शहीद अतीक अहमद खान को अंतिम विदाई, बेटे असद को तिरंगा सौंपकर कहा यह तुम्हारे पिता की आखिरी निशानी है।

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रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
शिवपुरी जिले के खोड़ कस्बे के वीर सपूत और सीआरपीएफ जवान अतीक अहमद खान को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। दोपहर 2:00 बजे खोड़ कब्रिस्तान में उन्हें सैन्य परंपराओं के अनुरूप दफनाया गया। 20 वर्षों तक देश की सेवा करने वाले अतीक अहमद का बीते रात भोपाल में निधन हो गया था। वे 85 बटालियन डी कंपनी में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में तैनात थे।

एक महीने पहले मलेरिया फेल्सीफेरम से संक्रमित होने के कारण उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। हालत गंभीर होने पर उन्हें भोपाल के बसंत हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने मल्टीपल ऑर्गन फेलियर का निदान किया। लगातार एक महीने तक वेंटिलेटर पर संघर्ष करने के बाद, उन्होंने रात 10:00 बजे अंतिम सांस ली।

  • शहीद अतीक अहमद को नम आंखों से अंतिम विदाई, बेटे असद को सौंपा गया राष्ट्रीय ध्वज
  • देश के वीर सपूत को अंतिम सलाम, शहीद अतीक अहमद खान की शहादत को नमन
  • मल्टीपल ऑर्गन फेलियर से जूझते हुए शहीद हुए सीआरपीएफ जवान, खोड़ में हुआ अंतिम संस्कार
  • 85 बटालियन के बहादुर सिपाही की शहादत, पूरे गांव ने दी श्रद्धांजलि
  • “यह तुम्हारे पिता की आखिरी निशानी है…” बेटे असद को तिरंगा सौंपते ही नम हुईं आंखें

राष्ट्रीय ध्वज में लिपटी शहादत, नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई

अतीक अहमद खान की पार्थिव देह को तिरंगे में लपेटकर उनके पैतृक कस्बे लाया गया, जहां हजारों की संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। सीआरपीएफ के जवानों ने हथियार झुकाकर अंतिम सलामी दी, जबकि प्रशासनिक अधिकारियों और स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने पुष्पांजलि अर्पित की।

अंतिम संस्कार में पिछोर तहसीलदार शिव शंकर गुर्जर, खोड़ नायब तहसीलदार कैलाश मालवीय, चौकी प्रभारी उप निरीक्षक अंशुल गुप्ता, पंचायत सचिव सुरेंद्र शर्मा, एवं कई पूर्व सैनिकों सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए।

बेटे असद को सौंपी गई पिता की अंतिम निशानी, भावुक हुआ माहौल

जब सीआरपीएफ जवानों ने शहीद अतीक अहमद खान के बेटे असद को राष्ट्रीय ध्वज सौंपते हुए कहा – “बेटा, यह तुम्हारे पिता की आखिरी निशानी है, इसे हमेशा संभालकर रखना,” तो पूरा माहौल भावुक हो उठा। हर आंख नम थी, हर दिल गर्व से भरा था।

शहीद जवान अतीक अहमद खान की शहादत सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे एक कर्तव्यनिष्ठ सैनिक, एक आदर्श पिता और एक बहादुर देशभक्त थे, जिन्होंने देश के प्रति अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा।

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