रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जिले के अमोलपठा क्षेत्र से एक बार फिर झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही का दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां इलाज के नाम पर एक मासूम की जिंदगी को सस्ते और गलत इलाज ने लील लिया। उढ़वाह गांव के 8 साल के बच्चे की तेज बुखार में झोलाछाप डॉक्टर द्वारा दी गई गलत दवा से मौत हो गई। इस घटना ने न सिर्फ स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर खामियों को उजागर किया है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
बुखार में दी गई गलत दवा, मासूम की गई जान
जानकारी के अनुसार, 8 वर्षीय मासूम को तेज बुखार और मलेरिया की शिकायत थी। परिजन उसे गांव के कथित डॉक्टर पप्पू बघेल के पास इलाज के लिए ले गए। सुबह 10 बजे इलाज शुरू हुआ, पहले सिरप दी गई, फिर दूसरी सिरप। लेकिन बच्चे की हालत लगातार बिगड़ती रही और अंततः मंगलवार दोपहर 3 बजे उसकी मौत हो गई।
पप्पू बघेल न तो पंजीकृत डॉक्टर है, न ही उसके पास क्लिनिक चलाने का कोई अधिकृत प्रमाणपत्र है। इसके बावजूद वह वर्षों से इलाके में इलाज कर रहा था। बच्चे की मौत के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है और परिजन सदमे में हैं।
जांच टीम गठित, पोस्टमार्टम के बाद विसरा जांच के लिए भेजा गया
घटना के बाद अमोलपठा चौकी पुलिस ने मामला संदिग्ध मानते हुए मर्ग कायम किया है और शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। साथ ही मौत के सही कारणों की पुष्टि के लिए विसरा सुरक्षित रखकर जांच के लिए भेजा गया है।
थाना प्रभारी अभिमन्यु सिंह ने बताया, “मामला संदिग्ध है, इसलिए सभी पहलुओं से जांच की जा रही है। वहीं, डॉ. संजय ऋषिश्वर ने भी जांच टीम गठित कर रिपोर्ट जल्द सौंपने के निर्देश दिए हैं।”
अमोलपठा में सक्रिय हैं दो दर्जन से अधिक झोलाछाप डॉक्टर
यह मामला कोई इकलौता नहीं है। अमोलपठा और आसपास के क्षेत्रों में करीब दो दर्जन झोलाछाप डॉक्टर और अवैध मेडिकल स्टोर सक्रिय हैं। ये न केवल बिना लाइसेंस के गंभीर बीमारियों का इलाज कर रहे हैं, बल्कि प्रतिबंधित दवाएं जैसे स्टेरॉयड, शेड्यूल-H दवाएं और गर्भपात की गोलियां तक धड़ल्ले से बेच रहे हैं।
हालांकि, अमोलपठा क्षेत्र में केवल 1 क्लीनिक और 5 मेडिकल स्टोर ही पंजीकृत हैं, फिर भी दर्जनों झोलाछाप खुलेआम इलाज कर रहे हैं।
पंजीकृत मेडिकल स्टोर और क्लीनिक की स्थिति
अमोलपठा क्षेत्र में पंजीकृत चिकित्सकों और फार्मासिस्टों की सूची इस प्रकार है:
1. शर्मा मेडिकल स्टोर – फार्मासिस्ट: रामनिवास शर्मा
2. जीवन मेडिकल स्टोर – फार्मासिस्ट: महावीर प्रसाद जैन
3. जय मां मेडिकल स्टोर – संचालन: रामगोपाल (थोक बिक्री)
4. चंचल मेडिकल स्टोर – संचालन: अनूप सिंह चंदेल (वर्तमान में बंद)
5. गरिमा क्लीनिक एवं मेडिकल स्टोर – डॉ. आशीष जैन (बी.एच.एम.एस., डी.फार्मा)
जबकि सीएमएचओ कार्यालय, शिवपुरी में पंजीकृत कुल 147 क्लीनिक और नर्सिंग होम ही हैं, जिनमें से 18 एलोपैथिक नर्सिंग होम, 21 होम्योपैथिक क्लीनिक, 19 आयुर्वेदिक, 2 नेचुरोपैथी और 87 एलोपैथिक क्लीनिक, डेंटल व पैथोलॉजी लैब शामिल हैं।
प्रशासनिक उदासीनता और लचर निगरानी तंत्र
जिला कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी पहले ही झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश जारी कर चुके हैं। बावजूद इसके गांवों में फर्जी डॉक्टरों की दुकानें बेरोकटोक चल रही हैं, जो दर्शाता है कि जमीनी स्तर पर प्रशासन की कार्रवाई केवल कागजों में सिमट कर रह गई है।
स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी इस दर्दनाक मौत की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। क्षेत्र में सक्रिय अवैध डॉक्टरों और मेडिकल स्टोर्स पर न तो नियमित जांच होती है, न ही समय-समय पर लाइसेंस और प्रमाणपत्रों की समीक्षा।
जरूरत है ठोस कार्रवाई की
अब समय आ गया है जब स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन को केवल जांच टीम बनाकर खानापूर्ति नहीं करनी चाहिए, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई करनी होगी। इन फर्जी डॉक्टरों और अवैध मेडिकल स्टोर्स के खिलाफ FIR दर्ज कर तुरंत कार्यवाही करनी होगी, ताकि भविष्य में किसी और मासूम की जान इन झोलाछापों की लापरवाही की भेंट न चढ़े।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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