मानवता की ड्यूटी: मिसरोद पुलिस ने मानसिक रूप से अस्थिर बालक को परिजनों से मिलाया,यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन ने किया सम्मानित

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रिपोर्ट – राजू अतुलकर
भोपाल | पुलिस अक्सर अपराधों की रोकथाम, अपराधियों की धरपकड़ और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जानी जाती है, लेकिन जब वही वर्दी इंसानियत, करुणा और संवेदना के प्रतीक के रूप में सामने आती है, तो वह व्यवस्था के प्रति आम नागरिकों के विश्वास को नई ऊंचाई देती है। हाल ही में ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण भोपाल के मिसरोद थाना क्षेत्र में देखने को मिला, जब थाना प्रभारी मनीष भदौरिया और इंस्पेक्टर राजकुमार गुप्ता के नेतृत्व में पुलिस टीम ने न केवल एक मानसिक रूप से अस्थिर बालक को समय रहते खोज निकाला, बल्कि उसे उसके परिवार से मिलाकर पूरे समाज के लिए एक मिसाल कायम की।
यह मामला केरल राज्य के एर्नाकुलम जिले से जुड़ा हुआ है, जहाँ से विशाल मणिकंदन, एक मानसिक रूप से अस्थिर बालक, 2 अप्रैल को अचानक लापता हो गया था। परिजनों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट स्थानीय थाने में दर्ज कराई, लेकिन जब वह भोपाल जैसे दूरस्थ शहर में पाया गया, तो उनके लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था।
9 अप्रैल 2025 को मिसरोद थाना क्षेत्र में एक स्थानीय शोरूम के पास एक लड़का संदिग्ध स्थिति में देखा गया। राहगीरों ने जब उसकी असामान्य गतिविधियों पर ध्यान दिया, तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही इंस्पेक्टर राजकुमार गुप्ता मौके पर पहुँचे और लड़के को तत्काल थाने लाया गया। युवक न तो स्पष्ट रूप से अपनी पहचान बता पा रहा था, और न ही किसी भी सवाल का संतुलित जवाब दे पा रहा था। उसकी मानसिक स्थिति अस्थिर थी, और वह संवाद करने में असमर्थ था।
स्थिति की गंभीरता को समझते हुए, थाना प्रभारी टीआई मनीष भदौरिया ने मामले को गंभीरता से लिया और उसे किसी सामान्य गुमशुदगी का केस न मानकर, एक मानवीय संकट के रूप में संभाला। उन्होंने इंस्पेक्टर गुप्ता के माध्यम से समाजिक संगठनों से संपर्क साधने के निर्देश दिए। इसी क्रम में, पुलिस ने यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन (यूएमए) के अध्यक्ष ओ.डी. जोसेफ से संपर्क कर सहयोग मांगा।
एसोसिएशन ने भी संवेदनशीलता दिखाते हुए तुरंत पहल की और बालक के केरल से होने की पुष्टि के प्रयास शुरू किए। उन्होंने बताया कि यह लड़का वास्तव में एर्नाकुलम के विशाल मणिकंदन हो सकता है, जिसकी गुमशुदगी की सूचना केरल पुलिस ने अपने राज्यों को प्रसारित की थी।
यह पहचान होते ही मिसरोद पुलिस ने बालक के अस्थाई निवास और सुरक्षा की व्यवस्था की। उसकी मानसिक अवस्था को देखते हुए, उसे किसी सामान्य आश्रय गृह में रखना संभव नहीं था। ऐसे में यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन ने ईदगाह हिल्स स्थित करुणा सदन में विशेष देखरेख की व्यवस्था की। इस दौरान विशाल ने कई बार भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस के जवानों, विशेषकर कांस्टेबल बसंत कुमार और टीम ने सतर्कता और धैर्य का परिचय देते हुए उसकी लगातार निगरानी की।
इस पूरी अवधि में थाना प्रभारी मनीष भदौरिया और इंस्पेक्टर राजकुमार गुप्ता व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी करते रहे। उनकी सक्रिय भागीदारी ने ही यह सुनिश्चित किया कि विशाल सुरक्षित रहे और उसकी मानसिक स्थिति का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन हो सके।
10 अप्रैल को, विशाल के पिता मणिकंदन, जो कि एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं, भोपाल पहुँचे। मिसरोद पुलिस द्वारा समुचित पहचान और दस्तावेजों के सत्यापन के बाद, विशाल को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। यह क्षण अत्यंत भावुक था — एक पिता ने अपने खोए हुए बेटे को फिर से पाया। उनके चेहरे पर उमड़ा संतोष और आंखों में भरी कृतज्ञता ने पुलिस के हर प्रयास को सार्थक कर दिया।
विशाल के पुनर्मिलन की इस घटना ने न सिर्फ एक परिवार को राहत दी, बल्कि यह साबित कर दिया कि पुलिस अगर संवेदनशीलता और मानवता के साथ काम करे, तो वह समाज की सबसे बड़ी सहायक शक्ति बन सकती है।
इस मानवीय कार्य के लिए 11 अप्रैल को यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने मिसरोद थाने पहुँचकर एक औपचारिक कार्यक्रम में थाना प्रभारी मनीष भदौरिया, इंस्पेक्टर राजकुमार गुप्ता, कांस्टेबल बसंत कुमार और टीम के अन्य सदस्यों को सम्मानित किया। अध्यक्ष ओ.डी. जोसेफ ने कहा, “मिसरोद पुलिस का यह योगदान न सिर्फ अनुकरणीय है, बल्कि यह समाज को यह संदेश देता है कि पुलिस सिर्फ नियम लागू करने वाली संस्था नहीं, बल्कि करुणा और भरोसे का आधार भी है।”
उन्होंने विशेष रूप से राजकुमार गुप्ता की भूमिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी तीव्र प्रतिक्रिया, सूझबूझ और संवेदनशीलता ने ही इस बालक को सही समय पर बचाया। वहीं टीआई मनीष भदौरिया की नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता ने पूरी प्रक्रिया को समन्वित रूप से सफलता दिलाई।
भोपाल पुलिस की यह कार्रवाई यह दिखाती है कि जब वर्दी के पीछे का इंसान जागता है, तब न सिर्फ अपराध रुकते हैं, बल्कि जीवन बचते हैं, रिश्ते जुड़ते हैं और समाज में विश्वास पनपता है। यह घटना आने वाले समय में पुलिस और समाज के रिश्तों को और मजबूत करने वाली प्रेरक कथा के रूप में याद की जाएगी।

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Raju Atulkar
Author: Raju Atulkar

"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल

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