पिपरा गांव विवाद : पुलिस कार्रवाई पर उठे सवाल, करणी सेना ने की निष्पक्ष जांच की मांग, राजनीतिक दबाव में झूठा केस दर्ज करने के आरोप

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रिपोर्ट-अतुल कुमार जैन
बामौरकला थाना क्षेत्र के पिपरा गांव में 15 जनवरी को हुए झगड़े के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए। घटना के बाद एक पक्ष की शिकायत पर पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया और एक महिला को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस कार्रवाई के खिलाफ मंगलवार को करणी सेना ने एसपी ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया।
करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जिला पंचायत सदस्य सियाराम लोधी और उनके समर्थकों ने पिपरा गांव में साधना बुंदेला और उनके परिवार पर हमला किया। उन्होंने दावा किया कि विरोधियों ने पुलिस को गुमराह करते हुए झूठे आरोप लगाए और अपने ही वाहनों पर गोलियां चलवाईं। करणी सेना ने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए ज्ञापन सौंपा।

  • पिपरा गांव विवाद : झूठे मामले में महिला को जेल, करणी सेना का आक्रोश
  • जयवर्धन सिंह का आरोप : भाजपा कर रही है सत्ता का दुरुपयोग
  • करणी सेना ने सौंपा ज्ञापन, कहा- एफआईआर की हो निष्पक्ष जांच
  • जन्मदिन के बाद झगड़ा, गोलीकांड और झूठी एफआईआर का आरोप

पुलिस कार्रवाई पर सवाल : कांग्रेस समर्थकों ने लगाए दबाव के आरोप

जयवर्धन सिंह ने भाजपा पर साधा निशाना
राघोगढ़ विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने इस घटना पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा समर्थित जिला पंचायत सदस्य और उनके सहयोगियों ने कांग्रेस समर्थित परिवार पर जानलेवा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के दबाव में पुलिस ने झूठा केस दर्ज कर महिला को जेल भेज दिया। जयवर्धन सिंह ने कहा कि यह भाजपा की साजिश है, जिसके तहत कांग्रेस कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि 15 जनवरी की रात को जिला पंचायत सदस्य सियाराम लोधी और उनकी पत्नी जन्मदिन समारोह से लौट रहे थे। इसी दौरान उन पर जानलेवा हमला हुआ। घटना के दौरान वाहनों पर गोलियां चलाई गईं। पुलिस ने इस मामले में साधना बुंदेला, अरविंद, बंटी और सौरभ बुंदेला के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया।
करणी सेना ने इस कार्रवाई को गलत बताते हुए कहा कि घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। संगठन ने पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए मामले को राजनीतिक दबाव का नतीजा बताया।

निष्पक्ष न्याय की मांग

करणी सेना ने एसपी ऑफिस पर प्रदर्शन के दौरान कहा कि न्याय प्रणाली में लोगों का विश्वास बनाए रखने के लिए पुलिस को इस मामले की गहराई से जांच करनी चाहिए। ज्ञापन में उन्होंने स्पष्ट किया कि बिना ठोस सबूत के किसी को दोषी ठहराना अस्वीकार्य है।
इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अब देखना होगा कि इस विवाद में न्याय की प्रक्रिया कितनी पारदर्शी और निष्पक्ष साबित होती है।

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