रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | “राजनीति केवल सत्ता का केंद्र नहीं, जनसुनवाई और भागीदारी का जरिया होनी चाहिए” – इस सोच को ज़मीन पर उतारने का प्रयास कर रहे हैं पिछोर विधानसभा से भाजपा विधायक प्रीतम सिंह लोधी। उन्होंने एक अनोखी पहल की शुरुआत की है, जिसका नाम है “एक दिन का विधायक”। इस पहल में हर दिन आम जनता का कोई प्रतिनिधि विधायक की कुर्सी पर बैठता है, लोगों की समस्याएं सुनता है और उनके समाधान की दिशा में सुझाव देता है।
कैसे शुरू हुआ यह अनूठा प्रयोग?
विधायक लोधी का मानना है कि लोकतंत्र तब तक अधूरा है जब तक जनता खुद सत्ता की प्रक्रिया का अनुभव न करे। वे कहते हैं –
“जनता सिर्फ पांच साल में एक बार वोट देकर अपने अधिकार का उपयोग नहीं करती, बल्कि वो शासन की वास्तविक भागीदार हो सकती है।”
इसी सोच के साथ उन्होंने इस अभिनव प्रयोग की शुरुआत की, जिसमें आम नागरिकों को ‘एक दिन का विधायक’ बनाया जाता है।
प्रक्रिया: हर दिन नया जनप्रतिनिधि
पिछोर के सरकारी रेस्ट हाउस में प्रतिदिन दो कुर्सियाँ लगाई जाती हैं। एक पर बैठते हैं स्वयं विधायक, दूसरी पर आम जनता में से चयनित कोई व्यक्ति, जो उस दिन का “एक दिन का विधायक” होता है।
यह चयन पूर्णतः सहज और पारदर्शी होता है। कोई किसान, छात्र, मजदूर, महिला, व्यापारी या बेरोजगार युवा – सभी को समान अवसर दिया जाता है। उस व्यक्ति को जनसुनवाई करने का अधिकार और सम्मान दोनों मिलता है।
जनता की भूमिका, नेता की मार्गदर्शकता
प्रीतम सिंह लोधी इस पूरी प्रक्रिया में सलाहकार की भूमिका में रहते हैं। वे आदेश नहीं देते, बल्कि समस्याओं के समाधान के रास्ते सुझाते हैं। वहीं, आमजन को यह अधिकार दिया जाता है कि वे अपनी समझ और अनुभव के आधार पर समस्याओं को प्राथमिकता दें और समाधान सुझाएं।
यहाँ जनसुनवाई केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि वास्तविक भागीदारी बन जाती है।
जनता की प्रतिक्रिया: “अब हमारी भी सुनी जा रही है”
यह प्रयोग लोगों को बेहद उत्साहित कर रहा है।
एक बुज़ुर्ग किसान ने कहा –
“पहली बार लग रहा है कि हम सिर्फ सुनने वाले नहीं, बोलने और निर्णय लेने वाले भी हैं।”
एक छात्रा बोली –
“मैंने अपने गांव की पानी की समस्या सबके सामने रखी और समाधान का सुझाव भी दिया। यह मेरे लिए गर्व का क्षण था।”
प्रदेशभर में हो रही चर्चा
“एक दिन का विधायक” योजना की खबर अब पूरे मध्यप्रदेश में फैल चुकी है। अन्य जिलों के सामाजिक कार्यकर्ता, मीडिया प्रतिनिधि और जनप्रतिनिधि इस अनोखी पहल को देखने पिछोर आ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर इस योजना को लेकर जबरदस्त चर्चा है। कई लोग इसे “आधुनिक ग्राम स्वराज” और “जमीनी लोकतंत्र का मॉडल” कह रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय: लोकतंत्र को मिलेगा नया जीवन
राजनीति विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रयोग देश के अन्य हिस्सों में भी दोहराया गया तो जन सहभागिता का नया अध्याय खुलेगा।
समाजशास्त्रियों का कहना है कि इससे लोगों में आत्मबल और सरकारी तंत्र पर विश्वास दोनों बढ़ेगा।
एक संदेश पूरे देश के लिए
विधायक लोधी की यह पहल यह साबित करती है कि राजनीति यदि सही दिशा में हो, तो लोकतंत्र एक उत्सव बन सकता है – जिसमें हर व्यक्ति भागीदार हो।
अगर यह मॉडल अन्य विधायकों द्वारा भी अपनाया जाए, तो इससे शासन न केवल अधिक उत्तरदायी होगा, बल्कि जनता और जनप्रतिनिधियों के बीच विश्वास की खाई भी पाटी जा सकेगी।
“एक दिन का विधायक” केवल एक प्रतीकात्मक कदम नहीं, बल्कि प्रभावशाली लोकतांत्रिक नवाचार है। यह प्रयोग यह याद दिलाता है कि असली लोकतंत्र वही है जिसमें नेता और जनता के बीच दीवारें नहीं, संवाद होता है।
यह पहल आने वाले समय में राजनीति और प्रशासन के नए मानक स्थापित कर सकती है।
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Author: Raju Atulkar
तेजस रिपोर्टर डिजिटल के लिए काम करता हूं। पत्रकारिता में साल 2015 से सफर की शुरुआत की। अब समसामयिक विषयों पर खबरें लिखने में रुचि रखता हूं।
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