रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले में एक बार फिर आदिवासी अधिकारों की गूंज बुलंद हो रही है। इस बार यह आवाज “सहरिया क्रांति” नामक संगठन की ओर से उठाई गई है, जो पोहरी विधायक कैलाश कुशवाह की कथित अभद्रता के विरोध में मुखर हो गई है। मामला सहरिया समाज के एक युवा नेता औतार भाई सहरिया से जुड़ा है, जिनके साथ विधायक द्वारा किए गए कथित अपमानजनक व्यवहार ने पूरे आदिवासी समुदाय में असंतोष की चिंगारी भड़का दी है।
शनिवार को आदिवासी समाज के युवाओं ने “सहरिया क्रांति” संगठन के नेतृत्व में
जिला मुख्यालय पहुंचकर प्रदर्शन किया और कलेक्टर कार्यालय के सामने नारेबाजी करते हुए एडीएम को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में विधायक की कथित अभद्र भाषा और सरकारी योजनाओं के लाभ में हो रही राजनीतिक बाधाओं को लेकर कड़ा विरोध जताया गया।
क्या है पूरा मामला?
घटना की शुरुआत ग्राम में लगे एक नए बोरवेल में मोटर लगवाने की मांग से हुई थी। इस संबंध में सहरिया समाज के युवा औतार भाई ने विधायक कैलाश कुशवाह से संपर्क किया। विधायक ने उन्हें अपने निवास पर बुलाया, लेकिन वहां जो संवाद हुआ, उसने आदिवासी समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाई।
आरोप है कि विधायक ने कहा –
“जब गाँव में बोर लगाया गया था, तब तुम्हें मुझे माला पहनाने आना चाहिए था। जब तुम सम्मान नहीं करोगे, तो मैं तुम्हारे गाँव में कोई काम नहीं होने दूँगा।”
इस कथन को सहरिया क्रांति ने आदिवासी समाज के लिए सार्वजनिक अपमान की संज्ञा दी है। संगठन के अनुसार यह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे समुदाय का अपमान है।
प्रशासन को सौंपा गया पाँच सूत्रीय ज्ञापन
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सहरिया क्रांति संगठन ने ज्ञापन के माध्यम से पाँच प्रमुख माँगें रखीं, जिनमें विशेष रूप से निम्न बिंदु शामिल हैं:
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सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे हितग्राहियों तक पहुँचे, किसी भी जनप्रतिनिधि की मध्यस्थता अनिवार्य न हो।
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नेताओं के आवास पर बुलाकर अपमानजनक व्यवहार की परंपरा समाप्त हो। अधिकारी स्वयं गाँवों में जाकर समस्याएँ सुनें।
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जनप्रतिनिधियों की भाषा और व्यवहार पर निगरानी रखी जाए।
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भविष्य में किसी जनप्रतिनिधि द्वारा अपमानजनक भाषा प्रयोग पर तत्काल एफआईआर हो।
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आदिवासी समुदाय के स्वाभिमान की रक्षा के लिए विशेष जिला मॉनिटरिंग कमेटी गठित की जाए।
क्या बोले सहरिया क्रांति संगठन के पदाधिकारी?
संगठन के प्रमुख सदस्यों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “यह लड़ाई किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए है।” उन्होंने चेताया कि यदि जल्द ही प्रशासन इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं करता, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
समर्थन में आगे आए अन्य संगठन
इस विरोध प्रदर्शन को अन्य सामाजिक संगठनों और युवाओं का भी समर्थन मिल रहा है। जिले में यह पहली बार है जब आदिवासी समुदाय ने संगठित रूप से किसी विधायक के खिलाफ इतना मुखर होकर मोर्चा खोला है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
एडीएम ने ज्ञापन लेते हुए मामले की गंभीरता को समझने का आश्वासन दिया और कहा कि ज्ञापन की प्रतिलिपि संबंधित अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों तक पहुंचाई जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया कि प्रशासन आदिवासी समुदाय की गरिमा की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
विधायक कैलाश कुशवाह के कथित बयान ने एक बार फिर आदिवासी समाज और सत्ता के बीच की दूरी को उजागर किया है। सहरिया क्रांति द्वारा उठाई गई माँगें न सिर्फ समाज की पीड़ा को दर्शाती हैं, बल्कि एक जागरूक नागरिक समाज के निर्माण की ओर भी संकेत करती हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन और सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या ठोस कदम उठाए जाते हैं।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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