भारतीय समाज में होलिका दहन की प्रचलित कहानी राजा हिरण्यकश्यप, भक्त प्रह्लाद और होलिका से जुड़ी है, जिसे मुख्य रूप से हिंदू परंपरा से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन बहुजन समाज के कई समुदायों में होलिका दहन की अलग व्याख्या प्रचलित है, जो श्रमिक, वंचित और दलित समाज के संघर्ष और उत्पीड़न के खिलाफ विद्रोह को दर्शाती है।
बहुजन दृष्टिकोण : होलिका कौन थी?
बहुजन समाज के अनुसार, होलिका कोई राक्षसी या दुष्ट महिला नहीं थी, बल्कि वह हिरण्यकश्यप के अत्याचारों के खिलाफ खड़ी एक सशक्त महिला थी, जिसे सत्ता और पितृसत्तात्मक समाज ने बदनाम कर दिया।
1. होलिका : शोषित वर्ग की नायिका
बहुजन समाज के अनुसार, प्राचीन काल में आर्य और अनार्य (स्थानीय आदिवासी समुदाय) के बीच संघर्ष हुआ करता था। आर्यों ने जब अपने धर्म और सत्ता को मजबूत करना शुरू किया, तब उन्होंने स्थानीय समुदायों की संस्कृति, परंपरा और देवी-देवताओं को नष्ट करने का प्रयास किया।
होलिका वास्तव में एक शक्तिशाली स्त्री थी, जो समाज के दबे-कुचले और श्रमिक वर्ग का प्रतिनिधित्व करती थी।
उसे एक बलशाली योद्धा और विद्रोही महिला के रूप में देखा जाता है, जो ब्राह्मणवादी व्यवस्था और राजसत्ता के अन्याय के खिलाफ खड़ी हुई।
लेकिन इस समाज-व्यवस्था को चुनौती देने के कारण उसे “राक्षसी” घोषित कर दिया गया, ताकि भविष्य में कोई भी स्त्री या वंचित वर्ग के लोग विद्रोह करने की हिम्मत न करें।
2. आग में जलती होलिका : साजिश या अन्याय?
हिंदू मान्यता के अनुसार, होलिका को एक दुष्ट महिला के रूप में दिखाया जाता है, जो अपने भाई हिरण्यकश्यप के आदेश पर भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए उसे गोद में लेकर अग्नि में बैठी थी, लेकिन खुद जल गई और प्रह्लाद बच गया।
लेकिन बहुजन विचारधारा इस कथा को अलग नजरिए से देखती है। उनके अनुसार :
होलिका को जानबूझकर एक षड्यंत्र के तहत जिंदा जलाया गया, क्योंकि वह स्त्रियों के अधिकार और श्रमिक वर्ग के लिए आवाज उठा रही थी।
उसे एक षड्यंत्र के तहत दुष्ट और अत्याचारी घोषित किया गया, ताकि समाज में वंचित वर्ग और महिलाओं को यह संदेश दिया जाए कि जो भी शोषण के खिलाफ खड़ा होगा, उसका भी यही हश्र होगा।
आग में जलना स्त्री जाति और बहुजन समाज के दमन का प्रतीक बन गया, जिसे ‘धर्म’ के नाम पर उचित ठहराने की कोशिश की गई।
3. होलिका दहन: बहुजन समाज के लिए शोषण का प्रतीक
होलिका दहन बहुजन समुदाय के कई बुद्धिजीवियों के अनुसार सदियों से चली आ रही ब्राह्मणवादी मानसिकता का एक प्रतीक है, जहां हर उस व्यक्ति को जलाया गया, जो अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ।
होलिका दहन को असल में उस संघर्ष और विद्रोह के दमन के रूप में देखा जाता है, जिसमें न केवल महिलाओं को बल्कि पूरे बहुजन समाज को यह संदेश दिया गया कि अगर वे विरोध करेंगे, तो उनका भी यही हश्र होगा।
यही कारण है कि कुछ बहुजन विचारक और संगठन होलिका दहन का विरोध करते हैं, और इसे “शोषितों के संघर्ष को मिटाने की परंपरा” मानते हैं।
4. होलिका का असली संदेश : विद्रोह और संघर्ष का प्रतीक
बहुजन समाज में यह मान्यता भी है कि होलिका विरोध और न्याय की प्रतीक थी, जिसे झूठे कथानकों के माध्यम से बदनाम किया गया।
आज के समाज में होलिका को सशक्त नारीवाद, वंचितों के हक और अन्याय के खिलाफ खड़े होने के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए।
यदि होलिका को जलाना इतना महत्वपूर्ण है, तो यह पूछना भी जरूरी है कि क्या यह वास्तव में बुराई का अंत था, या सिर्फ सत्ता द्वारा एक विद्रोही नायिका का दमन?
