रिपोर्ट: अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | शिवपुरी जिले की बामौर कलां ग्राम पंचायत में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर बीते छह माह से खाद्यान्न वितरण नहीं होने के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश है, लेकिन इस संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं गांव की महिलाएं, जिनके कंधों पर घर का संचालन और परिवार का पेट भरने की ज़िम्मेदारी है।
जब सरकार की योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हों और ज़मीनी हकीकत में महिलाएं राशन के लिए दर-दर भटक रही हों, तब आक्रोश फूटना स्वाभाविक है।
महिलाओं ने खोला मोर्चा: “अब चुप नहीं बैठेंगे!”
बामौर कलां की दर्जनों महिलाओं ने पंचायत भवन पहुंचकर जमकर विरोध दर्ज कराया। उनका आरोप है कि सेल्समैन और प्रबंधक की मिलीभगत से राशन वितरण रोका जा रहा है या राशन गायब कर दिया गया है।
शारदा जो तीन बच्चों की मां हैं, रोते हुए कहती हैं:
हमको दो-दो महीने से एक दाना नहीं मिला। ना आटा, ना चावल। अब तो बच्चे भी पूछते हैं – ‘माई, राशन कब मिलेगा?’”
रमेश वंशकार की पत्नी का कहना है कि – राशन नहीं मिलने पर जब हम सेल्समैन के पास गए तो उसने हमें कहा तुम जाकर इसकी कहीं भी शिकायत कर लो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।
अब राशन नहीं मिला तो हम पहले बस स्टैंड पर चक्का जाम करेंगे और फिर तहसील और कलेक्टर दफ्तर के सामने धरना देंगे। हमारी मजबूरी अब आंदोलन बन जाएगी।”
जनपद सदस्य ने किया खुलासा: “प्रशासन बना है बहरा और गूंगा”
इस पूरे मामले पर जनपद सदस्य करण सिंह ने खुलकर प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि वे स्वयं गांव में जाकर हालात देख चुके हैं और ग्रामीणों की पीड़ा को नजदीक से समझा है।
उनका कहना है:
गांव में लगभग 700 से 800 परिवार हैं, जिन्हें 2 से लेकर 6 माह तक राशन नहीं मिला। ये सीधी-सीधी गरीब जनता के साथ धोखाधड़ी है।”मैंने एसडीएम और कलेक्टर तहसीलदार सभी को फोन लगाए और उनसे निवेदन किया है कि वह जाकर स्थिति को देखे समझे और उनकी समस्याओं का निराकरण करें ।
अगर अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचते हैं तो एक उग्र आंदोलन किया जाएगा । अब प्रशासन को नींद से जगाना जरूरी हो गया है। हम जनता के साथ हैं और यदि जल्द कार्यवाही नहीं हुई तो आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी।”
जनता की मांग:
तत्काल हो राशन वितरण और दोषियों पर कार्रवाई
दोषी सेल्समैन और प्रबंधक को तत्काल हटाया जाए
खाद्यान्न वितरण की जांच के लिए जनपद स्तर पर महिला निगरानी समिति बनाई जाए
ग्रामीणों को तुरंत लंबित राशन वितरित किया जाए
जवाबदेही तय कर प्रशासन को चेताया जाए।
फूड इंस्पेक्टर भी गायब!
खाद्य विभाग के निरीक्षक से हमारे कार्यालय से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने भी कॉल रिसीव नहीं किया। इससे साफ है कि ऊपर से नीचे तक सिस्टम में जवाबदेही का अभाव है।
नारी शक्ति की हुंकार – “राशन नहीं, तो आंदोलन सही!”
बामौर कलां की महिलाएं अब कह रही हैं कि “वे अब सिर्फ चूल्हा नहीं जलाएंगी, बल्कि अन्याय के खिलाफ मशाल भी उठाएंगी।
यह मामला अब सिर्फ अनाज का नहीं रहा, बल्कि सम्मान, अधिकार और स्वाभिमान का बन गया है। अगर प्रशासन ने अब भी कान में तेल डाले रखा, तो जनपद और महिलाएं मिलकर सड़कों पर उतरेंगी।”
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Author: Raju Atulkar
तेजस रिपोर्टर डिजिटल के लिए काम करता हूं। पत्रकारिता में साल 2015 से सफर की शुरुआत की। अब समसामयिक विषयों पर खबरें लिखने में रुचि रखता हूं।
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