“खनियाधाना के स्कूलों में ‘बिट्टू की डायरी’ से बच्चों की रचनात्मक उड़ान”, “बिट्टू की डायरी: छुट्टियों में बच्चों के भावनात्मक और बौद्धिक विकास की नई पहल”

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रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | बच्चों की रचनात्मकता, आत्मविश्वास और व्यक्तित्व विकास को नई दिशा देने के लिए खनियाधाना विकासखंड के शासकीय विद्यालयों में इस वर्ष ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान एक अनूठा नवाचार “बिट्टू की डायरी” प्रारंभ किया गया है। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को अपने विचारों और अनुभवों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अवसर प्रदान करना है।

“बिट्टू की डायरी” नवाचार को जिला परियोजना समन्वयक दफेदार सिंह सिकरवार के नेतृत्व में बीआरसी संजय भदौरिया, बीएसी, सीएसी और शाला प्रमुखों के संयुक्त प्रयासों से आकार दिया गया है। इस पहल के तहत प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के सभी विद्यार्थियों को एक विशेष डायरी प्रदान की जा रही है, जिसमें वे अपनी छुट्टियों के दौरान के अनुभव, भावनाएं, यात्राएं और रोजमर्रा की गतिविधियों को स्वयं लिखेंगे।
बिट्टू की डायरी: अपनापन और रचनात्मकता का संगम
डायरी का नाम “बिट्टू की डायरी” रखा गया है, जो बच्चों में अपनत्व की भावना उत्पन्न करता है और उन्हें सहज रूप से अपने विचार व्यक्त करने के लिए प्रेरित करता है। बच्चों को यह समझाया जाएगा कि डायरी लेखन कोई औपचारिक कार्य नहीं, बल्कि उनके दिल की बातों को सहजता से कागज पर उकेरने का एक अवसर है।
पीटीएम में होगा डायरी वितरण, मिलेगा प्रशिक्षण
इस नवाचार के तहत 29 अप्रैल को प्रत्येक विद्यालय में अभिभावक-शिक्षक बैठक (PTM) का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर विद्यार्थियों को “बिट्टू की डायरी” सौंपी जाएगी। कुछ विद्यार्थी अपनी स्वयं की डायरी लाएंगे, जबकि शेष को विद्यालय द्वारा डायरी प्रदान की जाएगी।

डायरी लेखन को सहज और प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को संक्षिप्त प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसमें उन्हें बताया जाएगा कि कैसे वे अपनी दिनचर्या, भावनात्मक अनुभवों और रोचक घटनाओं को सहज भाषा में अभिव्यक्त कर सकते हैं। इससे बच्चों के लेखन कौशल के साथ-साथ आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी।
जुलाई में होगी डायरियों की समीक्षा, मानसिक विकास का आकलन
ग्रीष्मकालीन अवकाश समाप्त होने के बाद जुलाई में विद्यालय खुलने पर विद्यार्थियों से ये डायरियाँ एकत्रित की जाएंगी। शिक्षकों द्वारा प्रत्येक डायरी का अध्ययन किया जाएगा, जिससे बच्चों की सोचने की क्षमता, रुचियों और भावनात्मक स्थिति का विश्लेषण किया जा सकेगा।
डायरी में दर्ज विचारों से यह भी आकलन किया जाएगा कि विद्यार्थी किन पहलुओं में अधिक रुचि रखते हैं, किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं और किस तरह की सहायता से उनका संपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। इस तरह शिक्षण रणनीतियों को भी बच्चों की वास्तविक जरूरतों के अनुसार अनुकूलित किया जा सकेगा।
प्रतिभावान लेखकों को मिलेगा सम्मान
इस नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए प्रत्येक जनशिक्षा केंद्र से दो उत्कृष्ट डायरियों का चयन किया जाएगा, जिन्हें जिला स्तर पर प्रस्तुत किया जाएगा। चयनित डायरियों के रचनाकार छात्रों को सम्मानित किया जाएगा। इससे बच्चों में श्रेष्ठ लेखन के प्रति उत्साह बढ़ेगा और उनमें स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना भी विकसित होगी।

एक छोटे प्रयास से बड़े सपनों की उड़ान
“बिट्टू की डायरी” जैसा छोटा सा प्रयास न केवल बच्चों में रचनात्मक अभिव्यक्ति के बीज बोएगा, बल्कि उनके व्यक्तित्व के बहुआयामी विकास की दिशा में भी एक मजबूत आधार तैयार करेगा। इस पहल से आत्म-अनुशासन, दैनिक चिंतन और स्व-विश्लेषण जैसे महत्वपूर्ण गुण भी बच्चों में स्वाभाविक रूप से विकसित होंगे।
खनियाधाना के सरकारी विद्यालयों में शुरू किया गया यह अभिनव प्रयास न केवल स्थानीय शिक्षा व्यवस्था में नवाचार का उदाहरण बनेगा, बल्कि भविष्य में अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।

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