रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | जनपद पंचायत पिछोर की ग्राम पंचायत कुम्हरौआ में मंगलवार को एक बड़ा प्रशासनिक घटनाक्रम सामने आया, जहां पंचों ने एकमत होकर सरपंच पिलबिंदर सरदार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उन्हें पद से हटा दिया। इस प्रक्रिया में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मौके पर प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी के बीच शांतिपूर्ण ढंग से मतदान और मतगणना संपन्न हुई।
मतदान में 15 पंचों ने अविश्वास के पक्ष में दिया वोट
जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत कुम्हरौआ में कुल 19 पंच हैं, जिनमें से 18 पंचों ने मतदान में भाग लिया। मतदान प्रक्रिया में सरपंच पिलबिंदर सरदार के पक्ष में केवल तीन वोट डाले गए, जबकि 15 पंचों ने अविश्वास के पक्ष में मतदान किया। एक पंच मतदान में शामिल नहीं हुआ। पंचों की स्पष्ट बहुमत राय को देखते हुए प्रस्ताव को पारित कर दिया गया। इसके पश्चात तहसीलदार पिछोर शिवशंकर सिंह गुर्जर ने प्रस्ताव पास होने की विधिवत घोषणा की।
सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद
मतदान और मतगणना के दौरान किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो, इसके लिए प्रशासन ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए थे। मायापुर थाना पुलिस के साथ-साथ खनियांधाना, भैंती और खोड़ चौकी का पुलिस बल मौके पर मौजूद रहा। मतदान कुम्हरौआ के शासकीय माध्यमिक विद्यालय भवन में संपन्न हुआ। पूरे क्षेत्र में दिनभर सुरक्षा बलों की सतर्कता बनी रही, जिससे किसी भी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई।
पंचों ने लगाए गंभीर आरोप
पंचों ने सरपंच पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पंचपति भानुप्रताप सिंह का कहना है कि “सरपंच गांव का कोई भी विकास कार्य नहीं कराते और पूरी तरह से मनमानी करते हैं। ग्राम पंचायत के निर्णयों में अन्य सदस्यों की कोई भागीदारी नहीं होती। विकास के नाम पर फर्जी आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे थे, जिससे जनता में रोष था। इसलिए पंचायत के पंचों ने मिलकर अविश्वास प्रस्ताव लाने का निर्णय लिया।”
सरपंच ने बताया राजनीतिक षड्यंत्र
वहीं, सरपंच पिलबिंदर सरदार ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से नकारते हुए इसे एक गहरी राजनीतिक साजिश बताया। उन्होंने कहा, “भानुप्रताप व रंधीरा ने सरपंच चुनाव में मेरे खिलाफ प्रत्याशी के रूप में नामांकन भरा था, लेकिन दोनों हार गए। चुनाव हारने के बाद से ही ये लोग मुझे हटाने के षड्यंत्र में लगे हुए थे। अब जब मेरी कार्यकाल का आधा समय पूरा हुआ, तब इन्होंने मिलकर पंचों को बहकाया और कई दिनों से उन्हें अपने प्रभाव में रखकर अविश्वास प्रस्ताव का रास्ता अपनाया। आज उन्हें सीधे मतदान केंद्र लाकर मतदान कराया गया। यह पूरी तरह से सुनियोजित राजनीतिक षड्यंत्र है।”
प्रशासन की निगरानी में हुआ मतदान
अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए पिछोर तहसीलदार शिवशंकर सिंह गुर्जर, खनियांधाना तहसीलदार शुभम गर्ग और पंचायत इंस्पेक्टर आरके टेंगर मौके पर उपस्थित रहे। उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव से संबंधित सभी औपचारिकताओं का पालन सुनिश्चित किया।
स्थानीय राजनीति में हलचल
इस घटनाक्रम के बाद कुम्हरौआ ग्राम पंचायत और आसपास के इलाकों में राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। गांव के लोग अब यह देखना चाह रहे हैं कि नए नेतृत्व के रूप में कौन सामने आता है और आगे ग्राम पंचायत की बागडोर कौन संभालता है। पंचों के निर्णय को जहां एक पक्ष जनहित में ठहरा रहा है, वहीं सरपंच समर्थक इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई मान रहे हैं।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
गांव के कुछ लोगों ने बताया कि पंचायत में पारदर्शिता की कमी थी और सरपंच पर बार-बार एकतरफा निर्णय लेने के आरोप लगते रहे हैं। वहीं, कुछ ग्रामीणों का कहना है कि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार जैसी कोई बात नहीं थी, परंतु आपसी गुटबाज़ी के चलते यह स्थिति बनी है। फिलहाल गांव में माहौल शांत है, लेकिन भविष्य की राजनीति को लेकर असमंजस बना हुआ है।
क्या आगे होगा?
सरपंच के पद से हटाए जाने के बाद पंचायत की कमान अस्थायी रूप से किसी अन्य सदस्य को सौंपी जा सकती है या प्रशासन अगले कदम के रूप में उपचुनाव कराने की प्रक्रिया आरंभ करेगा। इस निर्णय से पंचायत में न केवल नेतृत्व परिवर्तन हुआ है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की निगरानी और पारदर्शिता की आवश्यकता भी एक बार फिर उजागर हुई है।
कुम्हरौआ ग्राम पंचायत में सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का पारित होना केवल एक प्रशासनिक घटना नहीं, बल्कि यह स्थानीय राजनीति और पंचायत व्यवस्था की जटिलताओं को उजागर करता है। जहां एक ओर पंच जनहित के नाम पर बदलाव की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हटाए गए सरपंच इसे राजनीति से प्रेरित कदम बता रहे हैं। अब देखना यह है कि गांव में नेतृत्व परिवर्तन के बाद विकास और पारदर्शिता को नया आयाम मिलता है या फिर राजनीति की खींचतान में पंचायत एक बार फिर उलझकर रह जाती है।
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Author: TEJAS REPORTER (ED)
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