✍️ रिपोर्ट : अतुल कुमार जैन
शिवपुरी, मध्यप्रदेश | जिलेभर में इन दिनों एक खतरनाक मेडिकल संकट के दौर से गुजर रहा है। गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टर (Fake Doctors) खुलेआम मरीजों का इलाज कर रहे हैं। चाय की गुमटियों जैसी छोटी दुकानों में इलाज के नाम पर ऐसा खिलवाड़ हो रहा है, जो लोगों की जान के साथ सीधा खेल है।
इन झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र मात्र 15 से 25 साल के बीच है। इनके पास ना कोई मेडिकल डिग्री है, ना ही अनुभव। इसके बावजूद ये उल्टी, दस्त, बुखार, खांसी समेत हर बीमारी का इलाज करने का दावा करते हैं – और लोग मजबूरी में इनके पास इलाज कराने पहुंच रहे हैं।
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झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करा रहे हैं हजारों लोग, खतरे में ज़िंदगियाँ!
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स्वास्थ्य विभाग का मौन, गांव-गांव में खुले ‘मौत के अड्डे’
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फरवरी में हुआ आदेश जारी, कार्रवाई अब तक अधूरी
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147 पंजीकृत संस्थान बनाम सैकड़ों अवैध क्लीनिक: कौन ज़िम्मेदार?
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बिना लाइसेंस के दवाओं की बिक्री, ड्रग एक्ट की धज्जियां उड़ रहीं
फरवरी में बना जांच दल, लेकिन अब तक कार्रवाई शून्य
फरवरी 2025 में कलेक्टर और एसपी के संयुक्त हस्ताक्षर से झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश जारी हुआ था। प्रत्येक अनुभाग क्षेत्र में निरीक्षण दल बनाए गए थे, जिसमें राजस्व अधिकारी, पुलिस अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नियुक्त किया गया था।
परिणाम? अब तक ना कोई बड़ी कार्रवाई, ना ही ठोस परिणाम। समय सीमा समाप्त हो चुकी है, लेकिन अवैध डॉक्टरों का धंधा तेजी से फलफूल रहा है।
147 पंजीकृत बनाम सैकड़ों अवैध संस्थान : प्रशासन कहां है?
शिवपुरी जिले में फिलहाल केवल 147 मेडिकल क्लीनिक और नर्सिंग होम ही वैध रूप से पंजीकृत हैं:
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18 एलोपैथिक नर्सिंग होम
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21 होम्योपैथिक क्लीनिक
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19 आयुर्वेदिक क्लीनिक
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2 नेचुरोपैथी क्लीनिक
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87 क्लीनिक, डेंटल और पैथोलॉजी लैब
बाकी? सैकड़ों की संख्या में फर्जी क्लीनिक और झोलाछाप डॉक्टर गांव-गांव में सक्रिय हैं, जिनका कोई पंजीकरण नहीं है और जो मानव जीवन को सीधा खतरे में डाल रहे हैं।
बिना ड्रग लाइसेंस के खुलेआम दवाओं की बिक्री
झोलाछाप डॉक्टर ना सिर्फ इलाज कर रहे हैं, बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस (Drug License) के दवाएं बेच और संग्रहित कर रहे हैं। उनके क्लीनिकों में दवाएं कार्डबोर्ड के डिब्बों में अव्यवस्थित ढंग से रखी जाती हैं।
मौसमी बीमारियों की आड़ में ये लोग ग्लूकोज की बोतल चढ़ाकर हर बीमारी का इलाज शुरू कर देते हैं – और इसके लिए ₹100 से ₹200 तक वसूले जाते हैं।
स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी: जिम्मेदार कौन?
यह सब कुछ स्वास्थ्य विभाग की जानकारी में हो रहा है, फिर भी अब तक किसी तरह की माहौल-निर्माण या सख्त कार्रवाई देखने को नहीं मिली। क्या ये मिलीभगत है या प्रशासन की लापरवाही?
निष्कर्ष: शिवपुरी में मेडिकल सिस्टम का मर्ज गंभीर है
शिवपुरी का ग्रामीण इलाका आज एक बड़े मेडिकल माफिया (Medical Mafia) की चपेट में है। समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह संकट हजारों निर्दोषों की ज़िंदगी लील सकता है। अब सवाल ये है – जांच दल क्या सिर्फ कागज़ों तक ही सीमित रहेंगे, या वास्तव में धरातल पर कुछ बदलेगा?
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Author: Tejas Reporter
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