तालाब में डूबता भविष्य: खनियाधाना के वागपुरा मजरे में न रास्ता, न बिजली – बस संघर्ष

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले का वागपुरा मजरा आज़ादी के 77 साल बाद भी अंधेरे और पानी से जूझ रहा है — सिर्फ पानी की कमी से नहीं, बल्कि तालाब जैसे रास्ते और बिजली के अभाव से। यहां के ग्रामीण हर रोज़ ज़िंदगी को दांव पर लगाकर बाहर निकलते हैं।

मजरे की हालत ऐसी है, जैसे शासन-प्रशासन ने इसे मानचित्र से गायब कर दिया हो। न सड़क है, न बिजली, और अब तो उम्मीद भी धीरे-धीरे मरती जा रही है।

जब रास्ता हो तालाब और एम्बुलेंस बने खटिया…

वागपुरा के ग्रामीणों को बाजार जाना हो, बीमार को अस्पताल पहुंचाना हो या बच्चों को स्कूल भेजना हो — हर रास्ता 3 फीट गहरे तालाब जैसे पानी से होकर गुजरता है।
खेतों के बीच जो एक रास्ता था, उसे भी बंद कर दिया गया। अब बचा है सिर्फ जोखिम भरा, गंदे पानी से भरा रास्ता।

लोकेंद्र पाल बताते हैं,

“मेरे बेटे की तबीयत खराब हो गई थी। मजबूरन उसे खटिया पर लिटाकर, पानी और कीचड़ से होकर बाहर ले गए। ये हर किसी की मजबूरी बन चुकी है।”

बच्चों की पढ़ाई भी भीग रही है कीचड़ में

ताहर सिंह पाल, एक छात्र कहते हैं,

बारिश में स्कूल नहीं जा पाते। डर लगता है, कहीं फिसलकर गिर न जाएं। कई बार तो हफ्तों स्कूल बंद ही करना पड़ता है।”

कलावती, एक महिला ग्रामीण बताती हैं,

“मैं खुद बच्चों को तालाब पार करवा कर स्कूल पहुंचाती हूं। हर दिन डर लगता है, लेकिन क्या करें?”

ऊपर से गुजरती है मौत – हाई टेंशन लाइन

वागपुरा में बिजली तो नहीं है, लेकिन हाई टेंशन लाइन गांव के ऊपर से गुजर रही है। इससे हर पल जान का खतरा बना रहता है। अंधेरे में साँप-बिच्छुओं और जंगली जानवरों का डर, और गर्मी में राहत के कोई साधन नहीं।

बिजली के अभाव में ना तो बच्चे पढ़ पाते हैं, ना ही लोग मोबाइल चार्ज कर किसी से संपर्क कर पाते हैं। छोटे-छोटे उपकरण चलाना तक सपना बन गया है।

गांव के लोगों ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तक पत्र लिखकर अपनी पीड़ा व्यक्त की।


2 अक्टूबर 2024 को सिंधिया कार्यालय से अधिकारियों को पत्र प्रेषित भी किया गया, जिसमें:

जबरन बंद रास्ता खुलवाने

वागपुरा में विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने

ग्रामीणों को सूचित करने का निर्देश था। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जब जिला स्तर के अधिकारियों से बात की गई, तो उनका जवाब था:

“आपके द्वारा मामला संज्ञान में लाया गया है, जांच कराएंगे।”

क्या वागपुरा का दुर्भाग्य ही उसकी पहचान बन गया है?

यह सवाल सिर्फ वागपुरा के 150 से अधिक निवासियों का नहीं है, बल्कि उन लाखों ग्रामीणों का है जो विकास के नारों में दब गए हैं।
क्या रास्ता, बिजली और सुरक्षा जैसी बुनियादी जरूरतें मांगना भी अब एक संघर्ष है?
कब तक खटिया पर मरीज और तालाब से गुजरते बच्चे हमारी व्यवस्था पर सवाल पूछते रहेंगे?

ग्रामीणों की मांग – सिर्फ सुविधा नहीं, इंसान जैसा जीवन

वागपुरा के ग्रामीणों की मांगें बेहद साधारण हैं:

पक्का और सुरक्षित रास्ता

विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था

हाई टेंशन लाइन का पुनः परीक्षण

प्रशासनिक कार्यवाही में पारदर्शिता


 

Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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