10 लाख की बाइक चोरी का पर्दाफाश: बेरोजगारी, नशे और गिरोहबंदी की कहानी”

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | थाना पोहरी पुलिस द्वारा बीते दिनों 10 चोरी की मोटरसाइकिलें बरामद कर एक आरोपी बल्ले उर्फ बालकिशन को गिरफ्तार किया गया। यह एक सामान्य चोरी का मामला भर नहीं, बल्कि समाज के भीतर पनप रही एक गहरी समस्या की बानगी है। यह खबर अपराध की घटना से कहीं ज्यादा बेरोजगारी, अपराध की ओर युवाओं का बढ़ता झुकाव, और सीमावर्ती जिलों में फैले चोरी के नेटवर्क की ओर इशारा करती है।
बेरोजगारी और अपराध की ओर बढ़ते कदम
गिरफ्तार आरोपी बल्ले उर्फ बालकिशन पुत्र जगदीश कुशवाह (उम्र 27 वर्ष), निवासी आनंदपुर थाना छर्च है। उसका फरार साथी सुनील बाल्मीक, निवासी ग्राम मामौनी थाना शाहबाद, जिला बारां (राजस्थान) है। सीमावर्ती क्षेत्रों के ये युवक बेरोजगारी और शिक्षा की कमी के चलते अपराध की ओर मुड़ गए। ये लोग एक सुनियोजित योजना के तहत शिवपुरी और राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से मोटरसाइकिलें चोरी करते थे।
बरामद मोटरसाइकिलों का विवरण

पुलिस द्वारा बरामद 10 मोटरसाइकिलों में शामिल हैं:
1. हीरो स्प्लेंडर प्लस, क्र. MP33MT6261
2. पल्सर 125cc, काले-हरे रंग की, बिना रजिस्ट्रेशन नम्बर (चेसिस: MD2868BX4RPH32276)
3. पल्सर 125cc, काले-लाल रंग की, RJ28DS3863 (चेसिस: MD2868BXXRPA60479)
4. स्प्लेंडर प्लस, काले रंग की, बिना नम्बर (चेसिस: MBLHAW120M4C19934)
5. स्प्लेंडर, काले-स्लेटी रंग की, RJ29AS0997 (चेसिस घिसा, इंजन: HA10AGK4K16968)
6. हीरो HF-DELUX, काले-नीले रंग की, RJ14KH2298 (चेसिस: MBLHA11EUD9D04828)
7. हीरो HF-DELUX, काले रंग की, बिना नम्बर (चेसिस: MBLHACO4XL9H03001)
8. बजाज प्लेटिना 100cc, काले-स्लेटी रंग की, RJ28SZ1827 (चेसिस: MD2A76AX8MPH34538)
9. बजाज प्लेटिना 100cc, काले-स्लेटी रंग की, MP33MV5466 (चेसिस: MD2A76AY7KPJ39313)
10. बजाज डिस्कवर 100cc, काले-लाल रंग की, रजिस्ट्रेशन नम्बर घिसा हुआ (इंजन: JBUBUE10508)
इन सभी गाड़ियों की अनुमानित कुल कीमत लगभग 10 लाख रुपए आँकी गई है।
गिरोहबंदी और सीमावर्ती नेटवर्क
राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर अपराध की यह श्रृंखला चौंकाने वाली है। चोरी की मोटरसाइकिलों का इस्तेमाल अन्य अपराधों में होने की भी आशंका है। इससे साफ होता है कि ये गतिविधियाँ सुनियोजित और नेटवर्क आधारित हैं।
नशा और अपराध का गठजोड़
प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी चोरी के पैसों का उपयोग नशे और ऐशो-आराम की चीजों में करते थे। यह बात भी सामने आई है कि वे चोरी की गाड़ियों को बहुत ही कम दामों पर बेच देते थे, जिससे गिरोह को तत्काल नकद राशि प्राप्त हो जाती थी।
पुलिस की सक्रियता: भूमिका सराहनीय

इस कार्रवाई को सफल बनाने में थाना पोहरी प्रभारी निरीक्षक रजनी सिंह चौहान, उप निरीक्षक विनोद यादव (थाना प्रभारी गोपालपुर), प्रआर. राजीव छारी, आरक्षक संदीप राठौर, मुनेश धाकड़, कुलदीप शर्मा, अरविन्द, सुनील, दीपक राणा, रामनिवास, निशांत शुक्ला एवं हरीशंकर की अहम भूमिका रही।
इस पूरी कार्यवाही को पुलिस अधीक्षक शिवपुरी अमन सिंह राठौड़, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव मुले एवं एसडीओपी पोहरी सुजीत भदौरिया के निर्देशन में अंजाम दिया गया।
चेतावनी भी और सबक भी
पोहरी पुलिस की यह कार्रवाई निश्चित तौर पर सराहनीय है, लेकिन इसने समाज के लिए एक बड़ा सवाल छोड़ दिया है—क्या केवल अपराधियों को पकड़ना ही पर्याप्त है या हमें उन कारणों को भी मिटाना होगा जो युवाओं को अपराध की राह पर धकेलते हैं?
समाज, प्रशासन और शासन को मिलकर शिक्षा, रोजगार, नशा मुक्ति और नैतिक मूल्यों पर काम करना होगा, ताकि अगली “बरामद गाड़ियों की सूची” में हमारे गांव-कस्बों के युवक ना हों।

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