तीर्थंकर महावीर जन्म कल्याणक पर बामौर कलां में ऐतिहासिक आयोजन, पूज्य निरापद सागर महाराज के सान्निध्य में गूंजा धर्म का जयघोष

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✍️ रिपोर्ट : अतुल कुमार जैन
बामौर कलां | दिगंबर जैन समाज बामौर कलां में भगवान वर्धमान महावीर स्वामी के जन्मकल्याणक महोत्सव का आयोजन परम पूज्य 108 श्री निरापद सागर जी महाराज जी के सान्निध्य में बड़े ही हर्षोल्लास, श्रद्धा और गरिमा के साथ संपन्न हुआ।

इन्द्रध्वनि से गूंजा नगर, धर्ममय बना वातावरण
पूज्य मुनि श्री के निर्देशानुसार इस वर्ष समाज के अधिकांश साधर्मीजन इन्द्र के वेश में – पारंपरिक धोती-दुपट्टा पहनकर – शोभायात्रा में सहभागी बने। यह दृश्य अत्यंत अनुकरणीय और भावपूर्ण था। एक विशेष नवाचार के अंतर्गत सभी श्रद्धालु विमान जी के पीछे-पीछे अत्यंत शालीनता और अनुशासन के साथ चल रहे थे। पूज्य महाराज जी के आदेशानुसार केवल विमान उठाने वाले और व्यवस्थापक ही विमान जी के समीप थे, जिससे आयोजन में एकरूपता और व्यवस्था का भाव स्पष्ट झलक रहा था।
प्रभात फेरी से आरंभ, शोभायात्रा से समापन तक उल्लास ही उल्लास
प्रातः 5:15 बजे प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें भक्तों ने भक्ति गीतों और जयकारों के साथ नगर के वातावरण को धर्ममय कर दिया। ठीक 7:45 बजे श्रीजी की शोभायात्रा श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, बामौर कलां से प्रारंभ हुई। शोभायात्रा में समाजजन पूरी श्रद्धा, भक्ति और शालीनता के साथ सहभागी बने।
पूज्य मुनि श्री का प्रवचन – सामूहिक धर्मक्रिया का महत्व
अपने प्रवचन में पूज्य मुनि श्री निरापद सागर जी महाराज ने कहा कि जब हम सभी मिलकर सामूहिक रूप से धर्म क्रियाएं करते हैं, तो उसका फल कई गुना अधिक होता है। उन्होंने कहा कि हमारा आचरण, वेश और व्यवहार ऐसा होना चाहिए कि हमें देखकर यह प्रतीत हो कि हम जिनेन्द्र प्रभु के वंशज हैं। भगवान महावीर के सिद्धांत हमारे व्यवहार, वाणी और जीवनशैली में प्रतिबिंबित होने चाहिए।
प्रेरक कथा द्वारा जीवन का मार्गदर्शन
मुनि श्री ने एक अंधी महिला की प्रेरक कथा सुनाई, जो डंडे के सहारे गलियों में रास्ता पूछते हुए चलती थी। जैसे वह महिला दूसरों के निर्देश से सही मार्ग पर चलती थी, वैसे ही भगवान भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी दिव्य वाणी – जिनवाणी – और गुरुओं का उपदेश हमारे मार्गदर्शक हैं। हम यदि उनके बताए मार्ग पर चलें, तो निश्चित ही हमारा कल्याण संभव है।
विमान प्रतिष्ठा और सौभाग्यशाली परिवार
भगवान महावीर स्वामी को विमान में विराजमान कराने का मंगल सौभाग्य कुन्दनलाल अकलंक कुमार कीर्ति कुमार नवनीत कुमार संजय कुमार (मोदी परिवार) को प्राप्त हुआ।
विमान जी को सर्वप्रथम उठाकर चलने का महान सौभाग्य इन्द्रसेन मिठया, जिनेन्द्र कुमार बारी वाले, अमोलक चंद संभव मोदी, एवं शैलेश पांडे को प्राप्त हुआ।
नगर परिक्रमा उपरांत अभिषेक एवं शांतिधारा
नगर परिक्रमा के उपरांत मंदिर परिसर में भगवान का भव्य अभिषेक एवं शांतिधारा की गई। शांतिधारा हेतु पत्र चयन के माध्यम से महापात्र बनने का सौभाग्य जिन श्रद्धालुओं को प्राप्त हुआ, वे हैं –
धनेश पाड़ाशाह, उत्तम चंद मिठया, देवेंद्र कुमार मोदी, पंकज मिठया, मुकेश हर्ष चौधरी, सुमत प्रकाश सिंघई, संजीव पांडेय एवं अजित सिंघई।
इस भव्य आयोजन ने न केवल धार्मिक चेतना का संचार किया, बल्कि समाज को एकता, अनुशासन और श्रद्धा का अनूठा संदेश भी दिया।

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