कुछ दलित और बहुजन संगठन अब इस दिन को “शोषितों के संघर्ष और प्रतिरोध” के रूप में मनाते हैं, और होलिका की कथा को फिर से परिभाषित करने की मांग करते हैं।
निष्कर्ष : क्या हमें होलिका दहन की परंपरा को फिर से सोचने की जरूरत है?
इतिहास को हमेशा विजेता लिखते हैं, और होलिका की कहानी भी शायद उसी ऐतिहासिक सत्य का हिस्सा है। बहुजन समाज का दृष्टिकोण हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या वास्तव में यह अच्छाई की बुराई पर जीत थी, या फिर सिर्फ सत्ता द्वारा शोषितों को जलाने का एक और तरीका?
आज, जब समाज जागरूक हो रहा है, हमें यह विचार करना चाहिए कि :
-
क्या हम सच में हर साल एक महिला को जलाने की परंपरा को जारी रखना चाहते हैं?
-
क्या होलिका वाकई बुरी थी, या फिर वह एक सशक्त महिला थी, जिसे सत्ता ने मिटा दिया?
-
क्या बहुजन समाज को होलिका के संघर्ष से प्रेरणा लेनी चाहिए, बजाय इसे बुराई मानकर जलाने के?
बहुजन विचारधारा के अनुसार, हमें होलिका को जलाने के बजाय, उसके संघर्ष को याद करके सामाजिक न्याय और समानता के लिए लड़ना चाहिए। यही इस कथा का असली संदेश हो सकता है।
“होलिका केवल राख नहीं, संघर्ष की चिंगारी है, जिसे हर शोषित को अपने दिलों में जलाए रखना चाहिए!”
यह भी पढ़े…
होली के दौरान पशु-पक्षियों का उत्पीड़न और जीव हिंसा : एक अनदेखा क्रूर सच
Disclaimer : This article is intended for general informational purposes only. The information provided is based on various sources and research, but its accuracy and completeness cannot be guaranteed. Readers are advised to visit relevant official websites or consult experts for verification. The author, publisher, or institution shall not be responsible for any errors, losses, or damages arising from the use of the information included in this article.
देश के सबसे तेजी से बढ़ते हिंदी न्यूज़ प्लेटफॉर्म पर आपका स्वागत है!
🌐 www.tejasreporter.com
आज के डिजिटल युग में, जहां हर क्षेत्र तेजी से तकनीकी क्रांति का अनुभव कर रहा है, वहीं “दैनिक तेजस रिपोर्टर” अपने सत्य, निडर और तथ्यात्मक पत्रकारिता के लिए एक नया मानक स्थापित कर रहा है।
मैं, पंकज जैन ✍🏻 और मेरी टीम, आधुनिक तकनीक और निष्पक्षता के साथ, आपको 24×7 देश-विदेश की हर महत्वपूर्ण खबर सबसे पहले और सटीक रूप में पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
“तेजस रिपोर्टर” सिर्फ एक न्यूज़ प्लेटफ़ॉर्म नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद साथी है, जो आपके लिए लाता है हर वह खबर, जो आपके लिए मायने रखती है।
🔔 सभी ताज़ा अपडेट्स और नोटिफिकेशन प्राप्त करने के लिए, अभी बेल आइकन पर क्लिक करें और सब्सक्राइब करें।
सत्य की तलाश अब यहीं खत्म होती है।
www.tejasreporter.com – आपके विश्वास का साथी।

Author: Tejas Reporter
235