बुजुर्ग महिला के घर हुई लाखों की चोरी का अब तक नहीं हुआ खुलासा, पीड़ित परिवार ने उठाए पुलिस जांच पर सवाल

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले के बामौरकला गांव में 17 और 18 मई की दरम्यानी रात बुजुर्ग महिला उर्मिला गुप्ता के घर हुई लाखों की चोरी की वारदात अब तक अनसुलझी है। घटना के 17 दिन बाद भी न तो कोई आरोपी गिरफ्तार हो पाया है और न ही चोरी गए सामान का कोई सुराग लगा है। इस निष्क्रियता को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
क्या था मामला?
18 मई की रात करीब 2 से 3 बजे के बीच अज्ञात चोर मुख्य दरवाजे का ताला तोड़कर उर्मिला गुप्ता के घर में दाखिल हुए और अलमारी से कीमती सामान चुरा ले गए। चोरी हुए सामान में शामिल है:
दो जोड़ी सोने की बालियां
दो सोने के हार
चार सोने की अंगूठियां
लगभग आधा किलो चांदी
₹20,000 नकद व कुछ रेजगारी
एक एलसीडी टीवी
घटना के वक्त घर में उर्मिला गुप्ता की बहू माधवी गुप्ता और नातिन मौजूद थीं। सुबह 4 बजे जब उनकी नींद खुली तो चोरी का खुलासा हुआ था।
फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट और अधिकारी मौके पर पहुँचे
घटना की जानकारी मिलते ही बामौरकला थाना प्रभारी राजकुमार चाहर मौके पर पहुँचे और जांच शुरू की गई। फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट ने दरवाजों व अलमारी से उंगलियों के निशान जुटाए। उसी शाम एसडीओपी पिछोर प्रशांत शर्मा ने भी घटनास्थल का निरीक्षण कर पीड़ित परिवार को त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
17 दिन बाद भी नतीजा शून्य, पीड़िता बोलीं — मानसिक आघात झेल रहे
उर्मिला गुप्ता ने कहा—
“यह सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं, मानसिक रूप से भी बहुत पीड़ादायक है। पुलिस ने शुरुआत में सक्रियता दिखाई, लेकिन अब न कोई पूछने आता है, न प्रगति की जानकारी देता है।”
गांव में बढ़ा असंतोष, गश्त बढ़ाने की मांग
ग्रामीणों का कहना है कि:
क्षेत्र पहले शांत माना जाता था, लेकिन अब चोरी की घटनाएं बढ़ रही हैं
रात्रिकालीन गश्त केवल औपचारिकता बनकर रह गई है
चोरों के हौसले बुलंद हैं, जबकि ग्रामीणों में भय का माहौल है
ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन से मांग की है कि:
रात्रिकालीन पेट्रोलिंग बढ़ाई जाए
चोरी के मामलों में ठोस और समयबद्ध कार्रवाई की जाए।
पुलिस का जवाब: चेहरा नहीं साफ, डेटा एनालिसिस से पहचान की कोशिश
थाना प्रभारी राजकुमार चाहर ने पहले कहा था—
 “सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं, फिंगरप्रिंट लिए गए हैं, संदेह के आधार पर पूछताछ की जा रही है।”
अब उनका कहना है—
 “हमें जो सीसीटीवी फुटेज मिले हैं, उनमें चोरों के चेहरे स्पष्ट नहीं हैं। उनकी पहचान करना कठिन हो रहा है। हम उपलब्ध डेटा का एनालिसिस कर रहे हैं ताकि संदिग्धों की पहचान की जा सके।”
अब सवाल उठते हैं—
क्या पुलिस के पास कोई ठोस लीड नहीं है, या जांच में शिथिलता बरती जा रही है?
क्या यह मामला किसी सक्रिय चोरी गिरोह से जुड़ा है, जैसा प्रारंभिक जांच में संकेत मिला था?
अगर हां, तो उस गिरोह की गतिविधियों का अब तक कोई सुराग क्यों नहीं मिला?
जरूरी है पारदर्शिता और जवाबदेही
बामौरकला जैसी शांत बस्ती में हुई इतनी बड़ी चोरी और पुलिस की धीमी कार्रवाई न केवल पीड़ित परिवार के लिए चिंता का विषय है, बल्कि आम जन में कानून-व्यवस्था के प्रति भरोसे को भी कमजोर करती है।
अब आवश्यकता है कि—
पुलिस जांच की स्थिति पारदर्शी ढंग से सार्वजनिक की जाए
हर सप्ताह प्रगति रिपोर्ट साझा की जाए
सीसीटीवी और फिंगरप्रिंट रिपोर्ट का विश्लेषण तेज़ी से पूरा किया जाए
संदिग्धों से सख्त पूछताछ कर अपराधियों को जल्द पकड़ने की दिशा में काम हो।

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