्रा में राजधानी के विभिन्न जैन मंदिरों के अध्यक्ष, सामाजिक-धार्मिक संगठनों के पदाधिकारी, सोशल ग्रुप्स, महिला मंडल, युवा मंडल और पाठशाला परिवारों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता निभाई। श्रद्धालुओं ने पूरे आयोजन को भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का अद्भुत संगम बना दिया।

यह पंचकल्याणक महोत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि विश्वशांति, नैतिकता और भक्ति का महासंगम था। इसने संस्कार, समर्पण और आध्यात्मिक उन्नति का संदेश दिया, जो न केवल जैन समाज बल्कि संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणादायक है।
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Author: Tejas Reporter
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