मध्यप्रदेश के तीर्थयात्रियों के साथ महाराष्ट्र में लाखों की लूट, कुंथलगिरी कमेटी मौन, पुलिस की नाकामी पर उठे सवाल

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नई दिल्ली/महाराष्ट्र | 24 सितंबर 2025 की रात 8:30 बजे। दक्षिण भारत तीर्थ यात्रा पर निकले मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं की बस जब महाराष्ट्र के समरकुंडी फाटा से गुजर रही थी, तो एक ऐसी घटना घटी जिसने यात्रियों को दहशत में डाल दिया और पुलिस-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए।

वारदात की पूरी कहानी

खराब सड़क पर धीरे-धीरे (20 किमी/घंटा की रफ्तार से) आगे बढ़ रही बस को अचानक एक पिकअप वैन ने आगे आकर रोक लिया। जैसे ही ड्राइवर ने ब्रेक लगाया, पीछे से आए लुटेरे बस की छत पर चढ़ गए और उस पर रखे बैग नीचे खड़ी अपनी गाड़ी में फेंकने लगे।

यही नहीं, थोड़ा आगे बढ़ने के बाद वही पिकअप दोबारा बस के आगे आकर रुक गई। यात्री असहज महसूस करने लगे लेकिन बस में अधिकतर महिलाएँ थीं और इलाका सुनसान। इस वजह से किसी ने विरोध नहीं किया। दरवाजे बंद कर यात्री चुपचाप बैठे रहे। उन्हें पता ही नहीं था कि उनके सिर पर रखी छत से लाखों का सामान लूटा जा रहा है।

जब बस कुंथलगिरी तीर्थ पहुँची और यात्री ठहरे, तब जाकर हकीकत सामने आई—₹1,08,000 नकद और 40 से अधिक बैग समेत यात्रियों का कीमती सामान लूट लिया गया था।

पुलिस और कमेटी की लापरवाही

घटना का पता चलते ही यात्री पुलिस के पास पहुँचे, लेकिन शिकायत दर्ज करने की जगह उन्हें घंटों टालमटोल और असहयोग का सामना करना पड़ा।
आखिर यात्रियों को धरना देना पड़ा तब जाकर 25 सितंबर 2025 को दोपहर 3:54 बजे FIR (अपराध क्रमांक 0301/2025) दर्ज हुई?

ऐसे में सवाल उठता है की वारदात की सूचना मिलते ही पुलिस ने जांच शुरू क्यों नहीं की ? क्या अप्रत्यक्ष रूप से इस लुटेरी गैंग को संरक्षण दे रही है।

सूत्र बताते हैं कि इस मार्ग पर लूटपाट आम है, लेकिन पुलिस की नाकामी और प्रशासन की लापरवाही ने इन लुटेरों को और बेखौफ बना दिया है।

इधर, कुंथलगिरी तीर्थ क्षेत्र कमेटी की चुप्पी भी उतनी ही चिंताजनक है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होने के बावजूद उन्होंने स्थानीय प्रशासन पर दबाव बनाने से साफ किनारा कर लिया।

समाजसेवा की मिसाल

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बीच यह उल्लेखनीय है कि विमल जैन राजदीप परिवार ने अपने निजी खर्च पर 52 यात्रियों को 22 दिवसीय दक्षिण भारत तीर्थ यात्रा पर भेजकर समाज सेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया।

उनकी यह निस्वार्थ सेवा प्रशंसनीय है और तेजस रिपोर्टर उनके इस पुनीत कार्य की हृदय से सराहना करता है।

बड़ा सवाल : कौन देगा जवाब?

  • क्या पुलिस की जिम्मेदारी सिर्फ कागजी खानापूर्ति तक सीमित है?
  • क्या तीर्थ क्षेत्र कमेटियाँ यात्रियों की सुरक्षा से पल्ला झाड़ सकती हैं?
  • आखिर कब तक श्रद्धालु जान-माल को खतरे में डालकर असुरक्षित माहौल में तीर्थयात्रा करते रहेंगे?

यात्रियों के लिए संदेश

  • यह लूट केवल पैसों और बैग की चोरी नहीं है, बल्कि श्रद्धालुओं की आस्था और सुरक्षा पर सीधा हमला है।
     प्रशासन को चाहिए कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे।
  • देशभर की तीर्थ क्षेत्र कमेटियाँ भी अपनी जिम्मेदारी समझें और यात्रियों को संवेदनशील मार्गों की जानकारी देकर सतर्क करें।
  • श्रद्धालु इस मार्ग से यात्रा करते समय संभव हो तो दिन में ही गुजरें और सामूहिक सतर्कता बरतें।

समाज को संदेश :

जब श्रद्धालु असुरक्षित हों, पुलिस निष्क्रिय हो और तीर्थ क्षेत्र कमेटियाँ चुप्पी साध लें—तो यह केवल एक लूट नहीं, बल्कि व्यवस्था पर गहरा प्रश्नचिह्न है।

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PANKAJ JAIN
Author: PANKAJ JAIN

पत्रकारिता में 2009 से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। "दैनिक अग्निबाण" में लंबी पारी के बाद "SCN NEWS" सहित कई संस्थानों में न्यूज़ डेस्क का नेतृत्व किया। वर्तमान में सा. "क्राइम अगेंस्ट न्यूज", दैनिक "तेजस रिपोर्टर" और कई डिजिटल प्लेटफार्म के संपादकीय प्रमुख हैं। सामाजिक सरोकारों, विशेषकर हाशिए पर खड़े वर्ग और अन्याय के मुद्दों पर लेखन में विशेष रुचि रखते हैं। इसके साथ ही "जिनोदय" और "पंकज का पंच" जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के निदेशक हैं, जो जनचेतना और वैचारिक संवाद को बढ़ावा देने का माध्यम हैं।

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