शब्द शिल्पी : होली की कटु सत्य संदेशवाणी-भावना मंगलमुखी, ट्रांसजेंडर लेखिका

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आज रात मुझे होली मिली
आई पास मुंह खोल बोली
उसके मन की खास बात।
खोला निज रहस्य राज।।
मैं नारी हूं, पवित्र स्त्री हूं।
मैं अग्नि को साक्षी रख
वचन आपको दे रही हूं –
सुनों गौर से दुनिया वालों
बुरी नजर न मुझपे डालो।
मैं हूं प्रथम जीवनसंगिनी
पवित्रमन बाल पुरूष की
फिर भी आप मुझको ही
हर साल ही जलाते हो।।
हां, मेरे प्रहलाद को तुम
बचाते हो पर आजकल
तुम्हारे निज सत्यरूपी
प्रहलाद का क्या हुआ ?
सिर्फ एक पेड़ जला करके
मुझे मारने का मिथ्या मजाक
तुम खुश भले ही हो जाते हो।
पर मैं नहीं मरती कभी क्योंकि
तुमने मुझ स्त्री से घृणा की,
पर अनेकों बुराईयों को तो
दिल में देते हो तुम पनाह।
और यूं भले कितने ही
नाचों-कूदो-गाओ परंतु
जब रहेगी निज मन में
आदर्श एवं व्यवहारिक
किंकर्तव्यविमूढ़ता,
द्विअंतर्मन का द्वंद्व,
कथनी-करनी का अंतर,
मुंह में राम बगल में छुरी।
आप अपने अहंकार को
दिल से दूर नहीं करेंगे।
मैं आपके जीवन में भी
प्रेम और खुशियों के रंग
कभी खिलने ही न दूंगी।
और आप चाहते हो कि
मैं आप पर कृपा करूं तो
कभी भी घृणा मत करो।
अरे कुछ नहीं तो मेरे से
कुछ तो सीख ले ही लो।
सब मेरे जैसा ही थोड़ा सा
बड़ा दिल भी तो कर दो ।
मैं मुझे जलाने वालों को भी
हर साल माफ कर देती हूं।।
मैं ख़ुशी ख़ुशी रंग-उमंग लेके
सबको मिलने आ जाती हूं।
सबको प्रेम व रिश्तों का
अहसास कराके जाती हूं।
फिर भी तुम बस मेरे
जाते ही लड़ने-झगड़ने
शुरू भी तो हो जाते हो।
जब आप मेरे नाम पर
नशा भी करते हो और
तमाशा दिखाते होते हो
और मेरे ही सामने मेरी
प्रेमप्रेरणा की धज्जियां
उड़ाते नजर आते हो।।
तब तो मैं और अधिक
दुखी-आक्रोशित होकर
कभी-कभी तो कोप भी
करने को मजबूर होती हूं।
अंत में सुन लो मेरी भी
एक सबसे बड़ी बात।
मेरी अमरता की गाथा
व रोचक रहस्य राज।
मैं कभी भी न मरने वाली
क्योंकि आखिर आप ही तो
हर साल मारने के लिए ही
मुझे जिंदा भी तो करते हो।
✍️ भावना मंगलमुखी-ट्रांसजेंडर लेखिका

✍🏻 शब्द शिल्पी
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Tejas Reporter
Author: Tejas Reporter

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