भुवन ऋभु को ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से सम्मानित: रायसेन से विश्व मंच तक बाल अधिकारों की गूंज

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रिपोर्ट – राजू अतुलकर
रायसेन | विश्व न्याय के क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ गया है, जब वर्ल्ड ज्यूरिस्ट एसोसिएशन (WJA) ने भारत के सामाजिक कार्यकर्ता और ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ (JRC) के संस्थापक भुवन ऋभु को ‘मेडल ऑफ ऑनर’ से नवाजा। यह सम्मान न सिर्फ भुवन ऋभु की वर्षों की अथक मेहनत और कानूनी संघर्षों का परिणाम है, बल्कि यह प्रतिष्ठित सम्मान भारत के लिए गर्व का क्षण भी है, क्योंकि यह पुरस्कार पाने वाले वे पहले भारतीय हैं।
4 से 6 मई के बीच डोमिनिकन रिपब्लिक में आयोजित वर्ल्ड लॉ कांग्रेस में यह सम्मान उन्हें प्रदान किया गया। इस वैश्विक मंच पर WJA के अध्यक्ष जेवियर क्रेमाडेस ने कहा, “भुवन ऋभु के प्रयासों ने लाखों बच्चों और महिलाओं को न सिर्फ बचाया है, बल्कि उनके लिए एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण कानूनी ढांचा भी तैयार किया है। उनके योगदान को विश्व समुदाय हमेशा याद रखेगा।”
रायसेन से शुरू हुई थी लड़ाई
भुवन ऋभु का संघर्ष छोटे से जिले रायसेन से शुरू हुआ, जहां उन्होंने कृषक सहयोग संस्थान (KSS) के साथ मिलकर बाल विवाह, बाल तस्करी और यौन शोषण के खिलाफ अभियान चलाया। ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय रहकर उन्होंने बच्चों के अधिकारों की लड़ाई को जमीनी स्तर पर लड़ा। उनका यह संघर्ष सिर्फ सामाजिक जागरूकता तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने कानूनी हस्तक्षेपों के जरिए नीतिगत बदलाव भी सुनिश्चित किए।
उनके प्रयासों के चलते बाल अधिकारों से जुड़े कई अहम कानून बने, जिनमें ऑनलाइन और वास्तविक जीवन में बच्चों के यौन शोषण की रोकथाम के लिए सख्त कानूनी प्रावधान शामिल हैं।
किताब के जरिए पेश की रणनीति
भुवन ऋभु की चर्चित किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन: टिपिंग प्वाइंट टू एंड चाइल्ड मैरेज’ में उन्होंने बाल विवाह की समस्या पर गहरी चिंता जताते हुए इसके समाधान के लिए समग्र रणनीतिक खाका पेश किया है। इस किताब में वे आंकड़ों, केस स्टडी और नीतिगत सुझावों के माध्यम से यह स्पष्ट करते हैं कि यदि समय रहते हस्तक्षेप न किया जाए तो बाल विवाह समाज की अगली पीढ़ी को अंधकार में धकेल सकता है।
बाल अधिकार आंदोलन को मिली नई ऊर्जा
JRC के राष्ट्रीय संयोजक रवि कांत ने इस अवसर पर कहा, “यह सम्मान न केवल भुवन ऋभु का है, बल्कि यह पूरे देश में चल रहे बाल अधिकार आंदोलन के लिए एक मील का पत्थर है। यह दर्शाता है कि यदि सही दिशा में कानूनी हस्तक्षेप किया जाए, तो सामाजिक परिवर्तन संभव है।”
KSS के निदेशक डॉ एच. बी. सेन ने इसे एक “नई ऊर्जा का संचार” बताया और कहा कि वे 2030 तक रायसेन को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
रायसेन को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय पहचान
KSS के जिला समन्वयक अनिल भवरे का मानना है कि यह वैश्विक सम्मान रायसेन को बाल अधिकारों की सुरक्षा और न्याय के क्षेत्र में एक अंतरराष्ट्रीय उदाहरण के रूप में स्थापित करेगा। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है और इससे हमें अपने अभियानों को और विस्तार देने की शक्ति मिलेगी।”
भुवन ऋभु का यह सम्मान साबित करता है कि जब सामाजिक प्रतिबद्धता और कानूनी समझ का संगम होता है, तो उसके परिणाम दूरगामी और ऐतिहासिक होते हैं। रायसेन जैसे छोटे जिले से शुरू हुआ यह सफर अब वैश्विक मान्यता तक पहुंच गया है। भुवन ऋभु उन सभी लोगों के लिए एक मिसाल हैं, जो बदलाव लाने का सपना देखते हैं और उसे ज़मीनी हकीकत में बदलते हैं।
यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि उन हजारों बच्चों और महिलाओं के लिए भी है, जिनकी ज़िंदगियाँ उनके प्रयासों से बदली हैं। अब यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस विरासत को आगे बढ़ाएं और भारत को बाल अधिकारों के क्षेत्र में अग्रणी राष्ट्र बनाएं।

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