सीरियल किलर अरेस्ट: कैब ड्राइवर्स की हत्या कर शवों को फेंकता था पहाड़ियों में, गाड़ियां बेचता था नेपाल में

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रिपोर्ट – राजू अतुलकर
नई दिल्ली | देश की राजधानी दिल्ली से लेकर उत्तराखंड की पहाड़ियों तक, खौफ और रहस्य की एक ऐसी दास्तान सामने आई है जिसने पूरे पुलिस महकमे को झकझोर दिया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक खतरनाक और शातिर सीरियल किलर अजय लांबा को गिरफ्तार किया है, जो बीते दो दशकों से कानून की आंखों में धूल झोंककर कैब ड्राइवर्स की निर्मम हत्याएं करता रहा।
विभिन्न मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस हत्यारे की गिरफ्तारी के बाद एक-एक कर खौफनाक राज सामने आ रहे हैं। पुलिस को अजय लांबा के गिरोह के तीन और सदस्यों की तलाश है। अब तक चार कैब ड्राइवर्स की हत्या की पुष्टि हो चुकी है और दर्जनों अन्य गुमशुदा ड्राइवरों की फाइलें दोबारा खंगाली जा रही हैं, जिनमें इस गिरोह की संलिप्तता की आशंका है।
पहाड़ों में रची जाती थी मौत की साजिश
इस सीरियल किलर का अपराध करने का तरीका बेहद सुनियोजित और क्रूर था। अजय लांबा और उसके तीन साथी पहले रेंट पर कैब बुक करते, फिर ड्राइवर को लेकर उत्तराखंड की पहाड़ियों की ओर निकल जाते। वहां किसी सुनसान जगह पहुंचकर ड्राइवर को बेहोश किया जाता और फिर गला दबाकर हत्या कर दी जाती। इसके बाद शव को गहरी खाई में फेंक दिया जाता, ताकि कभी बरामद न हो सके।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन वारदातों को अंजाम देने के लिए गिरोह विशेष रूप से अल्मोड़ा, हल्द्वानी और उधमसिंह नगर जैसी लोकेशनों का चयन करता था, जहां सड़कों के किनारे गहरी खाइयां हैं और जंगलों की आड़ में शव छुपाना आसान होता है।
हत्या के बाद नेपाल में बेच देते थे कैब
हत्या के बाद ये हत्यारे कैब को लेकर सीधे नेपाल बॉर्डर क्रॉस करते थे, जहां पहले से तय किए गए खरीदारों को कैब बेच दी जाती थी। यह काम गिरोह इतने पेशेवर तरीके से करता था कि पुलिस को लंबे समय तक इस गिरोह की भनक तक नहीं लगी।
अब तक केवल एक ड्राइवर का शव बरामद किया जा सका है, जबकि तीन अन्य की तलाश जारी है। पुलिस ने नेपाल के विभिन्न इलाकों में इन कैब्स के मिलने की भी संभावना जताई है और इंटरपोल व नेपाल पुलिस से संपर्क किया है।
10 साल नेपाल में छिपकर रहा अजय लांबा
गिरफ्तार किया गया आरोपी अजय लांबा बेहद शातिर और चालाक अपराधी है। पुलिस के अनुसार वह बीते 10 वर्षों से नेपाल में छिपकर रह रहा था, जहां उसने एक नेपाली मूल की महिला से शादी भी कर ली थी। उसने अपना नाम और पहचान बदल ली थी और सामान्य जीवन जी रहा था। लेकिन एक पुराने मोबाइल लोकेशन और गुप्त सूत्रों की मदद से दिल्ली पुलिस ने उसे आखिरकार पकड़ लिया।
यह पहला मौका नहीं है जब अजय लांबा कानून के शिकंजे में आया है। इससे पहले भी वह दिल्ली में ड्रग तस्करी के मामले और ओडिशा में एक बड़ी डकैती के केस में जेल जा चुका है।
2001 से सक्रिय था गिरोह
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि अजय लांबा का यह गिरोह वर्ष 2001 से दिल्ली और उत्तराखंड में सक्रिय है। गैंग का एक और सदस्य धीरज फिलहाल फरार है, जिसकी तलाश में पुलिस टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं। पुलिस को उम्मीद है कि धीरज की गिरफ्तारी के बाद कई और हत्या और गुमशुदगी के मामलों का पर्दाफाश हो सकेगा।
क्राइम ब्रांच के अधिकारी के अनुसार, अजय लांबा से पूछताछ के दौरान कई अनसुलझे केस दोबारा खोले जा चुके हैं। वह हत्याओं को अंजाम देने के बाद महीने भर गायब रहता था और फिर किसी नए शहर से अपराध की नई योजना बनाता था।
पुलिस की चौकसी से टूटा 20 साल पुराना तंत्र
इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि कैसे एक संगठित अपराध गिरोह इतने लंबे समय तक सक्रिय रह सकता है, और कैसे लापता ड्राइवरों की रिपोर्टें आपस में लिंक नहीं हो पातीं। यदि दिल्ली और उत्तराखंड पुलिस समय रहते इन मामलों में समन्वय बनाती तो शायद कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं।
दिल्ली पुलिस आयुक्त ने बताया कि इस गिरफ्तारी को पुलिस की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है और अब अन्य राज्यों को भी अलर्ट किया गया है कि वे अपने यहां पिछले वर्षों में गायब हुए कैब ड्राइवर्स के मामलों की जांच इस गिरोह से जोड़कर करें।
क्या अभी और हत्याओं का होगा खुलासा?
फिलहाल पुलिस अजय लांबा से लगातार पूछताछ कर रही है। अधिकारियों को पूरा विश्वास है कि जल्द ही अन्य राज्यों की कई गुमशुदगी की फाइलें इस केस से जुड़ेंगी। शुरुआती जांच में ही संकेत मिले हैं कि यह गिरोह न सिर्फ उत्तर भारत में बल्कि नेपाल सीमा से सटे राज्यों में भी सक्रिय रहा है।
अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि अजय लांबा और उसके साथियों से कितने और चौंकाने वाले खुलासे होते हैं।
अजय लांबा की गिरफ्तारी ने यह साफ कर दिया है कि अपराध कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून के हाथ लंबे होते हैं। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े अपराध नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, लेकिन असली राहत तब होगी जब इस गिरोह के सभी सदस्य गिरफ्तार होंगे, और गायब हुए ड्राइवरों के परिवारों को न्याय मिलेगा।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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