रिपोर्ट – राजू अतुलकर
नई दिल्ली | भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की यमन में फांसी की सजा पर एक बार फिर संकट गहराता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से प्राप्त जानकारी अनुसार, हत्या के एक मामले में दोषी करार दी गई केरल निवासी इस महिला को लेकर भारत समेत पूरी दुनिया में सहानुभूति की लहर देखी गई थी। उम्मीद थी कि मृतक यमनी नागरिक तलाल महदी के परिजन इस्लामी कानून के तहत “ब्लड मनी” लेकर उसे माफ कर देंगे, लेकिन अब महदी के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी ने स्पष्ट शब्दों में माफी से इनकार कर दिया है।
क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया, जो कि केरल की निवासी हैं, साल 2008 में नौकरी के सिलसिले में यमन गई थीं। वहां उन्होंने मेडिकल फील्ड में काम किया और स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ बिजनेस शुरू किया। बताया जाता है कि बिजनेस और निजी संबंधों में दरार आने के बाद परिस्थितियाँ बिगड़ती गईं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2017 में तलाल महदी की हत्या हो गई, और शक की सूई सीधे निमिषा प्रिया पर गई। यमन की अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई, जिसे बाद में उच्च अदालतों ने भी बरकरार रखा।
अब तक क्यों नहीं हुई फांसी?
इस्लामी कानून (शरिया) के तहत हत्या के मामलों में मृतक के परिजन यदि “ब्लड मनी” (वित्तीय मुआवजा) स्वीकार कर लें, तो दोषी को माफ किया जा सकता है। इसी उम्मीद में भारत सरकार, सामाजिक कार्यकर्ता, और धार्मिक नेता लगातार महदी के परिवार से संपर्क साध रहे थे।
विभिन्न मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भारत के वरिष्ठ धार्मिक नेताओं की पहल के चलते 16 जुलाई को तय की गई फांसी की तारीख फिलहाल टाल दी गई है। लेकिन यह सिर्फ एक अस्थायी राहत है।
महदी के भाई का कड़ा बयान
महदी के भाई अब्देलफत्ताह मेहदी ने बयान देते हुए साफ कहा है:
यह अपराध माफ करने लायक नहीं है। निमिषा प्रिया ने एक इंसान की हत्या की है, उसे फांसी जरूर दी जानी चाहिए। दोषी को पीड़िता के रूप में पेश करना न्याय का अपमान है। हम पर दबाव बनाया जा रहा है, जो उचित नहीं है।
इस बयान के बाद अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि महदी का परिवार ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेगा, जिससे निमिषा की जान बचाने की उम्मीदें धुंधली हो गई हैं।
भारत में प्रतिक्रिया
भारत में कई सामाजिक संस्थाएं, महिला अधिकार संगठन, और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस मामले को लेकर सक्रिय हैं। केरल में कई जगहों पर प्रदर्शन भी हुए हैं। निमिषा की माँ ने बार-बार प्रधानमंत्री मोदी से हस्तक्षेप की अपील की है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने संयुक्त प्रयास किए हैं, लेकिन अब जब मृतक परिवार ने साफ इनकार कर दिया है, तब विकल्प लगभग खत्म हो चले हैं।
अब क्या विकल्प बचे हैं?
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1. राष्ट्राध्यक्षीय हस्तक्षेप
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2. राजनयिक दबाव
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3. जन समर्थन अभियान
यदि कोई कूटनीतिक या अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप न हुआ, तो निमिषा प्रिया की फांसी जल्द ही अमल में लाई जा सकती है।
निमिषा प्रिया की जिंदगी अब एक बेहद नाजुक मोड़ पर है। यमन की जेल में बीते आठ वर्षों से न्याय की आस लगाए बैठी इस भारतीय नर्स की एकमात्र उम्मीद, मृतक के परिवार की माफी, अब समाप्त होती दिख रही है।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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