मृतक के अंतिम संस्कार के लिए ग्रामीणों को करना पड़ा बारिश थमने का इंतजार

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की बदहाली किस हद तक लोगों को परेशान कर रही है, इसका ताजा उदाहरण ग्राम पंचायत इंदार में देखने को मिला, जहां एक मृतक के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को बारिश थमने का घंटों इंतजार करना पड़ा। वजह – गांव में बने तीनों मुक्तिधामों की बदहाल हालत और दबंगों का अतिक्रमण।
शव रखे रहे, बारिश थमती रही
जानकारी के अनुसार इंदार गांव में बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात 49 वर्षीय भरोसा राम लोधी का लंबी बीमारी के चलते निधन हो गया। रात से ही गांव में रिमझिम बारिश जारी थी। लेकिन मुक्तिधाम में न तो टीन शेड था, न चबूतरे की पुख्ता हालत, ऐसे में परिजन पूरी रात शव के साथ बारिश थमने का इंतजार करते रहे।
सुबह 8 बजे बारिश कुछ देर के लिए थमी तो ग्रामीण अंतिम यात्रा लेकर मुक्तिधाम पहुंचे। लेकिन जैसे ही वहां पहुंचे, फिर से तेज बारिश शुरू हो गई, और लोगों को अंतिम संस्कार रोककर फिर से इंतजार करना पड़ा।
तीन मुक्तिधाम, एक भी उपयोग लायक नहीं
गांव में कुल तीन मुक्तिधाम हैं, लेकिन किसी में भी बारिश या धूप से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। मुख्य मुक्तिधाम पर पहले एक टीनशेड था, जो अब तेज हवाओं में उड़ चुका है। बाकी दो मुक्तिधामों पर तो कभी टीनशेड बना ही नहीं।
15 दिन पहले भी हुआ था तिरपाल से अंतिम संस्कार
यह पहली बार नहीं है जब ग्रामीणों को ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा हो। करीब पंद्रह दिन पहले महेश कोरी नामक व्यक्ति की मृत्यु के बाद भी गांव के लोगों को बारिश के बीच तिरपाल तानकर अंतिम संस्कार करना पड़ा था।
कागजों में सब कुछ ठीक, ज़मीनी हकीकत बिलकुल उलट
ग्रामीण सूत्रों का कहना है कि पूर्व सरपंचों और सचिवों के कार्यकाल में लाखों रुपये मुक्तिधामों के विकास पर खर्च दिखाए गए हैं। कागजों में शेड, पानी, चबूतरा और रास्ता तक उपलब्ध दिखाया गया है, लेकिन धरातल पर कोई सुविधा मौजूद नहीं है।
दबंगों का अतिक्रमण बनी बड़ी समस्या
मुक्तिधामों की बदहाली का एक बड़ा कारण दबंगों द्वारा किया गया अतिक्रमण भी है। तीनों मुक्तिधामों की जमीनों पर कब्जा कर लिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत ने अतिक्रमण हटाने की कोशिशें की थीं, लेकिन दबंगई और राजनैतिक संरक्षण के कारण कार्यवाही पूरी नहीं हो सकी।
सरपंच ने फोन काटा, चुप्पी साध ली
जब इस मामले में वर्तमान सरपंच रामसेवक परिहार से संपर्क किया गया तो उन्होंने मुक्तिधाम की स्थिति पर कोई भी बयान देने से इनकार करते हुए फोन काट दिया।
जनता की मांग: हो जांच और पुनर्निर्माण
ग्रामीणों ने मांग की है कि पंचायत द्वारा खर्च किए गए मुक्तिधाम के बजट की जांच हो, और तीनों मुक्तिधामों को अतिक्रमण मुक्त कराते हुए शेड, चबूतरा, पानी और प्रकाश की उचित व्यवस्था की जाए। ताकि आगे किसी को अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए इंतजार न करना पड़े।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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