रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले में अवैध रूप से संचालित क्लीनिकों और बिना योग्यता चिकित्सकीय कार्य कर रहे तथाकथित झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। लगातार तेजस रिपोर्टर द्वारा उजागर की जा रही अवैध क्लीनिकों की खबरों के बाद अब प्रशासन ने हरकत में आकर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।
कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी के स्पष्ट निर्देशों पर यह अभियान शुरू किया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. संजय ऋषीश्वर के नेतृत्व में जिला स्वास्थ्य विभाग की टीमें गठित की गई हैं, जो जिलेभर में छापामार कार्यवाही कर रही हैं।
नरवर में चला सबसे बड़ा एक्शन, डॉ. द्वारका का क्लिनिक सील
नरवर कस्बे में लोडीमाता मंदिर के पास लंबे समय से संचालित हो रहा ‘डॉ. द्वारका क्लिनिक’ स्वास्थ्य विभाग के रडार पर आया। जिला पंचायत सदस्य द्वारा दी गई शिकायत पर गंभीरता दिखाते हुए स्वास्थ्य विभाग ने टीम गठित कर मौके पर छापा मारा।
टीम जब क्लिनिक पहुंची तो वहां 5-6 मरीजों का इलाज चल रहा था। क्लिनिक संचालक से जब चिकित्सकीय योग्यता और क्लिनिक पंजीयन के दस्तावेज मांगे गए, तो वह कोई भी वैध प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर सका। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत क्लिनिक को सील कर दिया और मरीजों को पास के सरकारी अस्पताल में उपचार कराने की सलाह दी गई।
सूत्रों के अनुसार, डॉ. द्वारका प्रसाद कुशवाहा वर्षों से बिना किसी डिग्री या मान्यता के मरीजों का इलाज कर रहा था। उसके क्लिनिक में ना तो कोई पंजीकृत नर्स थी, न ही प्राथमिक जीवन रक्षक उपकरण। यह स्थिति मरीजों के जीवन से सीधा खिलवाड़ है।
करैरा में भी कार्यवाही, पंजीयन के बिना चला रहे थे क्लिनिक
स्वास्थ्य विभाग का दल करैरा भी पहुँचा जहाँ ‘जैसवाल डेंटल क्लिनिक’ में छापा मारा गया। डॉ. पंकज जैन, जो इस क्लिनिक का संचालन कर रहे थे, उनके पास चिकित्सकीय डिग्री और योग्यता के दस्तावेज तो मौजूद थे लेकिन क्लिनिक पंजीयन नहीं कराया गया था।
डॉ. अलका त्रिवेदी (जिला टीकाकरण अधिकारी) के नेतृत्व में चली इस कार्यवाही में डॉ. जैन को 15 दिन के भीतर क्लिनिक पंजीयन कराने के निर्देश दिए गए। फिलहाल उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया गया है, लेकिन तय समय सीमा के बाद दस्तावेज प्रस्तुत नहीं करने की स्थिति में क्लिनिक सील किया जा सकता है।
स्वास्थ्य विभाग की कार्यवाही का सामाजिक असर
स्वास्थ्य विभाग की इस सक्रियता का ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ा सामाजिक प्रभाव देखने को मिल रहा है। कई वर्षों से झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठाकर इलाज कर रहे थे। महंगे निजी अस्पतालों या दूरदराज के सरकारी अस्पतालों तक ना पहुंच पाने वाले ग्रामीण इन्हीं झोलाछापों के सहारे जीवन और मृत्यु की जंग लड़ते थे।
अब जब प्रशासन ने कार्रवाई की है, तो एक ओर मरीजों में भरोसा जागा है, वहीं दूसरी ओर झोलाछाप डॉक्टरों में हड़कंप मच गया है। कई क्लिनिक संचालक अब खुद ही अपने बोर्ड और दवाएं समेटते नजर आ रहे हैं।
प्रशासन की मंशा और आगे की रणनीति
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने साफ कहा है कि यह मुहिम सिर्फ एक या दो दिन की नहीं है। पूरे जिले में सर्वे कर ऐसे सभी अवैध क्लिनिकों की सूची बनाई जा रही है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से कार्रवाई की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने आम जनता से भी अपील की है कि यदि कहीं पर भी कोई झोलाछाप डॉक्टर या अवैध क्लिनिक संचालित होता दिखाई दे, तो उसकी जानकारी तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या जिला स्वास्थ्य अधिकारी को दी जाए।
तेजस रिपोर्टर की खबरों से प्रशासन को मिली दिशा
तेजस रिपोर्टर द्वारा लगातार उजागर की जा रही अवैध
क्लिनिकों की खबरों ने एक बार फिर पत्रकारिता की ताकत को सिद्ध किया है। प्रशासन को इन खबरों से न सिर्फ दिशा मिली, बल्कि साहस भी मिला कि वे ग्रामीण इलाकों में भी दबाव में आए बिना सख्त कार्रवाई कर सकें।
अब देखना यह है कि प्रशासन की यह मुहिम किस हद तक जिले से झोलाछाप डॉक्टरों का सफाया कर पाती है और क्या यह अभियान स्थायी असर छोड़ पाएगा या सिर्फ एक दिखावा बनकर रह जाएगा।
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“दैनिक तेजस रिपोर्टर”
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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