रायसेन जिले के देवनागर में बड़ा हादसा, चार की हालत गंभीर, भोपाल रेफर

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रिपोर्ट – अशोक ठाकुर
रायसेन | मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में बुधवार सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसे ने पूरे प्रशासनिक तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गैरतगंज तहसील के देवनागर क्षेत्र के पास मुड़ियाखेड़ा गांव में मजदूरों से भरी एक तेज रफ्तार पिकअप अनियंत्रित होकर पलट गई, जिससे 28 मजदूर घायल हो गए। हादसा इतना भीषण था कि मौके पर चीख-पुकार मच गई और कई लोगों को वाहन से बाहर निकालने में ग्रामीणों को खासी मशक्कत करनी पड़ी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह पिकअप वाहन देवनागर से धान रोपाई के लिए सिरसौदा गांव जा रहा था, जिसमें छोटे बच्चों और महिलाओं सहित लगभग 30 मजदूर सवार थे। सड़क पर फिसलन और ओवरलोडिंग के चलते पिकअप पलट गई, जिससे 10 मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए। इनमें से 4 को भोपाल रेफर किया गया है। मां-बेटे की हालत चिंताजनक बनी हुई है।
प्रशासन की लापरवाही बनी हादसे की जड़?
यह हादसा प्रशासन की लापरवाही और सड़क सुरक्षा नियमों की अनदेखी का नतीजा माना जा रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पिकअप तेज रफ्तार में थी और ओवरलोडिंग भी साफ दिख रही थी। ग्रामीणों का कहना है कि इस मार्ग पर ऐसे हादसे आम हो चुके हैं, फिर भी न तो वाहनों की जांच होती है और न ही चालकों की ट्रेनिंग या लाइसेंस की सख्ती से जांच होती है।
घटना के बाद डायल 100, एंबुलेंस और पुलिस मौके पर पहुंची। घायलों को पहले देवनागर के अस्पताल और फिर रायसेन जिला अस्पताल लाया गया। गंभीर मरीजों को भोपाल रेफर किया गया।
अस्पताल में अफरा-तफरी, अफसरों का दौरा

एसडीओपी प्रतिभा शर्मा और पुलिस उपमंडल अधिकारी आलोक श्रीवास्तव ने अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल जाना। उन्होंने बताया कि घायलों में अधिकतर को सिर, हाथ और पैर में चोटें आई हैं। घायलों में हरिराम कुशवाह, सोनू अहिरवार, रानी बाई, गंगाबाई, बलवान, अंजलि, सविता आदिवासी, कल्लू आदिवासी सहित कई नाम शामिल हैं।
क्या केवल चालान से रुकेंगे हादसे?
यह घटना सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की विफलता है जो सड़क सुरक्षा के नाम पर केवल चालान काटकर अपनी जिम्मेदारी निभा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी मजदूरों को बिना किसी सुरक्षा के ओवरलोड वाहनों में ले जाया जाता है। पिकअप वाहन जो सामान ढोने के लिए बना है, उसमें दर्जनों मजदूरों को बैठाना सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है।
समाधान की राह
यह हादसा भविष्य के लिए एक चेतावनी है। प्रशासन को केवल घटनाओं के बाद दौरे और बयान देने तक सीमित न रहकर, सक्रिय सड़क सुरक्षा नीति बनानी चाहिए। ओवरलोडिंग रोकने, वाहनों की नियमित जांच, चालकों की ट्रेनिंग और ग्रामीण इलाकों में सुरक्षित परिवहन साधनों की व्यवस्था समय की मांग है।
जब तक नीतिगत और कड़े कदम नहीं उठाए जाते, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे और जिम्मेदार सिर्फ एक “दुर्घटना” कहकर हाथ झाड़ते रहेंगे। रायसेन का यह हादसा एक दर्दनाक उदाहरण है – लेकिन इसे एक सबक बनाना ज़रूरी है।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

तेजस रिपोर्टर डिजिटल के लिए काम करता हूं। पत्रकारिता में साल 2015 से सफर की शुरुआत की। अब समसामयिक विषयों पर खबरें लिखने में रुचि रखता हूं।

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