सत्ता का नशा उतरा, वारंट ने होश उड़ाए! गैरतगंज के नपाध्यक्ष और भाजपा मंडल अध्यक्ष पर अदालत का वारंट, बेहोशी में पहुंचे अस्पताल।

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रिपोर्ट : स्थानीय संवाददाता
रायसेन, मध्यप्रदेश | जिले की गैरतगंज जनपद में एक राजनीतिक और कानूनी मुद्दे ने अब नया मोड़ ले लिया है। नपाध्यक्ष जिनेश कुमार जैन और भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष संजय जैन के खिलाफ न्यायालय ने जेल वारंट जारी किया। सोमवार दोपहर को जब पुलिस ने उनका चालान पेश किया, उसी दौरान उनकी सेहत बिगड़ गई और वे बेहोश होकर रायसेन जिला अस्पताल में भर्ती हो गए।
यह वारंट उस घटना से जुड़ा है, जिसमें आरोप है कि दोनों नेताओं ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर अनिष्ट लाल से मारपीट और बदसलूकी की थी । इसके अलावा शासकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में ये कार्रवाई हुई है। न्यायालय ने आखिरकार दोनों नेताओं के खिलाफ जेल वारंट जारी कर दिया, जिससे इलाके में हलचल मच गई।

सोमवार दोपहर जब पुलिस ने दोनों का चालान अदालत में पेश किया, तभी अचानक दोनों नेताओं की तबीयत बिगड़ गई। बताया जा रहा है कि हालत इतनी खराब हो गई कि उन्हें बेहोशी की स्थिति में रायसेन जिला अस्पताल रेफर करना पड़ा, जहां फिलहाल डॉक्टरों की निगरानी में इलाज जारी है।

  • जनप्रतिनिधि या दबंग? कोर्ट ने डॉक्टर पर हमला करने वाले नेताओं के खिलाफ जेल वारंट जारी किया
  • वारंट सुनते ही हिम्मत जवाब दे गई — पुलिस चालान पेश कर रही थी, तभी दोनों गश खाकर गिरे
  • 15 जून का ‘हॉस्पिटल हंगामा’ बना अब सियासी सरदर्द
  • कानून के शिकंजे में सत्ता के साए, जनता में नाराज़गी
  • शासकीय कार्य में बाधा डालने, मारपीट, अभद्रता के लगे गंभीर आरोप
यह वारंट सिविल अस्पताल में डॉ. अनिष्ट लाल के साथ मारपीट के मामले में जारी किया गया है।
दोनों नेताओं पर शासकीय कार्य में बाधा, अभद्र व्यवहार और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है।
अब वारंट जारी होने के बाद इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है।
जेल वारंट निकलने के बाद मामला और तूल पकड़ चुका है, जिससे प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों हलकों में हड़कंप मचा हुआ है।

आखिर क्या है पूरा मामला ?

दरअसल 15 जून की शाम गैरतगंज सिविल अस्पताल में मरीजों को समय पर इलाज न मिलने और अस्पताल की अव्यवस्था पर सवाल उठाने के बहाने, नगर पालिका अध्यक्ष जिनेश जैन और भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष संजय जैन वहां पहुंचे थे। लेकिन जनसेवा की बात करते-करते मामला बहस से झगड़े और झगड़े से हाथापाई तक पहुंच गया। ड्यूटी पर तैनात डॉ. अनिष्ट लाल के साथ दोनों नेताओं ने गाली-गलौज और मारपीट की, जिससे अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई।

बीएमओ की शिकायत पर दर्ज हुई एफआईआर

घटना के बाद बीएमओ डॉक्टर अनिष्ट लाल ने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई — आरोप लगाया कि दोनों नेताओं ने सरकारी कार्य में बाधा डाली और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जिनेश जैन और संजय जैन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 121/1, 296, 351/3, 3/5, 3/4 और 132 के तहत मुकदमा दर्ज किया — यानी उन पर शासकीय कार्य में बाधा, अभद्रता और मारपीट जैसे गंभीर अपराधों का आरोप है।

डॉक्टर के खिलाफ भी शिकायत

वहीं, दोनों नेताओं ने भी पलटवार करते हुए डॉक्टर पर शिकायत दर्ज कराई, यह आरोप लगाते हुए कि डॉक्टर ने मरीजों की अनदेखी की और खुद अभद्रता की।
लेकिन अब, वारंट जारी होने के बाद तस्वीर साफ है — जनसेवा का मुखौटा ओढ़े ये दोनों नेता कानून के शिकंजे में हैं, और डॉक्टर को पीटने की कीमत अब जेल की दहलीज़ तक पहुंचा चुकी है।
          नपाध्यक्ष जिनेश कुमार जैन और भाजपा नगर मंडल अध्यक्ष संजय जैन
आम चर्चा तो यह भी है की जो नेता कभी सब पर रौब झाड़ते थे, वारंट आते ही बीमार होने का बहाना लेकर मुसीबत से भाग निकलने की जुगत में जुटे हैं।

जनता का फूटा गुस्सा  :

गैरतगंज की जनता में गुस्सा साफ दिख रहा है।
इलाके में यह मामला चर्चा का बड़ा विषय बन गया है। लोग सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं —
    • “जनता पूछ रही है — सेवा का वादा किया था या सत्ता का नशा चढ़ा था?”
    • “नेताओं ने डॉक्टर को पीटा, अब वारंट ने इनका घमंड तोड़ा।”
    • “जो डॉक्टर्स को हड़काते थे, अब उन्हीं के सहारे अस्पताल के मरीज बनकर सलाखों से बचने की कोशिश में हैं।”
एक यूजर ने लिखा —
  • “अगर हर दबंग नेता को कानून ऐसे ही झकझोरे, तो इनकी अक्ल ठिकाने आ जाएगी।”
दूसरे ने तंज कसा —
  • “चलो, इसी बहाने डॉक्टरों की सेवा लेने का मौका मिल ही गया।”

आगे क्या?

फिलहाल दोनों नेताओं की हालत सामान्य बताई जा रही है, लेकिन अदालत की प्रक्रिया जारी है।
अगर दोष सिद्ध होता है, तो दोनों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेता अब बचाव के रास्ते तलाशने में जुटे हैं।
यह मामला न सिर्फ राजनीतिक अहंकार का प्रतीक बन गया है, बल्कि यह संदेश देता है कि —
“कानून के सामने कोई बड़ा नहीं होता।”

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