रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | शहर के प्रतिष्ठित एमएम हॉस्पिटल में इलाज में लापरवाही और पैसों की मांग को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया। मंगलवार रात एक सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज रोकने का आरोप लगाया, जिससे अस्पताल के बाहर भारी हंगामा हुआ। स्थिति तब और बिगड़ गई जब अस्पताल के संचालक व डॉक्टर आरपी सिंह खुद अपने स्टाफ के साथ हाथ में बैसबॉल का डंडा लेकर परिजनों से भिड़ गए। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने के बाद प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गए।
अस्पताल में पैसे न देने पर रोका इलाज, सड़क पर परिजनों का हंगामा
मंगलवार शाम, बड़ौदी क्षेत्र में कबाड़ का ठेला लगाने वाले अशोक खटीक (48) निवासी सईसपुरा को एक बाइक सवार ने टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। परिजन तत्काल उन्हें एमएम हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया लेकिन जल्द ही अस्पताल प्रबंधन ने एडवांस में ₹40,000 जमा करने की मांग रख दी। परिजनों ने तुरंत इतनी राशि देने में असमर्थता जताई और इलाज जारी रखने की गुहार लगाई, लेकिन आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने भुगतान न होने पर उपचार बंद कर दिया, जिससे घायल व्यक्ति की मृत्यु हो गई।
इस घटना के बाद परिजन आक्रोशित हो गए और शव को सड़क पर रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। करीब दो घंटे तक चले इस हंगामे के दौरान अस्पताल प्रबंधन और मृतक के परिजनों के बीच तीखी बहस हुई, जो देखते ही देखते हिंसक रूप ले गई।
डॉक्टर और स्टाफ ने बैसबॉल के डंडे से की मारपीट, वीडियो हुआ वायरल
विरोध के दौरान अस्पताल संचालक डॉ. आरपी सिंह, अपने गार्ड और अन्य स्टाफ के साथ हाथ में बैसबॉल का डंडा लेकर बाहर आए और मृतक के परिजनों से मारपीट कर दी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही जनता और प्रशासन में आक्रोश फैल गया।
घटना की जानकारी मिलते ही कोतवाली थाना प्रभारी कृपाल सिंह राठौड़ समेत पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को काबू में किया। पुलिस ने डॉक्टर और उनके सहयोगियों के खिलाफ मारपीट का मामला दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी है।
अस्पताल का पंजीयन रद्द, स्वास्थ्य विभाग ने दिए जांच के आदेश
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होते ही सीएमएचओ डॉ. संजय ऋषिश्वर ने स्वत: संज्ञान लेते हुए एमएम हॉस्पिटल का पंजीयन तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही, तीन डॉक्टरों की जांच कमेटी गठित कर दी गई है, जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस दौरान अस्पताल में कोई नया इलाज नहीं किया जाएगा।
शहरभर में इस घटना की कड़ी निंदा हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब डॉक्टर ही हिंसा पर उतर आएं, तो मरीजों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा? पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की आगे की कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।
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Author: Tejas Reporter
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