रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी/कोलारस | मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों एक के बाद एक उठते घटनाक्रमों ने कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है। खासकर शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट से पूर्व विधायक और वरिष्ठ नेता वीरेंद्र रघुवंशी के पार्टी से इस्तीफे ने कांग्रेस को संगठनात्मक तौर पर कमजोर करने का काम किया है। रघुवंशी ने सोशल मीडिया पर इस्तीफे की जानकारी साझा करते हुए इसे स्वास्थ्य कारणों से प्रेरित बताया, लेकिन उनके बयानों और भावनाओं ने राजनीतिक हलकों में इस फैसले के गहरे कारणों की ओर इशारा किया है।
“गुटबाजी और अनदेखी से मन खट्टा हुआ”: वीरेंद्र रघुवंशी
हमारे संवाददाता अतुल कुमार जैन से विशेष बातचीत में वीरेंद्र रघुवंशी ने अपने मन की बात खुलकर रखी। उन्होंने कांग्रेस संगठन के भीतर फैली गुटबाजी, अनुशासनहीनता और उपेक्षा को लेकर गहरी नाराजगी जताई।
“पार्टी में कुछ लोगों को जरूरत से ज्यादा तवज्जों दी जा रही है। साथ ही अनुशासन भी नहीं है। पीठ पीछे फालतू की बातें हो रही हैं। विधानसभा चुनाव में भी टिकट नहीं मिला। तब से ही मेरा मन खराब था। अभी मैंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल किसी पार्टी में जाने का मन नहीं है। समाजसेवा का काम करता रहूंगा।”
” वीरेंद्र रघुवंशी, पूर्व विधायक “
रघुवंशी का यह बयान स्पष्ट करता है कि उनका यह निर्णय पार्टी से किसी व्यक्तिगत मनमुटाव से अधिक, एक संस्थानिक असंतोष और अनुभव की अनदेखी का परिणाम है।
जिलाध्यक्ष ने किया इस्तीफे से इंकार –
कांग्रेस जिलाध्यक्ष विजय चौहान ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए रघुवंशी से किसी संवाद से इनकार किया और उनके इस्तीफे को स्वीकार न करने की बात कही।
“मेरी कोई बात वीरेंद्र से नहीं हुई है। उनसे तो मेरे घर के संबंध हैं। मैं तो पूर्व विधायक का इस्तीफा नहीं ले सकता, वह तो वरिष्ठ पदाधिकारियों के पास जाता है। मैं तो उनका इस्तीफा कभी मंजूर नहीं कर सकता। वैसी कोई बात नहीं हुई है। साथ ही वीरेंद्र रघुवंशी कांग्रेस पार्टी को नहीं छोड़ सकते।
” विजय चौहान, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस “
चौहान का बयान यह दर्शाता है कि संगठन में संवाद की कमी है, और वरिष्ठ नेताओं को मनोबल देने की प्रक्रिया कहीं न कहीं कमजोर हुई है।
कोलारस कांग्रेस में बिखराव के संकेत
रघुवंशी का इस्तीफा एक तरह से कोलारस कांग्रेस की भीतरू स्थिति और गुटीय संघर्ष को उजागर करता है। कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता असमंजस में हैं — कुछ रघुवंशी के समर्थन में हैं, तो कुछ संगठन के मौजूदा स्वरूप को मजबूत बनाए रखने की बात कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम केवल रघुवंशी का व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि एक बड़ी संगठनात्मक कमजोरी का संकेत है, जिसका असर आगामी विधानसभा चुनावों में महसूस किया जा सकता है।
आगे क्या?
रघुवंशी को मनाने के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन वे फिलहाल राजनीति से दूर रहने की बात कर चुके हैं।
भाजपा में संभावित प्रवेश को लेकर चर्चाएं हैं, लेकिन उन्होंने इससे भी इनकार किया है।
कांग्रेस नेतृत्व की अगली रणनीति क्या होगी, यह अब सबकी निगाहों में है।
वीरेंद्र रघुवंशी का कांग्रेस से इस्तीफा, उनके व्यक्तिगत असंतोष के साथ-साथ पार्टी संगठन की जमीनी कमजोरियों की ओर भी इशारा करता है। यदि कांग्रेस इस मौके को संगठन-सुधार के रूप में नहीं लेती, तो आगामी चुनावी लड़ाई में इसे महंगा सौदा चुकाना पड़ सकता है।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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