एक शरीर से एक मन से बलवान है” – मुनिश्री निरापद सागर जी महाराज

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रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
बामौर कलां | आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिश्री निरापद सागर जी महाराज, मुनिश्री नीरज सागर जी महाराज और मुनिश्री निरामद सागर जी महाराज ससंघ दस पिछी के साथ बामौर कलां पहुंचे। यहां अशोकनगर जैन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल, महामंत्री राकेश अमरोद, कोषाध्यक्ष सुनील अखाई, मंत्री विजय धुर्रा, कबूल चंद्र कोरवास, बिट्टू जैन, ऋषभ कुमार कोरवास सहित अनेक श्रद्धालु पहुंचे और मुनि संघ को श्रीफल भेंट कर अशोकनगर पधारने का विनम्र आग्रह किया।
मुनिश्री का संदेश: “सहजता और सरलता से जीवन होगा उन्नत”
इस अवसर पर मुनिश्री निरापद सागर जी महाराज ने कहा कि आज का जीवन बनावटी होता जा रहा है, जिससे व्यक्ति वास्तविकता से दूर होता जा रहा है। उन्होंने श्रद्धालुओं को सहजता और सरलता अपनाने का संदेश दिया। मुनिश्री ने कहा—
“संत समागम से जो ज्ञान प्राप्त होता है, उसे केवल सुनने तक सीमित न रखें, बल्कि उसे अपनी दैनिक दिनचर्या में अपनाएं। जीवन में सरलता और सहजता आएगी तो मानसिक शांति मिलेगी और व्यक्ति आत्मिक रूप से मजबूत बनेगा।”
अशोकनगर बड़ी जैन समाज, आपके पधारने से लाभ मिलेगा” – विजय धुर्रा
इस दौरान अशोकनगर जैन समाज के मंत्री विजय धुर्रा ने मुनि संघ को अशोकनगर पधारने का आग्रह करते हुए कहा कि—
“अशोकनगर में जैन समाज बहुत बड़ी है और आपके पधारने से समाज को आध्यात्मिक लाभ मिलेगा। यहां केवल तीन दिन का प्रवास होगा, जिसके बाद जिले के प्रमुख तीर्थ थूवोनजी में भी परम पूज्य के चरण पड़ेंगे। वहां भी हमें सेवा का सौभाग्य प्राप्त होगा।”
बामौर कलां जैन समाज ने किया अतिथियों का सम्मान

इस शुभ अवसर पर बामौर कलां जैन समाज के अध्यक्ष कीर्ति जैन, डॉ. चक्रेश जैन, संतोष पत्रकार, अतुल जैन पत्रकार, सुमत चंद्र जैन सहित कई श्रद्धालुओं ने अशोकनगर जैन समाज के अध्यक्ष राकेश कासंल, महामंत्री राकेश अमरोद, कोषाध्यक्ष सुनील अखाई सहित सभी अतिथियों का स्नेहपूर्वक सम्मान किया।
धर्म हमें सही मार्ग दिखाता है” – मुनिश्री नीरज सागर जी महाराज
इससे पहले मुनिश्री नीरज सागर जी महाराज ने श्रद्धालुओं को धर्म की राह पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा—
“धर्म हमें सही मार्ग दिखाता है, लेकिन उस पर चलना हमें ही पड़ेगा। कोई भी बिना चले मंजिल तक नहीं पहुंच सकता। श्रमण धर्म और श्रावक धर्म के रूप में धर्म के दो स्वरूप बताए गए हैं। हमें अपने जीवन में श्रावक धर्म को सच्चे मन से अपनाना होगा। दान, पूजा, शील और उपवास को जीवन में महत्व देना चाहिए। दान के भी चार भेद हैं – ज्ञान दान, करुणा दान, पात्र दान और अभय दान। इन सभी का अपना महत्व है और इनका पालन करने से ही सच्चे अर्थों में धर्म की साधना संभव है।”
श्रद्धालुओं ने लिया धर्म मार्ग पर चलने का संकल्प
इस प्रवचन से श्रद्धालु अत्यंत प्रभावित हुए और उन्होंने सद्गुणों को अपनाने तथा धर्म मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के दौरान जैन समाज के गणमान्य व्यक्तियों ने मुनि संघ का आशीर्वाद प्राप्त किया और उनके आगामी प्रवास की शुभकामनाएं दीं।
मुनि संघ का प्रवास: आध्यात्मिक उन्नति का अवसर
मुनि संघ के अशोकनगर पधारने की खबर से वहां के श्रद्धालुओं में उत्साह का संचार हो गया है। आगामी दिनों में अशोकनगर और थूवोनजी में जैन समाज को उनके पावन प्रवचनों और आध्यात्मिक उपदेशों का लाभ मिलेगा।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

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