दहेज लोभियों को करारा तमाचा : इनकम टैक्स इंस्पेक्टर ने लौटाया 5 लाख 51 हजार का टीका, दूल्हे के पिता बोले- “बेटी दे दी और क्या चाहिए”

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रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | दहेज की कुप्रथा पर करारा प्रहार करते हुए, एक इनकम टैक्स इंस्पेक्टर और उनके परिवार ने सामाजिक चेतना का अप्रतिम उदाहरण प्रस्तुत किया। दिल्ली में पदस्थ वीरेंद्र सिंह धाकड़ ने अपने छोटे भाई की शादी में दूल्हे पक्ष को मिलने वाले 5 लाख 51 हजार रुपए के टीका (फलदान) में लड़की पक्ष द्वारा दी जा रही राशि को ससम्मान लौटा दिया। जब लड़की पक्ष ने यह राशि भेंट करने की कोशिश की, तो वीरेंद्र और उनके पिता ने इसे लेने से स्पष्ट इनकार कर दिया।
वीरेंद्र के पिता ने समाज के मुंह पर करारा तमाचा जड़ते हुए कहा—
बेटी सौंप दी, इससे बड़ा उपहार और क्या हो सकता है?
इस बयान ने समारोह में मौजूद हर व्यक्ति को झकझोर दिया। यह न केवल एक परिवार की सोच का प्रतिबिंब था, बल्कि संकीर्ण मानसिकता वालों को आईना दिखाने वाला सशक्त संदेश भी था।

  • दहेज नहीं, बेटी अनमोल है! शिवपुरी में गूंजी इंसानियत की आवाज
  • इनकम टैक्स अफसर का बड़ा कदम : शादी में ठुकराया 5.51 लाख का दहेज
  • शिक्षक ने 40 लाख का दहेज ठुकराकर दिया था समाज को दिया ईमानदारी का संदेश
  • जब पिता ने कहा— “बेटी ही सबसे बड़ा उपहार है!”
  • दहेज लोभियों के लिए सबक : शिवपुरी में मिसाल बनी यह शादी
  • दहेज मुक्त भारत की ओर एक और कदम : परिवार ने लौटाए लाखों रुपये

दहेज का धन नहीं, संस्कार चाहिए

शिवपुरी के सिया मैरिज गार्डन में आयोजित इस समारोह में जब टीके की रस्म पूरी हुई, तो लड़की पक्ष द्वारा लाई गई 5.51 लाख की थाली को वापस लौटाते हुए वीरेंद्र ने दहेज प्रथा के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई।
समारोह में मौजूद लोगों को लगा कि शायद कोई गलतफहमी हो गई है, लेकिन जब वीरेंद्र ने दहेज प्रथा पर अपनी स्पष्ट राय रखी, तो पूरा माहौल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उन्होंने कहा—
“हमने अपने बड़े बेटे की शादी में भी दहेज नहीं लिया था और आज भी हमारी सोच वही है। हमें धन नहीं, संस्कार चाहिए।”

जब शिक्षक ने 40 लाख का दहेज ठुकराया

शिवपुरी जिले के करैरा में भी कुछ समय पहले ऐसा ही एक साहसिक कदम देखने को मिला था। लोधी समाज के शिक्षक अमर सिंह लोधी ने अपने बेटे की सगाई के दौरान 40 लाख रुपये के दहेज को ठुकरा दिया था। उन्होंने दहेज के रूप में केवल 501 रुपये और एक नारियल स्वीकार किया, जो सादगी और मानवीय मूल्यों का प्रतीक था।

दहेज प्रथा : एक सामाजिक अभिशाप

आज भी समाज में कई लोग दहेज को एक ‘परंपरा’ मानते हैं, जबकि यह महिलाओं के शोषण का एक घिनौना हथकंडा है। शादी जैसे पवित्र रिश्ते को धन की तराजू पर तौलना नैतिक रूप से दिवालियापन है। वीरेंद्र सिंह धाकड़ और अमर सिंह लोधी जैसे लोग नई सोच के वाहक हैं, जो इस प्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकने का साहस रखते हैं।

समाज को चाहिए ऐसे नायक

दहेज लोभियों को सबक सिखाने के लिए समाज में वीरेंद्र सिंह धाकड़ और अमर सिंह लोधी जैसे नायकों की जरूरत है। यह केवल एक परिवार का फैसला नहीं था, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक नई राह दिखाने वाली प्रेरणादायक घटना थी।

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