रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | खोड़ चौकी थाना क्षेत्र के ग्राम विजयपुर में एक साल पुरानी हत्या के मामले में अब तक सुलग रही रंजिश रविवार को हिंसा में तब्दील हो गई। मृतक छोटेलाल लोधी के परिजनों ने कथित हत्यारोपितों के परिजनों पर उस समय जानलेवा हमला कर दिया जब वे अपना सामान लेने के लिए गांव लौटे थे। झगड़े की सूचना पर पहुंची पुलिस पर भी हमलावरों ने पथराव किया, जिससे गांव में अफरा-तफरी मच गई।
घटना की पृष्ठभूमि: शराब के झगड़े से शुरू हुई थी खूनी कहानी
29 मई 2024 को विजयपुर गांव में शराब के नशे में छोटेलाल लोधी (45) और ओमप्रकाश लोधी के बीच कहासुनी हुई थी। विवाद के कुछ घंटे बाद ओमप्रकाश लोधी ने सुरेंद्र, सूर्यप्रताप, मुन्न बाई, अनिल, संतोष एवं वर्षा लोधी के साथ मिलकर छोटेलाल पर जानलेवा हमला कर दिया था। ग्वालियर में इलाज के दौरान छोटेलाल की मौत हो गई थी। जन आक्रोश और चक्काजाम के बाद पुलिस ने सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद से ही पूरा आरोपित परिवार गांव छोड़कर चला गया था।
रविवार को टूटा सब्र का बांध: बदले की आग में झुलसा गांव
गांव में करीब एक साल बाद जब आरोपित परिवार के कुछ सदस्य अपने घर का सामान लेने पहुंचे, तो मृतक छोटेलाल के परिजनों ने अपने समर्थकों के साथ उन पर हमला कर दिया। हमला इतना जबरदस्त था कि लाठी-डंडों और धारदार हथियारों से कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
सूचना मिलते ही जब पुलिस मौके पर पहुंची तो हमला कर रहे लोगों ने पुलिस पार्टी पर भी हमला कर दिया। पुलिस वाहन पर पथराव किया गया और सरकारी काम में बाधा डाली गई। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल बुलाना पड़ा।
एफआईआर की कार्रवाई
इस पूरे घटनाक्रम पर रामेश्वर लोधी निवासी मनपुरा की शिकायत पर पुलिस ने
मुसाब लोधी, विशाल लोधी, वीकेश लोधी, घनश्याम लोधी, सरोज लोधी, भारती लोधी, किरन लोधी व अन्य छह लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास (307 IPC) एवं अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।
इसके अलावा पुलिस की तरफ से भी शासकीय कार्य में बाधा (353, 186 IPC) सहित अन्य धाराओं में अलग से मामला दर्ज किया गया है।
गांव में बढ़ा तनाव, पुलिस तैनात
घटना के बाद विजयपुर गांव में तनाव व्याप्त है। एहतियात के तौर पर गांव में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। दोनों पक्षों के बीच गहरी रंजिश को देखते हुए प्रशासन हालात पर नजर बनाए हुए है।
एक साल पुरानी हत्या की टीस अब कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन चुकी है। यह घटना न केवल गांव की सामाजिक ताने-बाने को झकझोरती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि न्यायिक प्रक्रिया में देरी या असंतोष कैसे सामाजिक हिंसा का रूप ले सकती है। प्रशासन को इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई कर दोनों पक्षों की कानून पर आस्था बहाल करनी होगी।
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Author: TEJAS REPORTER (ED)
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