यह देश की महानता ही है कि यहाँ हर चीज़ बहुउद्देशीय होती है। सड़कें सिर्फ़ वाहन चलाने के लिए नहीं, कभी कभार धरना देने के भी काम आ जाती हैं। सरकारी पार्क आम जनता के लिए कम, नेताओं की सभाओं के लिए ज़्यादा बनाए जाते हैं। और अब देखिए, हेलीपैड सिर्फ़ हेलीकॉप्टर उतरने के लिए नहीं, बल्कि नशेड़ियों की महफ़िलें सजाने के लिए भी काम आ रहा है। विकास हो तो ऐसा!
रात में ‘विमान’ नहीं, ‘पैमाने’ उतरते हैं
18 फरवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जिस हेलीपैड पर उतरे थे, वहां अब ‘शराब के जहाज़’ लैंड कर रहे हैं। रात ढलते ही यहाँ एक अलग ही प्रकार की ‘एयर ट्रैफिक कंट्रोल’ शुरू हो जाती है—जहां आवाज़ें कुछ ऐसी होती हैं:
“भाई, एक और पैग बना दे!”
“अबे, ग्लास खाली कर, नया दौर शुरू करने दे!“
दशहरा मैदान के सामने ही पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय है, कुछ दूरी पर पॉलिटेक्निक कॉलेज, एक छात्रावास, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यालय और आसपास हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियाँ भी हैं। पर किसे फर्क़ पड़ता है? विकास तो विकास होता है, चाहे वो बॉटल खोलकर किया जाए या स्कॉच डालकर!
सांसद बोले—हम सब परिवार हैं, लड़ाई-झगड़े सिर्फ अख़बारों में होते हैं
राजनीति में भी बड़ी दिलचस्प बातें होती हैं। कुछ दिन पहले सांसद चौधरी दर्शन सिंह और स्वास्थ्य राज्य मंत्री नरेंद्र पटेल के बीच ‘ज़ोरदार’ तनातनी की खबरें थीं, लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में आते ही बोले—”हम सब एक परिवार के सदस्य हैं!”
यानी नेता भी बॉलीवुड मसाला फिल्म की तरह हैं—जहां “पहले दुश्मनी, फिर दोस्ती, फिर गले लगकर फोटो सेशन!”
आम जनता बेचारी इस गफलत में ही रहती है कि ये सच में लड़ते हैं या सिर्फ़ मीडिया की टीआरपी बढ़ाने के लिए दंगल करते हैं।
सीएम से मुलाकात न होने पर नेताजी की नाराजगी—“धरना तो होगा!”
भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य कृष्ण कांत आचार्य मुख्यमंत्री से मिलकर गाँव में खुलेआम बिक रहे माँस की बिक्री रोकने का ज्ञापन देना चाहते थे। पर जब मुलाकात नहीं हुई, तो हेलीपैड के पास ही “भड़क गए!”
अब सवाल ये है कि नेताजी को नक्शा कार्यक्रम में ही क्यों याद आई क्या मीडिया में आने का फन तो नहीं ? अब देखना यह है कि नेताजी बयान देने के बाद कुछ करते हे या सिर्फ?
विधायक जी का टेंशन खत्म
मध्य प्रदेश के परिसीमन में उड़ती उड़ती खबर थी की सांची अब रायसेन नहीं विदिशा का अंग हो जाएगा ऐसे में सांची विधायक डॉक्टर प्रभु राम चौधरी की पेशानी पर बल पड़ गए थे ऊपर से एक संघर्ष समिति बन गई थी जो लगातार इसका विरोध कर रही थी बीच-बीच में विधायक भी बयान देते रहे की सांची नहीं जाने देंगे यदि सांची जाता तो वोटो का आंकड़ा गड़बड़ हो जाता फिर तो विधायक जी ने सोच लिया कि भरे मंच से ही मुख्यमंत्री से निवेदन करेंगे और उन्होंने किया भी साथ में समर्थन मिला केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का और फिर मुख्यमंत्री को हामी भरनी पड़ी अब तो विधायक जी की बल्ले बल्ले हो गई एक तो जनता में संदेश गया की विधायक जी क्षेत्र के लिए लड़े ऊपर से मुख्यमंत्री द्वारा तुरंत उनकी मांग को मान लेना उनके राजनीतिक कद में इजाफा करगया
हेलीपैड से अहाते तक—यही है असली ‘विकास’!
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हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर न सही, “हाई स्पिरिट्स” ज़रूर उतरती हैं।
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नेता हमेशा मीडिया में ही लड़ते हैं, असल में तो सब भाईचारे की मिसाल होते हैं।
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अगर मुख्यमंत्री से मुलाकात न हो, तो तुरंत ‘धरना’ मोड में आ जाना चाहिए।
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किसी मुद्दे पर बयान तब तक नहीं आएगा, जब तक मंच, माइक और कैमरा न हो।
तो अगली बार अगर आपको कोई सरकारी जगह चमचमाती दिखे, तो चिंता न करें। कुछ ही दिनों में वह किसी और ‘विकास यात्रा’ पर निकल जाएगी—हेलीपैड से अहाता बनने तक का सफर जारी रहेगा!
तो पढ़ते रहिए – “व्यंग्यबाण“
“तेजस रिपोर्टर” के इस विशेष कॉलम में, जहां विभिन्न क्षेत्रों के अजब-गजब मामलों पर तीखे “व्यंग्यबाण” छोड़े जाते हैं!
हमारी पैनी नजर से बच नहीं पाएंगे वे लचर व्यवस्थाएं और गैरजिम्मेदाराना कारनामे, जिन पर होगा करारा प्रहार व्यंग्य के धारदार शब्द बाणों के साथ।
तो बने रहिए “व्यंग्यबाण” के साथ – जहां व्यंग्य के तीर चलते हैं और सच्चाई बेनकाब होती है!
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Author: Tejas Reporter
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