अतुल कुमार जैन
मध्य प्रदेश, जिसे अक्सर ‘अजब है, सबसे गजब है’ कहा जाता है, ने एक बार फिर अपनी इस उपाधि को सार्थक कर दिया है। इस बार कारण बने हैं शिवपुरी जिले के पिछोर विधानसभा क्षेत्र-26 के विधायक प्रीतम लोधी, जिनका एक पत्र इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
क्या लिखा है पत्र में?
विधायक ने शिवपुरी कलेक्टर को संबोधित करते हुए एक ऐसा पत्र लिखा है, जिसे पढ़कर आप हैरान भी होंगे और मुस्कुरा भी देंगे। उन्होंने अलग-अलग पात्रों में लिखा है कि “पुलिस थाना खनियाधाना, मायापुर और बामौरकलां में समस्त बैठक एवं कार्य हेतु क्रमशः श्री इंदल लोधी, निवासी कुंदौली, लोकेन्द्र यादव (बंटी), तेरही एवं उदयसिंह यादव, बुड़ेरा को विधायक प्रतिनिधि नियुक्त करता हूं।”
अब ज़रा सोचिए, विधायक प्रतिनिधि! वो भी थाने के लिए! इसके बाद पत्रों की प्रतियां पुलिस अधीक्षक और संबंधित थाना प्रभारियों को भी भेज दी गईं। इसके अलावा इन थानों के लिए नवनियुक्त विधायक प्रतिनिधियों को भी यह पत्र भेजा गया ताकि उन्हें ‘पालन’ करने की जिम्मेदारी सौंपी जा सके।
थाने में प्रतिनिधि? ये कौन सी परंपरा है!
अब तक आपने किसी क्षेत्र विशेष या सरकारी बैठकों में प्रतिनिधि नियुक्त होने की बातें सुनी होंगी। लेकिन विधायक जी ने थाने में प्रतिनिधि नियुक्त करके एक नया ट्रेंड सेट कर दिया है। शायद विधायक जी का मानना है कि पुलिस को भी “प्रॉक्सी सिस्टम” की आदत डालनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर जमा रंग
इस घटना ने सोशल मीडिया पर एक अलग ही रंग जमा दिया है। लोग कह रहे हैं, “अब हर थाने में विधायक प्रतिनिधि होंगे, जो पुलिस वालों को बताएंगे कि किस अपराधी पर कार्रवाई करनी है और किसे सिर्फ चाय पिलानी है!” कोई कह रहा है, “पुलिस को छुट्टी चाहिए थी, शायद इसीलिए विधायक जी ने यह कदम उठाया।”
विपक्ष ने साधा निशाना
इंडियन नेशनल मध्यप्रदेश ने फेसबुक पर लिखा कि “कांग्रेस लगातार यह कहती आई है कि मोहन सरकार में थाने न्याय दिलाने के नहीं दलाली के अड्डे हो गए हैं!
इसका प्रमाण है कि विधायक अब थानों में विधायक प्रतिनिधि तक नियुक्त करने लगे हैं!
शायद विधायक यह निगरानी चाहते हो कि हिस्सेदारी का कोई हिस्सा छूट नहीं जाए !”
वहीं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए भाजपा को घेरा।
उन्होंने लिखा कि “BJP के विधायकों को व्यवस्थागत प्रशिक्षण की ज्यादा जरूरत !!!
#शिवपुरी जिले की #पिछोर_विधानसभा के विधायक #प्रीतम_लोधी ने अपने क्षेत्र के थाने का भी विधायक प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया !
ये अपनी तरह का संभवतः पहला मामला है! जबकि, ऐसी कोई व्यवस्था भी नहीं है कि विधायक थाने के लिए भी किसी समर्थक को प्रतिनिधि बना दे ! @BJP4MP को चाहिए कि विधायकों को व्यवस्थागत प्रशिक्षण दे कि उन्हें क्या नहीं करना है!”
निम्नलिखित पुलिस थानों में नीचे दिए गए विधायक प्रतिनिध नियुक्त किए गए
खनियाधाना
इन्दल लोधी, कुन्दौली
बामौरकलां
उदयसिंह यादव, बुड़ेरा
मायापुर
लोकेन्द्र यादव (बंटी), तेरही
क्या कहते हैं जानकार?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह लोकतंत्र की प्रक्रिया का न केवल मजाक है, बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से कानून-व्यवस्था में हस्तक्षेप का एक हास्यास्पद प्रयास है। हालांकि, विधायक जी ने इसे अपनी क्षेत्रीय ‘संवेदनशीलता’ का हिस्सा बताया होगा, लेकिन यह कदम कहीं न कहीं पुलिस की स्वायत्तता पर सवाल खड़ा करता है।
संवैधानिक व्यवस्था के जानकारों के अनुसार, इस प्रकार की नियुक्तियों का कोई संवैधानिक आधार नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 50 में न्यायपालिका और कार्यपालिका के अधिकारों और दायित्वों की स्पष्ट सीमाएं निर्धारित हैं।
पुलिस थाने, नगरीय निकाय, अस्पताल, जिला पंचायत और अन्य प्रशासनिक संस्थानों में नियुक्ति का अधिकार केवल राज्य सरकार या संबद्ध अधिकारियों को है। इस संदर्भ में, विधायक प्रतिनिधि नियुक्ति का यह प्रकरण न केवल हास्यास्पद है, बल्कि पूरी तरह से असंवैधानिक भी है।
दरअसल, “विधायक प्रतिनिधि” के लिए कोई संवैधानिक प्रावधान या कानूनी आधार नहीं है। यह एक अनौपचारिक पद है, जिसे जनप्रतिनिधि अपनी व्यक्तिगत सहूलियत के लिए उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इसे किसी भी प्रकार की सरकारी मान्यता नहीं दी जा सकती।
इस प्रकार विधायकों द्वारा इस तरह के पत्र जारी करना और नियुक्ति की सिफारिश करना संविधान के बुनियादी सिद्धांतों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। यह कार्यपालिका की स्वायत्तता में अनुचित हस्तक्षेप के समान है। यदि ऐसी मांगों को स्वीकार किया जाता है, तो यह न केवल प्रशासनिक ढांचे को कमजोर करेगा, बल्कि संवैधानिक प्रावधानों का भी सीधा उल्लंघन होगा।
ऐसे मामलों में आवश्यक है कि संवैधानिक मूल्यों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की गरिमा बनाए रखी जाए, ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था सुदृढ़ बनी रहे।
तो, मध्य प्रदेश के इस नए प्रयोग से यह तो साफ हो गया है कि यहां कुछ भी संभव है। सवाल यह है कि क्या बाकी राज्यों के विधायक भी इस ट्रेंड को अपनाएंगे, क्या जिला प्रशासन इसे मंजूरी दे सकता है? या इसे सिर्फ मध्य प्रदेश का ‘अजब-गजब’ मामला मानकर छोड़ देंगे?
इनका कहना…
“अब तक तो मेरे संज्ञान में नहीं है कि कहीं थानों में विधायक प्रतिनिधि बने हों। शायद ऐसा पहली बार हुआ है।”
रवींद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर, शिवपुरी
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Author: Tejas Reporter
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