नकली डॉक्टर, असली खतरा : झोलाछाप डॉक्टरों का मायाजाल, इलाज के नाम पर खिलवाड़, खतरे में जनता की जान

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रिपोर्ट-सूरज मेहरा
भोपाल, मध्यप्रदेश | भोपाल से सटे रायसेन रोड और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बिना किसी डिग्री के डॉक्टर बनने वालों की भरमार हो गई है। इन झोलाछाप डॉक्टरों ने गली-कूचों और छोटे गांवों में धड़ल्ले से क्लीनिक खोल लिए हैं और बिना किसी मेडिकल योग्यता के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वाले ये लोग सिर्फ पैसे कमाने की होड़ में झूठे दावे कर रहे हैं।
सिरदर्द, खांसी, जुकाम से लेकर गंभीर बीमारियों तक – ये झोलाछाप डॉक्टर हर समस्या का इलाज करने को तैयार हैं। हैरानी की बात यह है कि अधिकतर डॉक्टरों की उम्र 25 से 30 साल के बीच है, जिनका न तो कोई औपचारिक मेडिकल प्रशिक्षण है और न ही उपयुक्त वैधता प्रमाण पत्र।

गांव-गांव में चल रही अवैध चिकित्सा, सरकारी तंत्र की चुप्पी सवालों के घेरे में

रायसेन जिले के उदयपुरा ब्लॉक के अलीवाड़ा गांव में “माही क्लिनिक” नाम से चल रहे एक कथित चिकित्सा केंद्र में डॉ. ए.के. विश्वास मरीजों का इलाज कर रहे हैं। जब मीडिया ने उनसे उनकी मेडिकल डिग्री के बारे में पूछा, तो जवाब मिला – “कुछ नहीं किया, बस अनुभव से इलाज कर रहे हैं।”

यह अकेला मामला नहीं है। रायसेन समेत कई ग्रामीण इलाकों में दर्जनों ऐसे क्लीनिक खुल गए हैं, जहां बिना किसी योग्यता के लोग डॉक्टर बने बैठे हैं। कई जगह तो डॉक्टर के असिस्टेंट ही इलाज कर रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से फल-फूल रहा फर्जी डॉक्टरों का साम्राज्य

मीडिया जांच में सामने आया कि इन क्लीनिक्स में कहीं पर झोलाछाप डॉक्टर खुद मरीजों का इलाज कर रहे हैं, तो कहीं उनके असिस्टेंट इंजेक्शन और ड्रिप चढ़ा रहे हैं। जब इनसे पूछा गया कि क्या उनके पास MBBS या कोई मान्यता प्राप्त मेडिकल डिग्री है, तो कोई BHMS बता रहा था, कोई CCH, और कुछ तो पूरी तरह से फर्जी निकले।
अब सवाल यह उठता है कि क्या स्वास्थ्य विभाग को इस अवैध गतिविधि की जानकारी नहीं है? या फिर यह पूरी व्यवस्था उनकी मिलीभगत से चल रही है? अगर स्वास्थ्य विभाग सच में इन गतिविधियों से अनजान है, तो यह उनकी घोर लापरवाही दर्शाता है। और अगर उन्हें पता है, फिर यह भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है।

संभावित समाधान और कार्रवाई की आवश्यकता

स्वास्थ्य विभाग की सख्त निगरानी – अवैध क्लीनिक्स और फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।
साक्षरता और जागरूकता अभियान – ग्रामीण इलाकों में सही चिकित्सा प्रणाली और योग्य डॉक्टरों की पहचान को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाए।
कानूनी कार्रवाई – मेडिकल डिग्री के बिना इलाज करने वालों पर कानूनी कार्यवाही हो और उनकी क्लीनिकों को सील किया जाए।
मरीजों की सुरक्षा – सरकारी अस्पतालों की सुविधा और ग्रामीण क्षेत्रों में उचित स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत किया जाए, जिससे लोग इन झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में न पड़ें।
इनका कहना…
“आपके माध्यम से मामला मेरे संज्ञान में आया है,
मामले की जांच कर जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी।”

डॉ. महेंद्र सिंह धाकड़, बीएमओ-उदयपुरा, रायसेन
यह गंभीर मामला सिर्फ भोपाल-रायसेन का नहीं है, बल्कि पूरे देश में ऐसी घटनाएं हो रही हैं। जब तक स्वास्थ्य विभाग सख्त कदम नहीं उठाएगा, तब तक फर्जी डॉक्टरों का यह कारोबार यूं ही चलता रहेगा। आम जनता को भी सतर्क रहने की जरूरत है और इलाज के लिए केवल प्रमाणित डॉक्टरों के पास ही जाना चाहिए।

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