संस्कार, धर्म और अनुशासन की पाठशाला बना खनियांधाना का जैन नया मंदिर – बच्चों में जाग रहा धार्मिक चेतना का दीप

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | खनियांधाना नगर स्थित नेमिनाथ दिगंबर जैन नया मंदिर इन दिनों सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि संस्कार, अनुशासन और जीवन मूल्यों की गूंज से भरा एक प्रेरणास्थल बन गया है। यहां पर छह दिवसीय ग्रीष्मकालीन जिनदेशना संस्कार शिक्षण शिविर का आयोजन हो रहा है, जिसमें नगर और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में बच्चे भाग ले रहे हैं। यह शिविर न सिर्फ धर्म की बारीकियों से बच्चों को परिचित करा रहा है, बल्कि उनके व्यक्तित्व में स्थायित्व, अनुशासन और आदर्श संस्कार भी भर रहा है।
शिविर का शुभारंभ समारोह अत्यंत गरिमामय वातावरण में हुआ। उद्घाटन श्रीमती पदमा देवी आनंद कुमार रोकडिया (चंदेरी) ने किया तथा झंडारोहण कैलाश चंद्र जैन चौधरी द्वारा संपन्न हुआ। इस अवसर पर नगर के गणमान्य नागरिकों सहित बच्चों के अभिभावक भी उपस्थित रहे।
पूरे बुंदेलखंड में एक साथ जागा धार्मिक अलख
शिविर का संचालन कर रहे पं. विराग जी शास्त्री (जबलपुर) ने जानकारी दी कि यह शिविर सिर्फ खनियांधाना तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे बुंदेलखंड क्षेत्र के 30 से अधिक स्थानों पर एक साथ आयोजित किया गया है। इन शिविरों के माध्यम से हजारों बालक-बालिकाएं जैन धर्म की शिक्षाओं को आत्मसात कर जीवन को मंगलमय बना रहे हैं।

शिविर में ज्ञानवर्धन का कार्य त्रिसमयिक रूप से—प्रातः, दोपहर व सायं—चलाया जा रहा है। पं. राजेंद्र कुमार जी (टीकमगढ़), पं. अमन शास्त्री (अकाझिरी) और पं. आदित्य शास्त्री (फुटेरा) के निर्देशन में बच्चों को जैन धर्म के मूल सिद्धांत, सदाचार, शिष्टाचार और आधुनिक जीवन से जुड़ी व्यावहारिक जानकारी दी जा रही है।
धर्म का बीज और आत्मा का बोध
स्थानीय प्रभारी विकास जैन शास्त्री और अंकित जैन सरल ने बताया कि शिविर में बालकों को पूजन, प्रक्षाल, प्रवचन और धार्मिक कक्षाओं के माध्यम से न केवल धर्म का व्यवहारिक ज्ञान दिया जा रहा है, बल्कि उनके भीतर सद्भाव, अहिंसा, संयम और समर्पण की भावना भी विकसित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि बालकों को समझाया जा रहा है कि शरीर को आत्मा समझना मिथ्यादर्शन है, जबकि आत्मा का बोध सम्यकदर्शन का द्वार खोलता है। शिविर के माध्यम से बच्चों में आत्मा की शुद्धता और मोक्ष की ओर अग्रसर होने का भाव जागृत किया जा रहा है।
बाल मन में संस्कारों की नींव
शिविर में भाग ले रहे बच्चों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है, जिससे यह स्पष्ट है कि नई पीढ़ी में धर्म और संस्कारों के प्रति उत्साह चरम पर है। बच्चों में यह उत्साह केवल धार्मिक जानकारी तक सीमित नहीं है, बल्कि वह अपने आचरण, बोलचाल और व्यवहार में भी इसका प्रभाव दिखा रहे हैं।
फेडरेशन के सचिन मोदी ने बताया कि इस तरह के शिविर बच्चों के आत्मबल, संस्कृति बोध और अनुशासन निर्माण की दिशा में एक सार्थक पहल हैं। उन्होंने कहा, “आज जब समाज पाश्चात्य संस्कृति की ओर तेजी से आकर्षित हो रहा है, ऐसे में इन शिविरों के माध्यम से भारतीय संस्कारों और धर्म की शिक्षा बच्चों में फिर से जागृत हो रही है।”
सामाजिक समरसता और माता-पिता की भागीदारी

शिविर की विशेषता यह भी रही कि इसमें केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि उनके अभिभावक भी समय-समय पर भाग लेकर शिविर के उद्देश्यों को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। आयोजकों ने विशेष व्यवस्था कर बच्चों को अनुशासन, समय पालन, स्वच्छता और सह-अस्तित्व जैसे मूल्यों को व्यवहार में उतारने के लिए प्रेरित किया।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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