रिपोर्ट – राकेश कुमार जैन
रायसेन | अक्षय तृतीया जैसे अबूझ मुहूर्त पर अक्सर देश के विभिन्न हिस्सों में बड़े स्तर पर सामूहिक विवाहों का आयोजन किया जाता है, जहां परंपरागत सोच के कारण बाल विवाह की आशंका बढ़ जाती है। इस चुनौती से निपटने और समाज को बाल विवाह जैसी कुरीति से मुक्त करने के उद्देश्य से रायसेन जिले में एक प्रभावी और संगठित जनजागरूकता अभियान की शुरुआत की गई है।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और कृषक सहयोग संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ के अंतर्गत बुधवार को एक प्रचार रथ को जिला न्यायालय परिसर से न्यायाधीशों की उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। यह रथ जिले के विभिन्न गांवों और कस्बों में जाकर लोगों को बाल विवाह की हानियों और उससे जुड़े कानूनों की जानकारी देगा।
न्यायाधीशों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ शुभारंभ
प्रचार रथ को हरी झंडी दिखाने के समारोह में जिला न्यायालय परिसर में न्यायिक अधिकारियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम में प्रधान जिला न्यायधीश अनिल कुमार सोहोन, विशेष न्यायधीश एट्रोसिटी एक्ट अरविन्द रघुवंशी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय अरविन्द जैन, पंचम जिला न्यायाधीश धर्मपाल सिंह शिवाच, चतुर्थ जिला न्यायाधीश सुनील कुमार शौक, प्रथम जिला न्यायाधीश सचिन जैन, द्वितीय जिला न्यायाधीश महेश कुमार माली, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अजय कुमार यदु, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण हर्षिनी यादव, न्यायिक मजिस्ट्रेट सौम्या साहू आस्थाना तथा न्यायिक मजिस्ट्रेट संचित आस्थाना विशेष रूप से उपस्थित रहे।
डॉ. एच.बी. सेन और टीम की विशेष पहल
कृषक सहयोग संस्थान के निदेशक डॉ. एच.बी. सेन और उनकी टीम द्वारा रायसेन जिले में बाल विवाह रोकने के लिए लंबे समय से सतत प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाल विवाह सिर्फ एक सामाजिक बुराई नहीं, बल्कि यह बच्चों के भविष्य और देश के विकास के लिए एक गंभीर बाधा है। डॉ. सेन ने कहा कि “अबूझ मुहूर्त” जैसे अवसरों पर बाल विवाह के मामलों में बढ़ोतरी देखी जाती है, इसलिए ऐसे समय पर जनजागरूकता और कानूनी हस्तक्षेप बेहद जरूरी हो जाता है।
प्रचार रथ देगा कानूनी जानकारी और सामाजिक संदेश
प्रचार रथ जिले भर के विभिन्न ग्रामों, पंचायतों और विवाह स्थलों पर पहुंचकर ‘बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006’ की जानकारी देगा, जिसमें बाल विवाह कराने वाले अभिभावकों, पुरोहितों और अन्य लोगों के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है। रथ में लगे लाउडस्पीकर और पोस्टरों के माध्यम से बाल विवाह के दुष्परिणामों को बताया जाएगा, साथ ही आमजन को यह समझाया जाएगा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों की दृष्टि से यह कितना हानिकारक है।
समाज में बदलाव लाने की ओर ठोस कदम
इस पूरे अभियान का उद्देश्य न केवल विवाह आयोजनों में निगरानी करना है, बल्कि समाज में गहराई से जमी इस कुप्रथा के खिलाफ मानसिकता में बदलाव लाना भी है। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित न्यायाधीशों ने बाल विवाह की निंदा करते हुए कहा कि यह समाज में असमानता और उत्पीड़न को बढ़ावा देता है, और इसे रोकने में हर नागरिक की भूमिका महत्वपूर्ण है।
रायसेन जिले में शुरू हुआ यह अभियान न केवल एक प्रशासनिक या संस्थागत प्रयास है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने वाला एक सशक्त जनांदोलन बनता जा रहा है। बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ इस तरह की पहल आने वाले समय में पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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