रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | पिछोर में एसडीएम कार्यालय के समक्ष किसानों और ग्रामीणों की समस्याओं को लेकर चल रहे धरना प्रदर्शन के बीच जिला पंचायत सदस्य मनीराम लोधी के नेतृत्व में अपनी मांगों को रखते हुए प्रदर्शनकारियों से चर्चा हेतु अपर कलेक्टर दिनेश चंद्र शुक्ला धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों की समस्याएं सुनीं और समाधान का भरोसा दिलाया।
मौके पर उपस्थित अधिकारियों ने समस्याओं की गंभीरता को समझते हुए संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों के साथ समाधान प्रक्रिया शुरू की। अपर कलेक्टर ने जिन गांवों में समस्याएं अधिक थीं, वहां तहसीलदार को कैंप लगाने के निर्देश दिए। प्रमुख शिकायतें भूमि विवाद, रास्ता बंद होने, पात्रता पर्ची के बावजूद खाद्यान्न न मिलना, नामांतरण, फौती प्रक्रिया और गौशालाओं के संचालन से जुड़ी थीं।
अपर कलेक्टर ने आश्वासन दिया कि गौशालाओं को नियमित रूप से संचालित करने की योजना पर 3-4 दिनों के भीतर विचार-विमर्श किया जाएगा। हालांकि जिला पंचायत सदस्य मनीराम लोधी ने मौके पर ही समाधान की मांग की, जिस पर सहमति नहीं बन सकी। इससे पहले तहसीलदार शिवशंकर सिंह गुर्जर ने भी समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनका समाधान अस्वीकार कर दिया।
किसानों की मुख्य मांगें :
निशुल्क नामांतरण : किसानों की भूमि का नामांतरण निशुल्क और तय समय सीमा के भीतर पूरा किया जाए।
सीमांकन में पारदर्शिता : सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार सीमांकन निशुल्क हो, लेकिन पटवारियों द्वारा यह काम लंबित रहता है।
दुरुस्ती फाइलों में पारदर्शिता : किसानों को दुरुस्ती कार्य में परेशान किया जा रहा है, जिससे वे अनावश्यक आर्थिक बोझ उठाने को मजबूर हैं।
जमीनों की गड़बड़ियां : भूमि अभिलेखों में अनियमितताओं को दूर किया जाए, जिसमें गलत मापन और रकबे में हेरफेर जैसी समस्याएं शामिल हैं।
फाइलें गायब होना : किसानों की फाइलें तहसील कार्यालय से गायब हो जाती हैं, जिससे उन्हें बार-बार नई फाइलें बनवानी पड़ती हैं।
सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण : ग्राम पंचायतों की सरकारी जमीनों पर प्रभावशाली व्यक्तियों का कब्जा हटाकर किसानों को उनका अधिकार दिलाया जाए।
विद्युत विभाग की अनियमितताएं : बिजली बिलों में लूट और सही समय पर समस्याओं का निपटारा न होने से किसान परेशान हैं।
सिंचाई विभाग की उदासीनता : लोअर प्रोजेक्ट के तहत किसानों की जमीनें लेने के बाद अभी तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया है।
सहकारी बैंक घोटाला : सहकारी बैंकों से किसानों को भुगतान में देरी और दोषियों की गिरफ्तारी न होने से आक्रोश है।
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Author: Tejas Reporter
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