रिपोर्ट – अतुल कुमार जैन
शिवपुरी | फतेहपुर रोड निवासी 60 वर्षीय राधा देवी शर्मा की आखिरी इच्छा थी कि उनकी आंखें उनके जीवन के बाद भी किसी की दुनिया रोशन करें। मंगलवार सुबह उनके निधन के बाद परिजनों ने उनकी यह इच्छा पूरी करते हुए उनकी दोनों आंखें अस्पताल को दान कर दीं। इस महान कार्य से राधा देवी ने साबित कर दिया कि इंसान मरकर भी किसी की ज़िंदगी में उजाला ला सकता है।
जानकारी के अनुसार, राधा देवी शर्मा, जो कि शहर के आशीर्वाद अस्पताल के संचालक केके शर्मा की पत्नी थीं, 12 दिन पहले पूजा करते समय दीपक से झुलस गई थीं। गंभीर हालत में उन्हें इंदौर ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। परिजनों ने बिना देर किए उनकी आंखें दान करने की प्रक्रिया पूरी की। बुधवार सुबह ये आंखें किसी ज़रूरतमंद नेत्रहीन व्यक्ति को रोशनी देने के लिए ट्रांसप्लांट की जाएंगी।
परिजनों ने बताया कि राधा देवी ने पहले ही सभी को स्पष्ट कर दिया था कि वह मरने के बाद अपनी आंखें दान करना चाहती हैं। इसी भावना को ध्यान में रखते हुए उनके रिश्ते में भाई लगने वाले समाजसेवी डॉ. अजय खेमरिया ने पहले ही नेत्रदान का फार्म भरवा दिया था। उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस बात के लिए तैयार कर लिया था।
राधा देवी की इस आत्मीय भावना और परिवार के सहयोग से यह कार्य संभव हो सका। उनकी इस पहल से न केवल दो नेत्रहीन व्यक्तियों को नई दृष्टि मिलेगी, बल्कि समाज को नेत्रदान जैसे पुण्य कार्य की प्रेरणा भी मिलेगी।
शहर में राधा देवी के इस कार्य की सराहना की जा रही है। लोग कह रहे हैं कि राधा देवी भले ही इस दुनिया को छोड़ गई हों, लेकिन उनकी आंखों से अब दो और लोग इस खूबसूरत दुनिया को देख सकेंगे। ऐसे लोग समाज के लिए मिसाल होते हैं जो मरने के बाद भी किसी की ज़िंदगी संवार जाते हैं।
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Author: Raju Atulkar
"पत्रकारिता सिर्फ पेशा नहीं, जिम्मेदारी भी है…" साल 2015 से कलम की स्याही से सच को उजागर करने की यात्रा जारी है। समसामयिक मुद्दों की बारीकियों को शब्दों में ढालते हुए समाज का आईना बनने की कोशिश। — राजू अतुलकर, तेजस रिपोर्टर डिजिटल
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