पिछोर को जिला बनाने की मांग पर प्रशासनिक प्रक्रिया तेज, आयोग ने मांगा तथ्यात्मक प्रतिवेदन

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग भोपाल ने शिवपुरी जिले के पिछोर अनुविभाग को जिला बनाने की मांग पर औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस संबंध में आयोग द्वारा जारी पत्र पर भू-अभिलेख शिवपुरी ने संबंधित अधिकारियों से विस्तृत प्रतिवेदन तलब किया है।
जानकारी के अनुसार, पिछोर विधायक प्रीतम लोधी ने विधानसभा क्षेत्र की जनता की मांग को आधार बनाते हुए आयोग को पत्र लिखकर पिछोर को स्वतंत्र जिला बनाने का प्रस्ताव भेजा था। इसी सिलसिले में भू-अभिलेख शिवपुरी के प्रभारी अधिकारी शिवदयाल धाकड़ ने 25 सितंबर को पिछोर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) एवं एसडीएम को पत्र जारी कर आवश्यक तथ्यात्मक जानकारी मांगी है।
अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे आयोग द्वारा तैयार प्रश्नावली के आधार पर प्रतिवेदन तैयार कर तीन दिन के भीतर प्रस्तुत करें। इस प्रतिवेदन में क्षेत्र की जनसंख्या, राजस्व, भूगोल, प्रशासनिक इकाइयों की संख्या, बुनियादी सुविधाएं, सड़क व स्वास्थ्य ढांचा, शैक्षणिक संस्थान सहित अन्य आवश्यक बिंदुओं का उल्लेख करना होगा।
बताया जा रहा है कि आयोग को भेजा जाने वाला यह प्रतिवेदन आगे की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यदि पिछोर को जिला बनाने की दिशा में ठोस आधार और पर्याप्त तथ्य मिलते हैं, तो आयोग शासन को अनुशंसा भेज सकता है।
जनता की प्रतिक्रियाएं
पिछोर क्षेत्र के ग्रामीणों और स्थानीय नागरिकों में इस खबर को लेकर उत्साह है। स्थानीय व्यापारी संगठनों का कहना है कि जिला बनने से प्रशासनिक कार्यों के लिए शिवपुरी या गुना की ओर भाग-दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। वहीं, युवाओं का मानना है कि नई जिला इकाई बनने से शिक्षा, रोजगार और विकास के नए अवसर पैदा होंगे।
ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि पिछोर क्षेत्र भौगोलिक रूप से बड़ा है और शिवपुरी मुख्यालय से दूरी के कारण सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ समय पर नहीं मिल पाता। जिला बनने से यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है।
संभावित फायदे
1. प्रशासनिक सुविधा – आम जनता को छोटे-छोटे कार्यों के लिए जिला मुख्यालय तक नहीं जाना पड़ेगा।
2. विकास की रफ्तार – नए जिले में सरकारी बजट और योजनाएं सीधे लागू होंगी।
3. स्वास्थ्य और शिक्षा – जिला बनने के बाद नए अस्पताल, महाविद्यालय और कार्यालय खुलने की संभावना बढ़ेगी।
4. स्थानीय रोजगार – नए पदों और कार्यालयों के खुलने से युवाओं को अवसर मिलेंगे।
संभावित चुनौतियां / नुकसान
1. संसाधनों का बंटवारा – नए जिले के गठन से शिवपुरी और आसपास के इलाकों में संसाधन कम हो सकते हैं।
2. नया ढांचा खड़ा करना – प्रशासनिक भवन, दफ्तर और अधिकारियों की नियुक्ति में समय और बजट लगेगा।
3. राजनीतिक मतभेद – आसपास के क्षेत्रों से भी जिला बनाने की मांग उठने की संभावना है, जिससे विवाद बढ़ सकता है।
पिछोर को जिला बनाने की प्रक्रिया अभी शुरुआती दौर में है। आयोग द्वारा मांगी गई रिपोर्ट से तस्वीर और साफ होगी। जनता में उम्मीद है कि यह पहल लंबे समय से चली आ रही मांग को हकीकत में बदल सकती है।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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