श्री जिनेंद्र शोभायात्रा से हुआ संयम साधना शिविर का शुभारंभ, नौ दिवसीय विधान में देशभर से उमड़े श्रद्धालु

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जैन धर्म की संयम परंपरा और श्रद्धा की पराकाष्ठा का अद्भुत संगम शनिवार को खनियांधाना नगर में देखने को मिला, जब नगर के श्री नंदीश्वर जिनालय चेतनबाग़ में संयम साधना शिविर एवं श्री रत्नकरंड श्रावकाचार महामंडल विधान का भव्य शुभारंभ हुआ। यह नौ दिवसीय धार्मिक आयोजन 14 जून से 22 जून तक चलेगा, जिसमें देशभर से पधारे सैकड़ों श्रद्धालु आत्मकल्याण और संयम साधना का लाभ लेंगे।
शोभायात्रा से हुआ शुभारंभ, भक्ति और वैभव का अद्वितीय दृश्य
शिविर की शुरुआत शनिवार प्रातः श्री जिनेंद्र भगवान की भव्य शोभायात्रा के साथ हुई। यह शोभायात्रा नगर के नया मंदिर जी से प्रारंभ होकर विभिन्न प्रमुख मार्गों से होती हुई चेतनबाग़ जिनालय पहुंची। शोभायात्रा में तीन विशाल रथों पर विराजमान श्री जिनेंद्र भगवान की झलक पाने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
शोभायात्रा में मुख्य मंगल कलश श्री राजकुमार व दीपक कुमार व्या के परिवार द्वारा विराजमान किया गया। इस अवसर पर ज्ञान चंद जैन (महुआ), देवेंद्र सिंघई और मनोज साव परिवार को सौध इंद्र बनकर जिनेंद्र भगवान को विराजमान कराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वहीं, पांच परमागम को आकर्षक बग्घी पर लेकर चलने का गौरव श्रीमती सुधा जैन, सौरभ जैन (देवखो वाले), कुसुम जैन (पिपरा), अनिता जैन (पिपरा), रेखा जैन (जनता प्रेस) और पुष्पा जैन (वैध परिवार) को प्राप्त हुआ।
ध्वजारोहण व मंडप उद्घाटन ने बढ़ाई धार्मिक गरिमा

कार्यक्रम स्थल पर शोभायात्रा के आगमन के पश्चात ध्वजारोहण समारोह का आयोजन हुआ। यह पुण्य कार्य निहाल चंद जी पीतल फैक्ट्री (जयपुर) द्वारा संपन्न किया गया, जिसकी प्रतिष्ठा महेंद्र जैन (ग्वालियर परिवार) द्वारा की गई। इसके पश्चात मंडप उद्घाटन श्रीमती किरण जैन और सौम्या-गौरव जैन परिवार द्वारा किया गया। इसके साथ ही आचार्य कुंदकुंद देव आदि के चित्रों का अनावरण कर मंच को आध्यात्मिक ऊर्जा से संजोया गया।
मार्मिक प्रवचन और संयम साधना का अमूल्य लाभ

शिविर में बाल ब्र. पं. सुमत प्रकाश जी द्वारा प्रतिदिन संयम, आत्मशुद्धि और जिनधर्म की उपयोगिता विषय पर गहन प्रवचन दिए जा रहे हैं। उद्घाटन सत्र में उन्होंने “संयम ही मोक्ष का मार्ग है” विषय पर अत्यंत सरल और भावपूर्ण शैली में प्रवचन देते हुए कहा—
“वास्तविक सुख बाहरी पदार्थों में नहीं, बल्कि संयम, त्याग और आत्मा की खोज में है। जब तक हम इंद्रियों पर विजय नहीं प्राप्त करते, तब तक आत्मा का कल्याण असंभव है।”
प्रवचन के दौरान श्रद्धालु भावविभोर हो गए और धर्म, संयम व साधना की गहराइयों में डूब गए।
वहीं, जबलपुर से पधारे पं. राजेन्द्र कुमार जी द्वारा प्रतिदिन जिनवाणी का श्रवण कराया जा रहा है, जिसकी शैली मार्मिक, प्रभावशाली और हृदय को झकझोरने वाली है। उनके प्रवचनों से श्रद्धालु न केवल धर्म के सिद्धांतों से परिचित हो रहे हैं, बल्कि उन्हें जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा भी पा रहे हैं।
प्रतिष्ठा एवं विधान विधियों का कुशल संचालन
श्री रत्नकरंड श्रावकाचार महामंडल विधान की समस्त विधान क्रियाएं व प्रतिष्ठा कार्य प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्र. महेंद्र भैया जी अमायन एवं पं. मुकेश कोठादार द्वारा विधिपूर्वक सम्पन्न कराए जा रहे हैं। यह विधान जैन श्रावकों के कर्तव्य, चरित्र और संयम की मर्यादा का मार्गदर्शन करता है, जिसकी प्रस्तुति इस शिविर में विधिपूर्वक की जा रही है।
श्रद्धालुओं का उमड़ा जनसैलाब

इस संयम साधना शिविर में देशभर से श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है। श्रद्धालु सुबह प्रवचन, दोपहर विधान और शाम की सांध्य भक्ति में भाग लेकर आत्मचिंतन, आत्मशुद्धि और आत्मानुशासन की साधना कर रहे हैं। स्थानीय संघ, महिला मंडल, युवक मंडल, बालक-बालिकाएं सभी सेवा कार्यों में पूरे मनोयोग से लगे हुए हैं।
फेडरेशन के सचिन मोदी ने बताया कि यह आयोजन आत्मिक उन्नयन और सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि आयोजन में हर दिन कुछ नया आध्यात्मिक अनुभव होगा, जो श्रद्धालुओं को संयम के मार्ग पर दृढ़ बनाएगा।
नौ दिनों तक चलेंगे विशेष कार्यक्रम
14 से 22 जून तक चलने वाले इस शिविर में प्रतिदिन:
प्रातःकाल प्रवचन
मध्याह्न रत्नकरंड विधान की क्रियाएं
सायंकाल सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, एवं संयम चर्चा
विशेष स्वाध्याय सत्र और शंका समाधान का आयोजन किया जा रहा है।
संयम साधना शिविर बना आध्यात्मिक चेतना का केंद्र
खनियांधाना का यह नौ दिवसीय संयम साधना शिविर जिनवाणी, धर्मवाणी और संयमवाणी का अद्वितीय संगम है, जहां श्रद्धालु केवल दर्शन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और आत्मसाधना का भी लाभ ले रहे हैं। बाल ब्र. सुमत प्रकाश जी और पं. राजेन्द्र कुमार जी जैसे विद्वान आचार्यों के मार्गदर्शन में यह शिविर आत्मकल्याण की दिशा में अग्रसर हो रहा है।
इस भव्य आयोजन के माध्यम से खनियांधाना नगर एक बार फिर जैन धर्म की धार्मिक गरिमा और संयम संस्कृति का गौरवपूर्ण प्रतीक बनकर उभरा है।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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