✍️ रिपोर्ट : अतुल कुमार जैन
बामौरकलां (जिला शिवपुरी) | मंगलवार की रात बामौरकलां ग्राम में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब कस्बे की गारमेंट्स की दुकान में अचानक आग भड़क उठी। देखते ही देखते आग ने इतना विकराल रूप ले लिया कि दुकान के साथ-साथ ऊपर बने मकान को आग ने भी अपनी चपेट में ले लिया। यह दो मंजिला भवन पूरी तरह जल गया और गृहस्थी का सारा सामान राख हो गया। व्यापारी के अनुसार इस हादसे में कुल मिलाकर लगभग 1.25 करोड़ रुपये की हानि हुई है।
सूचना मिलते ही पहुंचा परिवार, लेकिन तब तक सब कुछ जल चुका था
परदेशीपुरा निवासी व्यापारी विवेक गुप्ता की ‘संस्कार रेडीमेड गारमेंट्स’ नामक दुकान कस्बे के मुख्य बाजार में स्थित है। वे अपने परिवार सहित दुकान के ऊपर बने आवास में रहते हैं। प्रतिदिन की तरह उनका बेटा संस्कार गुप्ता रात 8 बजे दुकान बंद कर ऊपर चला गया था। लगभग 9:15 बजे मोहल्ले के मनोज गुप्ता जब दुकान के सामने से गुजरे तो उन्होंने शटर के किनारे से धुआं निकलते देखा। उन्होंने तत्काल विवेक गुप्ता को इसकी सूचना दी।
सूचना मिलते ही विवेक गुप्ता परिवार सहित नीचे पहुंचे और जब शटर खोला, तो अंदर आग विकराल रूप ले चुकी थी। उन्होंने तुरंत पुलिस व दमकल विभाग को सूचना दी।
बिजली बंद होने से नहीं चला बोर, आग पर काबू पाना हुआ मुश्किल
हादसे के समय बिजली गुल थी, जिससे बोरिंग चालू नहीं हो सकी। पड़ोसियों ने अपने घरों में रखा पानी फेंककर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन कपड़े की दुकान में रखा सामान बारूद की तरह जलता रहा। दमकल वाहन को पहुंचने में लगभग एक घंटे का समय लग गया। तब तक चंदेरी, पिछोर और खनियाधाना से दमकलें बुलाई जा चुकी थीं, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। आग ने पूरे भवन को निगल लिया।
सपनों की दुकान और घर राख हो गया
विवेक गुप्ता ने बताया कि दुकान में लगभग 60 लाख रुपये का कपड़ा, 20 लाख रुपये का फर्नीचर, 3 लाख रुपये नकद, तथा सोने-चांदी के गहने रखे थे। इसके अलावा पूरी गृहस्थी का सामान भी जलकर खाक हो गया। “एक दिन पहले ही हमने 10 लाख रुपये की साड़ियाँ मंगवाई थीं, वे भी जलकर राख हो गईं”
प्रशासनिक लापरवाही और बिजली विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि बिजली विभाग समय पर विद्युत आपूर्ति करता या समय पर फोन उठाता, तो बोरिंग चालू करके आग पर प्रारंभिक रूप से नियंत्रण पाया जा सकता था। एक घंटे की देरी से पहुंची दमकलों की असमर्थता ने नुकसान को और बढ़ा दिया।
पड़ोसी राकेश सोनी ने अपने घर का सामान बाहर निकाला और चार गैस सिलिंडरों को भी सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। गनीमत रही कि कोई जनहानी नहीं हुई, अन्यथा आग और भीषण तबाही मच सकती थी।
रातभर जागा मोहल्ला, सुबह तीन बजे आग पर पाया गया काबू
पूरी रात मोहल्ले के लोग नींद से वंचित रहे। महिलाएं और बच्चे सहमे हुए थे। लगातार पानी डालने और तीनों दमकलों की मदद से सुबह तीन बजे के करीब आग पर काबू पाया गया।
सवाल यही है — क्या आम जन की मेहनत की कमाई इतनी सस्ती है?
यह हादसा एक बार फिर प्रशासन और विभागीय मशीनरी की निष्क्रियता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है। क्या किसी व्यापारी की मेहनत, उसके सपने, उसकी गृहस्थी इतनी सस्ती है कि वह आग की लपटों में यूँ ही स्वाहा हो जाए? क्या संकट की घड़ी में विभागों की यह उदासीनता स्वीकार्य है?
मुख्य तथ्य संक्षेप में :
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दुकान : संस्कार रेडीमेड गारमेंट्स, बामौरकलां
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मालिक : विवेक गुप्ता
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हानि : 1.25 करोड़ रुपये (कपड़े, नकद, गहने, फर्नीचर, घर सहित)
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कारण : प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट की आशंका
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आग पर काबू : लगभग 6 घंटे बाद, तीन दमकलों की मदद से
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दोष : बिजली कटौती, दमकल की देरी और प्रशासनिक उदासीनता
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