पूर्व सांसद के पोस्टर पर पुताई, शिवपुरी में राजनीतिक समीकरणों का नया मोड़?

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रिपोर्ट-अतुल जैन
शिवपुरी | नगर पालिका द्वारा भाजपा के पूर्व सांसद केपी यादव के पोस्टर पर सफेद रंग से पुताई करने और उस पर ‘4 नंबर’ लिखने की घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस कृत्य को लेकर विभिन्न सवाल उठ रहे हैं, खासकर यह कि क्या यह एक सामान्य प्रशासनिक कार्रवाई है या फिर किसी राजनीतिक मकसद से की गई छेड़छाड़?

नगर पालिका का मूल उद्देश्य शहर की सफाई, जल निकासी, सड़कों की मरम्मत और जनसुविधाओं की व्यवस्था करना होता है। प्रशासनिक स्तर पर शहर में किसी पुराने विज्ञापन या पोस्टर को हटाने का कार्य नियमों और विधियों के तहत होना चाहिए। लेकिन, यहां जो हुआ, वह सामान्य प्रक्रिया से इतर नजर आता है। पोस्टर पर सफेदी कर उसे ‘4 नंबर’ लिखने का कृत्य राजनीतिक नजरिए से देखा जा सकता है।

सवाल यह उठता है कि भाजपा के ही एक पूर्व सांसद के पोस्टर पर इस तरह से सफेदी कर देना क्या किसी रणनीतिक संकेत के तौर पर किया गया है? क्या यह एक राजनीतिक उपेक्षा का इशारा है, या फिर सत्ता में मौजूद नए नेताओं की नजरों में खुद को सही साबित करने का प्रयास?

यदि नगर पालिका को इस पुराने पोस्टर को हटाना था, तो उसे नियमों के तहत ही हटाया जा सकता था। प्रशासनिक कार्यों में इस प्रकार की छेड़छाड़ से स्पष्ट रूप से यह सवाल उठता है कि क्या सत्ता परिवर्तन के साथ प्रशासनिक अमला अपनी निष्ठाएं बदलता है और अपने कार्यों में राजनीतिक रंग भरता है?

यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे कभी-कभी प्रशासनिक अधिकारियों के फैसले राजनीतिक समीकरणों से प्रभावित हो सकते हैं। शिवपुरी की जनता के लिए यह एक महत्वपूर्ण सवाल बन गया है कि क्या यह केवल एक संयोग था या फिर यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है? अगर यह एक रणनीति थी, तो इसके पीछे के कारण और उद्देश्य क्या हो सकते हैं?

भा.ज.पा. नेतृत्व को इस मुद्दे पर स्पष्ट स्थिति लेनी चाहिए और जनता को बताना चाहिए कि क्या इस तरह की घटनाएं उनके प्रशासनिक ढांचे का हिस्सा हैं। पार्टी और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशासनिक कार्यों में कोई भी राजनीतिक पक्षपाती व्यवहार न हो, ताकि जनता का विश्वास कायम रहे।

इस पूरे मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जनता को यह समझना चाहिए कि सत्ता में रहते हुए प्रशासन को किसी भी रूप में राजनीति से प्रभावित नहीं होने देना चाहिए। जो कार्य जनहित में हैं, उन्हें बिना किसी राजनीतिक रंग के पूरा किया जाना चाहिए।

अंततः, शिवपुरी की यह घटना स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान छोड़ती है। अब यह देखना होगा कि आगे चलकर इस मुद्दे पर किस प्रकार की कार्रवाई होती है और क्या राजनीतिक दल इसे अपने फायदे के लिए भुनाने की कोशिश करेंगे।


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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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