आदिवासियों के जुलूस में जबरन घुसे दबंग, टोका तो लहूलुहान हुए कई सहरिया, पुलिस बनी मूकदर्शक

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले के मायापुर थाना क्षेत्र के कंचनपुरा गाँव में नवरात्रि की रात श्रद्धा और भक्ति का माहौल उस वक्त हिंसा में बदल गया जब देवी विसर्जन जुलूस में कुछ दबंग युवक जबरन घुस आए और विरोध करने पर सहरिया आदिवासियों को बेरहमी से पीटा गया। इस मारपीट में कई सहरिया परिवारों के लोग घायल हुए, महिलाओं और बच्चों ने भागकर जान बचाई। पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों को संरक्षण दिया, एफआईआर की प्रति तक नहीं दी गई और मेडिकल जांच भी अधूरी कराई गई।
घटना 1 अक्टूबर की रात की

पीड़ितों द्वारा पुलिस अधीक्षक को सौंपे गए आवेदन के अनुसार, कंचनपुरा गाँव के सहरिया समाज द्वारा नवरात्रि पर माता की प्रतिमा स्थापित की गई थी। 1 अक्टूबर की रात वे देवी विसर्जन के लिए तालाब की ओर जा रहे थे। महिलाएँ ढोल-मांदल की थाप पर गीत गा रही थीं, पुरुष नाचते हुए आगे बढ़ रहे थे।
उसी दौरान गाँव के ही कुछ दबंग युवक — इंदरवीर, शिवराय, अटू, गोपाल, रामवीर, बंटी, मोनू, मंगल सिंह और नरेश — शराब के नशे में वहाँ पहुँचे और जुलूस में जबरन घुस गए। उन्होंने तालाब किनारे नाच रहे सहरिया युवकों को धक्का देते हुए खुद नाचने लगे।
जब आदिवासी युवकों ने विरोध किया और कहा कि “यह माँ का कार्यक्रम है, बहन-बेटियाँ भी साथ हैं, कृपया मर्यादा रखें,” तो दबंगों ने गालियाँ देना शुरू कर दीं — जातिसूचक और अश्लील शब्दों के साथ।
“तुम्हारी औकात क्या है बोलने की?” कहकर टूट पड़ी लाठियाँ
पीड़ित बाबू आदिवासी ने बताया —
“हमने समझाया कि माता का विसर्जन है, सम्मान रखें, लेकिन उन्होंने हमें धमकाया और कहा — तुम्हारी औकात क्या है बोलने की? फिर लाठियाँ उठाईं, पत्थर फेंके, लात-घूँसे मारे। कई लोग जमीन पर गिर गए। महिलाएँ और बच्चे किसी तरह भागकर बचे।”
घटना में सहरिया समाज के दर्जनों लोग घायल हुए। कई की हड्डियाँ टूटीं, कई के सिर और हाथ-पैरों में गंभीर चोटें आईं।
थाने में पहुँचे तो वहीं मिले आरोपी, पुलिस के सामने फिर धमकाया, पीटा।
घायल आदिवासी रात में ही मायापुर थाना पहुँचे, पर वहाँ उन्हें न्याय नहीं, अपमान मिला।
विनोद आदिवासी ने बताया —
“जब हम थाने पहुँचे तो आरोपी पहले से वहाँ बैठे थे। पुलिस के सामने ही हमें धमकाया, गालियाँ दीं और पीटा,कहा कि अगर रिपोर्ट लिखाई तो जान से मार देंगे।”
पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने केवल “औपचारिक” कार्यवाही की, पर एफआईआर की प्रति नहीं दी। कई घायलों के मेडिकल अधूरे कराए गए और गंभीर रूप से घायल लोगों को अस्पताल नहीं भेजा गया।
सहरिया क्रांति ने उठाई आवाज — “यह जातीय उत्पीड़न है, सामान्य झगड़ा नहीं”
सहरिया क्रांति आंदोलन के संयोजक संजय बेचैन ने कहा —
“यह कोई सामान्य विवाद नहीं, यह जातीय उत्पीड़न है। पुलिस दबंगों को संरक्षण दे रही है। एफआईआर की प्रति न देना, अधूरा मेडिकल और गिरफ्तारी न होना — ये सब प्रशासन की मानसिकता दर्शाते हैं। आज भी आदिवासी की शिकायत रद्दी की टोकरी में फेंक दी जाती है।”
वहीं, संगठन के मोहर सिंह आदिवासी ने इस घटना को “आदिम युगीन अत्याचार” बताते हुए कहा –

“लोकतंत्र के नाम पर अब भी आदिवासी न्याय से वंचित हैं। अब अगर कार्रवाई नहीं हुई तो हम सड़क पर उतरेंगे और मुख्यमंत्री, राज्यपाल से सीधे मिलेंगे।”
पीड़ितों द्वारा सौंपे गए ज्ञापन पर बाबू, विनोद, गोपाल, शंकर, भैयालाल, हकके, राजकुमार, बल्लू, प्रहलाद, गुलाबसिंह सहित 15 से अधिक आदिवासियों के हस्ताक्षर हैं।
चार दिन बाद भी आरोपी खुलेआम घूम रहे
घटना को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई। गाँव में डर का माहौल है। सहरिया परिवार अपने घरों में कैद हैं, महिलाएँ शाम ढलते ही बाहर नहीं निकलतीं और बच्चे स्कूल जाने से कतराते हैं।
पुलिस का पक्ष —
मायापुर थाना प्रभारी नीतू सिंह का कहना है —
“झगड़े की सूचना मिली थी। कुछ लोगों का मेडिकल कराया गया है, लेकिन दशहरा पर्व में व्यस्त रहने के कारण मामला कायम नहीं हो सका। फरियादी के आते ही रिपोर्ट दर्ज की जाएगी। पुलिस आरोपियों के खिलाफ कानूनसम्मत कार्रवाई करेगी।”
अब न्याय सड़क पर मांगेगा सहरिया समाज
सहरिया क्रांति ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र गिरफ्तारी नहीं हुई और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आदिवासी समाज सामूहिक रूप से भोपाल पहुँचकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल से न्याय की गुहार लगाएगा।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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