रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
भोपाल | ग्राम खजूरी कला स्थित श्री राम जानकी मंदिर परिसर में सनातन धर्म की दिव्य परंपराओं का अनुपम संगम देखने को मिला, जब वेद मित्रों की मधुर ध्वनि और मंत्रोच्चार के बीच रूद्र चंडी महायज्ञ के साथ शिव महापुराण कथा का भव्य शुभारंभ हुआ। पूरन पूजन व आचार्य व्यास पूजन के पश्चात समस्त वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत हो गया।
इस शुभ अवसर पर वृंदावन धाम से पधारे प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य पंडित सूरज पाठक महाराज (कोड़ी वाले) एवं वाराणसी से पधारे यज्ञाचार्य सुबोध अग्निहोत्री महाराज की गरिमामयी उपस्थिति में विशाल कलश यात्रा का आयोजन किया गया।
भगवा परिधान में निकली भव्य कलश यात्रा
कलश यात्रा में सैकड़ों महिलाएं भारतीय परिधान – भगवा साड़ी और सिर पर कलश लिए – आस्था व उत्साह के साथ चल रही थीं। उनके साथ पुरुष श्रद्धालु भगवा कुर्ता, सफेद धोती और माथे पर तिलक सजाए हुए यात्रा की शोभा बढ़ा रहे थे। यात्रा के दौरान डीजे पर गूंजते भजनों की धुन पर महिलाएं, पुरुष और बच्चे झूमते हुए धर्म की आभा को जीवंत कर रहे थे। यह यात्रा खजूरी के प्रमुख मार्गों और आसपास की कॉलोनियों से गुजरती हुई यज्ञ स्थल पर पहुंची, जहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
शिव परिवार से सीखने की प्रेरणा
कथा प्रारंभ करते हुए आचार्य पंडित सूरज पाठक महाराज ने अपने ओजस्वी प्रवचनों में कहा, “यदि हम संपूर्ण विश्व में शांति की कामना करते हैं, तो न केवल मानव जाति बल्कि संपूर्ण जीव-जंतुओं की रक्षा का संकल्प भी लेना होगा।” उन्होंने कहा कि आज सनातन धर्म के सामने अनेक चुनौतियां हैं – जाति, रंग, वेशभूषा और क्षेत्र के नाम पर विदेशी शक्तियां हमें आपस में लड़ाकर हमारी संस्कृति को नष्ट करना चाहती हैं।
महाराज ने भगवान शिव के परिवार का उदाहरण देते हुए कहा, “जहां नंदी बैल, सर्प, शेर, चूहा, मोर जैसे विभिन्न जीव एक परिवार में शांतिपूर्वक रहते हैं, वहां से हमें सहिष्णुता, समरसता और सहयोग की सीख लेनी चाहिए।” उन्होंने आवाहन किया कि हम सभी सनातनी एकजुट रहें, संगठित होकर धर्म, संस्कृति और प्रकृति की रक्षा के लिए निरंतर प्रयासरत रहें।
सनातन संस्कृति की पुनर्प्रतिष्ठा का संदेश
इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि आज भी ग्रामीण अंचलों में सनातन संस्कृति की गूंज पूरी आस्था और उल्लास के साथ जीवित है। कथा व महायज्ञ के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं ने न केवल धार्मिक अनुभव प्राप्त किया, बल्कि सामाजिक एकता, प्रकृति संरक्षण और सांस्कृतिक जागरूकता का भी संकल्प लिया।
इस आयोजन में खजूरी कला सहित भोपाल और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यज्ञ एवं कथा सप्ताह भर चलेगा, जिसमें प्रतिदिन भजन संध्या, सत्संग और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।
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Author: TEJAS REPORTER (ED)
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