न दहेज, न दिखावा! बेटे की सगाई में पिता ने 40 लाख का ऑफर ठुकराया, 501 रुपए का नेक लेकर कहा- “मैं इन पैसों से अमीर नहीं बन सकता “

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रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
शिवपुरी जिले के करैरा में एक साधारण सा समारोह हो रहा था, लेकिन यह कोई आम आयोजन नहीं था। यह एक ऐसा अवसर था, जिसने पूरे समाज को एक नई दिशा देने का कार्य किया। यह कहानी है शिक्षक अमर सिंह लोधी की, जिन्होंने अपने बेटे की सगाई में 40 लाख रुपए का ऑफर ठुकराकर सिर्फ 501 रुपए का सगुन लिया और समाज के सामने एक मिसाल पेश की।

एक पिता का बड़ा फैसला

अमर सिंह लोधी, जो बीआरसी कार्यालय में शिक्षक हैं, हमेशा से समाज सुधार के पक्षधर रहे हैं। उनके बेटे कपिल लोधी रेलवे में सहायक उपयंत्री के पद पर चयनित हुए थे, और यह उनके लिए गर्व का क्षण था। जब कपिल की सगाई तय हुई, तो वधु पक्ष ने अपने स्तर से बड़ी तैयारी की और 40 लाख रुपए का दहेज देने की घोषणा की।

समारोह में जैसे ही इस राशि की बात सामने आई, पूरे माहौल में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया। लोग सोच रहे थे कि अमर सिंह लोधी इसे सहर्ष स्वीकार करेंगे, लेकिन तभी उन्होंने मंच पर आकर जो कहा, वह सभी को चौंका देने वाला था।
इन पैसों से मैं अमीर नहीं बन सकता…
माइक हाथ में लेकर अमर सिंह ने कहा, “इन पैसों से मैं अमीर नहीं बन सकता, लेकिन इस सोच से समाज जरूर गरीब बन जाएगा। दहेज प्रथा ने हमारी परंपराओं को कलंकित कर दिया है। पहले सगाई एक शुभ सगुन होती थी, लेकिन हमने इसे व्यापार बना दिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर हमें वाकई में समाज को बेहतर बनाना है, तो इन बुराइयों से दूर रहना होगा। मैं 40 लाख रुपए नहीं लूंगा, मुझे बस 501 रुपए का सगुन दे दीजिए। यही मेरे लिए सबसे बड़ा आशीर्वाद होगा।”
उनकी इस घोषणा से समारोह में मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए। कुछ ही क्षणों में माहौल तालियों से गूंज उठा। लोगों को समझ आ गया था कि यह केवल एक निर्णय नहीं, बल्कि एक क्रांति की शुरुआत है।

समाज को जगाने का प्रयास

अमर सिंह लोधी ने सिर्फ दहेज को ठुकराने तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने समाज के अन्य बंधुओं से भी अपील की, “हम सबको इस कुरीति से दूर रहना चाहिए। यदि हम अपने बच्चों के लिए अच्छा भविष्य चाहते हैं, तो हमें यह तय करना होगा कि हम गलत परंपराओं को न अपनाएं।”
यह पहली बार नहीं था जब अमर सिंह ने समाज के लिए ऐसा कदम उठाया था। इससे पहले उन्होंने तेरहवीं भोज के खिलाफ भी आवाज उठाई थी, क्योंकि इसे भी अनावश्यक खर्च और दिखावे की प्रथा के रूप में देखा जाता था।

समाज के नेताओं ने की सराहना

अमर सिंह लोधी के इस निर्णय की सराहना लोधी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष हरिओम नरवरिया ने भी की। उन्होंने कहा, “अमर सिंह लोधी ने जो किया है, वह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। हमें भी ऐसे कदम उठाने चाहिए ताकि समाज में सकारात्मक बदलाव आ सके।”
उन्होंने यह भी बताया कि समाज में अब धीरे-धीरे लोग तेरहवीं भोज जैसी कुरीतियों को भी छोड़ रहे हैं और यह दर्शाता है कि बदलाव की लहर उठ चुकी है।

एक छोटे कदम से बड़ी क्रांति

अमर सिंह लोधी का यह कदम साबित करता है कि बदलाव के लिए किसी बड़ी शक्ति की जरूरत नहीं होती, बल्कि एक सही सोच और मजबूत इरादे ही काफी होते हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि समाज सुधार सिर्फ बातें करने से नहीं, बल्कि खुद पहल करने से होता है।
आज उनकी यह कहानी दहेज प्रथा के खिलाफ एक नई रोशनी बनकर उभरी है। उन्होंने दिखा दिया कि असली अमीरी पैसों से नहीं, बल्कि सही संस्कारों और समाज को सही दिशा देने से आती है।
उनके शब्द आज भी गूंज रहे हैं—
“40 लाख नहीं, सिर्फ 501 रुपए का सगुन ही काफी है, अगर समाज को आगे बढ़ाना है।”

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