रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले के पिछोर अनुविभाग के भौंती थाना अंतर्गत खोड़ चौकी क्षेत्र में एक गहरे रहस्य से परदा उठने की उम्मीद जगी है। 30 मई को जंगल में लकड़ियां बीनने गए एक आदिवासी दंपत्ति को नर खोपड़ी और हड्डियां मिलीं, जिन पर उन्होंने अपने 7 वर्षीय दिव्यांग बेटे की पहचान का दावा किया है। यह बच्चा 17 मार्च को इसी जंगल में लकड़ी बीनते समय लापता हो गया था।
खोड़ चौकी पुलिस ने मौके से खोपड़ी, कपड़े और अन्य हड्डियां बरामद कर जांच शुरू कर दी है। हालांकि शव की पुष्टि अब डीएनए टेस्ट के माध्यम से की जाएगी।
गहरे दुख के बीच उम्मीद की एक किरण
ग्राम पंचायत चंदावनी के अमरपुर गांव निवासी विजय आदिवासी और उनकी पत्नी के अनुसार, 17 मार्च को उनका बेटा संदीप आदिवासी (उम्र 7 वर्ष), जो जन्म से दिव्यांग था, उनके साथ जंगल में लकड़ी बीनने गया था। काम के दौरान संदीप अचानक आंखों से ओझल हो गया। परिजनों ने उसे कई घंटे तक खोजा, मगर उसका कोई सुराग नहीं मिला।
तीन दिन बाद, 20 मार्च को उन्होंने खोड़ चौकी पहुंचकर बेटे की गुमशुदगी की सूचना दी। पुलिस ने भी क्षेत्र में सर्च अभियान चलाया लेकिन बच्चे का कोई पता नहीं चल सका।
तीन महीने बाद उसी जंगल में मिलीं अवशेष
30 मई को जब विजय और उनकी पत्नी एक बार फिर उसी जंगल में लकड़ी बीनने गए, तो उन्हें एक झाड़ी के पास एक खोपड़ी और कुछ हड्डियां पड़ी मिलीं। इसके साथ ही वहां बालक के कपड़े भी पड़े हुए थे, जिन्हें देखकर माता-पिता ने दावा किया कि यह उनके बेटे संदीप के हैं।
मां-बाप ने कपड़ों और चप्पलों के आधार पर अवशेषों की पहचान की।
पुलिस ने किया बरामद, डीएनए जांच होगी निर्णायक
पुलिस ने मौके से खोपड़ी, हड्डियां और कपड़े बरामद कर लिए हैं। भौंती थाना प्रभारी ने बताया कि “अभी मृतक की शिनाख्त कपड़ों के आधार पर की गई है, लेकिन यह पुष्टि तभी होगी जब डीएनए जांच में यह अवशेष बच्चे के पिता से मेल खाएंगे।”
अधिकारियों के अनुसार, हड्डियों और पिता विजय आदिवासी के डीएनए नमूने लेकर परीक्षण के लिए भेजे जा रहे हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही शव की पहचान पर अंतिम मुहर लगेगी।
सवाल खड़े करता है यह मामला
इस दर्दनाक घटना ने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं:
जंगल में इतने दिनों तक शव के अवशेष कैसे सुरक्षित रहे?
यदि यह संदीप का शव है, तो उसकी मौत कैसे हुई – दुर्घटना, जंगली जानवर का हमला या कुछ और?
क्या उस समय तलाशी में कोई चूक हुई थी?
पुलिस ने सभी पहलुओं पर जांच शुरू कर दी है।
परिजनों की व्यथा
संदीप के माता-पिता पूरी तरह टूट चुके हैं। विजय आदिवासी ने रोते हुए कहा,
“तीन महीने से बेटे को ढूंढ रहे थे। अब हड्डियां और खोपड़ी मिली है। कपड़े वही हैं जो संदीप के थे। बस डीएनए रिपोर्ट की देर है।”
समुदाय में शोक और चिंता का माहौल
अमरपुर गांव में यह खबर फैलते ही शोक का माहौल बन गया। ग्रामीणों का कहना है कि संदीप के लापता होने के बाद से गांव में बच्चों को जंगल ले जाना बंद कर दिया गया था। अब इस खोज ने एक बार फिर जंगल में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह मामला सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम की जिम्मेदारी का भी आईना है।
अब पूरा गांव डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है, ताकि यह रहस्य पूरी तरह से साफ हो सके कि जंगल में मिली ये हड्डियां किसी मां-बाप की उम्मीदों का अंत हैं या फिर किसी और अनकही कहानी की शुरुआत।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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