✍️रिपोर्ट-आजम लाला
भोपाल | हल्की बारिश और राजधानी भोपाल का ट्रैफिक सिस्टम ध्वस्त। जीजी फ्लाईओवर से प्रभात पेट्रोल पंप तक शाम हजारों गाड़ियां रेंगती रहीं। लोग घंटों जाम में फंसे रहे, लेकिन ट्रैफिक पुलिस का कहीं अता-पता नहीं था।
प्रदेश सरकार जहां हर साल केंद्र से करोड़ों का कर्ज जनता की सुविधाओं के नाम पर उठाती है, वहीं हकीकत यह है कि “स्मार्ट सिटी” का टैग लिए भोपाल हल्की बरसात में ही थका-हारा शहर नज़र आने लगता है।
जाम में फंसे एक युवक ने तंज कसते हुए कहा—“सरकार कर्ज लेती है स्मार्ट सिटी बनाने के लिए, लेकिन स्मार्टनेस सिर्फ बोर्डों पर नजर आती है, सड़कों पर नहीं।”
वहीं एक महिला ने नाराजगी जताई—“स्कूल से बच्चों को लेने निकली थी, लेकिन डेढ़ घंटे से गाड़ी अटकी है। अधिकारी तब नजर आते हैं, जब फोटो खिंचवानी हो।”
भोपालवासियों का कहना है कि महज आधे घंटे की बारिश में जलभराव और ट्रैफिक जाम आम हो चुका है। सवाल यह है कि करोड़ों के बजट और योजनाओं के बावजूद राजधानी की हालत ऐसी क्यों है?
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Author: SURAJ MEHRA
साल 2022 से लगातार पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत "सूरज मेहरा" आज भी निरंतर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति, करंट अफेयर्स में विशेष रुचि है , साथ ही ग्राउंड रिपोर्टिंग का अनुभव है , यहाँ मध्यप्रदेश की हर छोटी बड़ी हलचल पर नज़र रहती है
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